उज्जैन का टेंपरेचर

  1. उज्जैन
  2. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से चार गुना बड़ा है 'महाकाल लोक', पूरा मंदिर देखने में लगेंगे 6 घंटे
  3. जिले के बारे में
  4. उज्जैन का है अपना धार्मिक महत्व, यहां होती है कालगणना


Download: उज्जैन का टेंपरेचर
Size: 5.52 MB

उज्जैन

प्रसिद्ध संस्कृत कवि कालिदास ने प्राचीन शहर उज्जैन के बारे में कहा है, "पृथ्वी को स्वर्ग बनाने के लिए यह शहर स्वर्ग से उतर आया है। "मध्य प्रदेश राज्य के बीचों-बीच स्थित, यह प्राचीन शहर गलियों से भरा हुआ है। इन गलियों के हर कोनों पर मंदिर ही मंदिर दिखाई पड़ते हैं, इसीलिए उज्जैन का एक और नाम "मंदिरों का शहर" भी पड़ा। हिंदू धर्म के सात पवित्र स्थलों में से एक, उज्जैन पवित्र क्षिप्रा (शिप्रा) नदी के तट पर बसा है; जो दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समूह है। यहां प्रत्येक 12 वर्ष में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। सिंहस्थ कुंभ के दौरान यह शहर एक दुल्हन की तरह शानदार तरीके से सजाया जाता है, तथा दुनिया भर से लाखों भक्त इस विश्वास के साथ पवित्र क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाने आते हैं कि यह उन्हें पापों से मुक्त कर देगी। हिंदुओं का यह भी मानना है कि ऐसा करने से उन्हें जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति यानि की मोक्ष प्राप्त होगा। चूंकि यह शहर विभिन्न शासकों के अधीन रहा है, इसीलिए इसकी समृद्ध विरासत के जीवंत कलाओं एवं शिल्पों में विविधता और अद्वितीयता है। यह परंपरागत रूप से छपे वस्त्रों जैसे कि बाटिक, बाघ, भैरवगढ़ प्रिंट और स्क्रीन के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहां से इन शिल्प शैलियों में से किसी भी शैली में छपी साड़ियों को ख़रीदा जा सकता है। उज्जैन का इतिहास 600 ईसा पूर्व पुराना है। उस समय उज्जैन में सैकड़ों की संख्या में मंदिर थे। एक समय में यह शक्तिशाली मौर्य साम्राज्य के भी अधीन था। यहां तक कि सम्राट अशोक ने भी यहां शासन किया था। ऐसा कहा जाता है कि एक बार अशोक को उसके पिता बिन्दुसार ने किसी विद्रोह को दबाने के लिए उज्जैन भेजा था। विद्रोह तो सफलतापूर्वक दबा दिया गया लेकिन इस कोशिश में युवराज अश...

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से चार गुना बड़ा है 'महाकाल लोक', पूरा मंदिर देखने में लगेंगे 6 घंटे

उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर का कार्य पूरा हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम 11 अक्टूबर को शाम का तय माया जा रहा है. शाम होते ही रोशनी से जगमगाते महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण किया जाएगा. महाकाल कॉरिडोर में विभिन्न देवी देवताओं की बड़ी मूर्तियों की स्थापना का काम तेजी से चल रहा है. 108 स्तंभबनाये जा चुके हैं. कॉरिडोर में शिव कथा को दर्शाने वाले चित्रांकन किये जा रहे हैं. भव्य प्रवेश द्वार बनाया गया है. उज्जैन में बन रहा कॉरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर से आकार में करीब 4 गुना बड़ा है. महाकाल कॉरिडोर में शिव तांडव स्त्रोत, शिव विवाह, महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला और पार्किंग सर्विसेस भी तैयार किया जा रहा है. इससे भक्तों को दर्शन करने और कॉरिडोर घूमने के दौरान खास अनुभव होने वाला है. महाकल के पथ पर सबसे पहले आपको नजर आएगा महाकाल का सबसे प्रिय गण नंदी, जिसे एक द्वार का स्वरूप देकर विशालकाय रूप में शिखर पर 4 नंदी प्रतिमा को विराजमान कर द्वार बनाया गया है. जिसके ठीक सामने शिव पुत्र गणेश और विपरीत दिशा में त्रिशूल और रुद्राक्ष की मूर्ति नजर आएगी. इस भव्य नंदी द्वार में 10 दिगपाल और 8 अलग-अलग पिलर सुंदर कलाकृतियों के साथ नजर आएंगे, जिसे राजस्थान के बंसी पहाड़पुर सेंड स्टोन से राजस्थान के कारीगरों ने तराशकर तैयार किया है. नंदी द्वार के प्रवेश के बाद ही आपको कॉरिडोर में कमल को नजर आएगा जिस के बीचो बीच ध्यान मुद्रा में दिखाई देंगे और चार अलग-अलग दिशाओं में चार सिंह की मूर्ति भी लगाई गई हैं. फव्वारे और इस कमल कुंड की खूबसूरती रात की रोशनी में देखते ही बनती है. दरअसल, माना जाता है कि महाकाल वन के...

जिले के बारे में

उज्जैन के बारे में उज्जैन एक टियर 2 शहर है, जो भारतीय राज्य मध्य प्रदेश का बड़ा शहर है। यह उज्जैन जिले और उज्जैन डिवीजन दोनों का मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। उज्जैन एक केंद्रीय बिजली शहर, वाणिज्य, वित्त, मीडिया, कला, फैशन, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और मनोरंजन के क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है और इसे राज्य की वाणिज्यिक राजधानी के रूप में वर्णित किया गया है।उज्जैन शहर मालवा पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित है एवं राजधानी भोपाल से 190 किमी पश्चिम में स्थित है। जलवायु उज्जैन का स्थान मध्य भारत में होने के तथा समुद्र से दूर होने के कारण यहाँ की जलवायु मध्यम चरम जलवायु है| शीतकाल : सर्दियों में (नवंबर से फरवरी)रात का तापमान 10oC के आसपास होता है |अत्यधिक सर्दी में तापमान 2 से 3oC तक पहुंच जाता है | ग्रीष्म काल : ग्रीष्मकाल (अप्रैल-जून) के दौरान तापमान 35-40oC तक होता है | अत्यधिक गर्मी में तापमान 45oC तक पहुंच जाता है हालांकि, मध्य भारत में अन्य जगहों के विपरीत,उज्जैन में गर्मी की रात कुछ खास है। मालवा पठार के दक्षिणी किनारे पर अपने स्थान के कारण, दिन में यहाँ गर्मी हो सकती है परन्तु देर शाम में ठंडी हवा शुरू होती है जो शाम को काफी सुखद बनाती है, जिसे शब-ए-मालवा कहा जाता है। वर्षा काल :उज्जैन में सामान्य वर्षा 30-35 इंच माह जुलाई से सितम्बर के मध्य दक्षिण-पूर्वी मानसून के कारन होती है | सामान्य सीमाएं उज्जैन जिले की सीमा उत्तर में आगर मालवा , पूर्व में शाजापुर, दक्षिण में इंदौर और पश्चिम में रतलाम जिलों की सीमा से संलग्न है । स्थलाकृति उज्जैन जिले में 11 तहसील उज्जैन शहर, उज्‍जैन ग्रामीण, उज्‍जैन कोठी महल, घटिया , तराना,माकडोन , महिंदपुर, झार्डा, बड़नगर, खाचरोद औ...

उज्जैन का है अपना धार्मिक महत्व, यहां होती है कालगणना

• 7 hours ago • 14 hours ago • 14 hours ago • 17 hours ago • 18 hours ago • 18 hours ago • 21 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 39.9°C शास्त्रों की बात , जानें धर्म के साथ धार्मिक कथाओं के अनुसार उज्जैन को राजा महाकाल और विक्रमादित्य की नगरी कहा जाता है। जहां पर तीन गणेश जी विराजमान है चिंतामन, मंछामन और इच्छा मन। तो वहीं इसी स्थल पर भगवान शंकर का ज्योतिर्लिंग स्थित है, साथ ही साथ दो शक्तिपीठ हरसिद्धि और गढ़कालिका एवं 84 महादेव के साथ ही यहां पर देश का एकमात्र अष्ट चिरंजीवी ओ का मंदिर है। कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उज्जैन को मंगल देव की उत्पत्ति का स्थान भी कहा जाता है तथा यहीं पर नौ नारायण और सात सागर भी है। यहां पर स्थित श्मशान को तीरथ माना जाता है जिसे चक्रतीर्थ के नाम से जानते हैं। यहां पर देवी पार्वती द्वारा लगाया गया सिद्ध वट भी स्थापित है। उज्जैन में कुंभ होने के कारण इसे सिंहस्थ भी कहा जाता है। तो वही राजा विक्रमादित्य ने इसी स्थान पर विक्रमादित्य के कैलेंडर का प्रारंभ किया था जिस कारण भी जगह को काफी महत्व प्रसिद्धि प्राप्त है। उन्होंने इस देश को सर्वप्रथम बाद सोने की चिड़िया कहकर यहां से ही सोने के सिक्के का प्रचलन प्रारंभ किया था। महाकाव्य महाभारत ग्रंथ के अनुसार उज्जैन एक स्वर्ग है। तो आइए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर तीन काल विराजमान हैं- महाकाल, काल भैरव, गढ़ का...