उज्जैन में रात क्यों नहीं रुकता

  1. 10+ उज्जैन में घूमने की जगह, खर्चा और जाने का समय (2023)
  2. उज्जैन नगरी का राजा कौन है? – Expert
  3. Pm Modi In Ujjain Morarji To Yeddyurappa Who Spent The Night In Ujjain The City Of Mahakal Lost There Government ANN
  4. Mahashivratri 2023: आखिर क्यों कोई राजा उज्जैन में रुकने की हिम्मत नहीं करता है? चौंका देगा ये रहस्य
  5. Because of this no minister stays overnight in Ujjain
  6. पंचांगों में एक ही तिथि क्यों नहीं होती? उज्जैन के ज्योतिषाचार्यों से जानिए वजह...
  7. आखिर क्यों खास है उज्जैन और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, क्यों रात में उज्जैन में नहीं रुकता कोई मंत्री? चौंका देगा रहस्य – Newz Gossip


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10+ उज्जैन में घूमने की जगह, खर्चा और जाने का समय (2023)

Ujjain Me Ghumne ki Jagah: हमारे देश भारत में बहुत सारे पर्यटक स्थल है और विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में भारत में घूमने के लिए आते हैं। भारत के सबसे पुराने चेहरों में उज्जैन का नाम भी शामिल है। उज्जैन जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। उज्जैन को भारत का सबसे पवित्र स्थान भी माना जाता है और यह शिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है। उज्जैन शहर में लगने वाला कुंभ मेला 12 साल में सिर्फ एक बार लगता है और इस कुंभ मेले में लाखों की संख्या में देश विदेशों से लोग भ्रमण के लिए आते हैं। यह मेला 12 दिन तक रहता है। कहानियों के अनुसार ऐसा भी बताया जाता है कि अमृत की खोज करने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच एक होड़ लगी थी और इसी होड़ के अंदर एक दूसरे का पीछा करते हुए अमृत की एक बूंद उज्जैन शहर पर गिरी थी। इसीलिए आज भी इस शहर को पवित्र शहर की उत्पत्ति मिली हुई है। साथ ही साथ इस शहर की लोकप्रियता कई विद्वान शासकों के वजह से भी है। उज्जैन में प्रसिद्ध राजा चंद्रगुप्त द्वितीय ब्रह्मगुप्त और भरतचार्य जैसे विद्वान शासक शासन कर चुके हैं। इनकी वजह से उज्जैन शहर की लोकप्रियता को चार चांद लग गये। उज्जैन में लोकप्रिय पर्यटक स्थल (Ujjain Tourist Places in Hindi) महाकालेश्वर मंदिर महाकालेश्वर मंदिर जो हिंदुओं का सबसे पवित्र और उत्कृष्ट तीर्थ स्थान माना जाता है। महाकालेश्वर मंदिर जो मध्य प्रदेश के और रुद्र सागर झील के किनारे पर बसा हुआ है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के दिन विशाल मेले का आयोजन होता है। Image: Mahakaleshwar Jyotirlinga यहां पर की जाने वाली आरती सुबह 4:00 बजे देखने लायक होती है। उज्जैन में मंदिर परिसर में शांति बनाए रखने के लिए कई नियम बनाए गए ...

उज्जैन नगरी का राजा कौन है? – Expert

Table of Contents • • • • • • • उज्जैन नगरी का राजा कौन है? विक्रम संवत अनुसार अवंतिका (उज्जैन) के महाराजाधिराज राजा विक्रमादित्य आज से (2021 से) 2292 वर्ष पूर्व हुए थे। कलि काल के 3000 वर्ष बीत जाने पर 101 ईसा पूर्व सम्राट विक्रमादित्य का जन्म हुआ। उन्होंने 100 वर्ष तक राज किया। राजा वीर विक्रमाजीत कौन था? विक्रमादित्य प्राचीन भारत के महान शासक थे. वे एक आदर्श राजा के नाम से जाने जाते थे, इतिहास में वे अपनी ताकत, हिम्मत और विद्वान नीतियों के लिये जाने जाते थे. विक्रमादित्य के महानता और उनके पराक्रम की 150 से भी ज्यादा कहानिया है, जग प्रसिद्ध बैताल पचीसी और सिंघासन बत्तीसी भी शामिल है. उज्जैन में लोग रात क्यों नहीं रुकता? दरअसल, उज्जैन में रात को रूकने को लेकर एक मिथक है और यह मिथक काफी लंबे समय से चलता आ रहा है। इसी मिथ के चलते यहां कोई भी राजा, मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति या देश का प्रधानमंत्री कभी भी नहीं रूकता। मालूम हो कि बाबा महाकाल को उज्जैन का राजाधिराज माना जाता है। ऐसी धारणा है कि एक राज्य में कभी भी दो राजा नहीं रूक सकते। उज्जैन का सबसे बड़ा डॉन कौन है? हम बात कर रहे हैं उज्जैन के गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप की, जो महज 20 साल की उम्र में ही शहर का डॉन बन गया था। लोग उसके नाम पर दहशत में आने लगे थे। उसने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर लिख रखा था कि ‘किसी भी तरह के विवाद के निपटारे के लिए संपर्क करें। READ: भारत का सबसे पुराना बैंक कौन सा है? राजा भोज के बाद सिंहासन बत्तीसी का क्या हुआ? सिंहासन पर बैठने वाले राजा को भी बहुत आश्चर्य हुआ। उसने अपने ज्योतिषियों और पण्डितों से सलाह की तथा उन्हें गणना करने को कहा। उन्होंने काफी अध्ययन करने के बाद कहा कि यह चमत्कारी सिंहासन अब मृत हो गय...

Pm Modi In Ujjain Morarji To Yeddyurappa Who Spent The Night In Ujjain The City Of Mahakal Lost There Government ANN

Madhya Pradesh News: कल 11 अक्टूबर को उज्जैन मेंमहाकाल लोक का लोकार्पण होगा. इस आयोजन को लेकर प्रदेश सरकार ने जोरदार तैयारियां की हैं. इस आयोजन को शिवराज सरकार उत्सव के रूप में मना रही है. पूरा उज्जैन अयोध्या नगरी की तर्ज पर सजाया जा रहा है. आयोजन को लेकर अब उज्जैन सहित प्रदेश में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. क्यों नहीं रुक सकते उज्जैन में? मिथक है कि महाकाल राजा की नगरी में पीएम, सीएम रात नहीं रुकते, यदि रुकते हैं तो उन्हें अपनी सरकार से हाथ धोना पड़ जाता है. मिथकों के अनुसार महाकाल राजा की नगरी उज्जैन में मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति भी यहां रात नहीं रुक सकते. कहा जाता है कि उज्जैन के राजा महाकाल है और इनके अलावा यहां कोई भी नेनेता या राज परिवार का सदस्य रात नहीं रुक सकता. अगले ही दिन गिर गई थी सरकार अभी हाल ही में शिवराज सरकार की उज्जैन में कैबिनेट बैठक आयोजित हुई थी. इस बैठक की अध्यक्षता प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने नहीं बल्कि उज्जैन के महाकाल राजा ने की थी. बकायादा अध्यक्ष वाली कुर्सी पर महाकाल राजा की फोटो रखी गई थी. हालांकि इन दावों के पीछे कुछ ऐसे किस्से हैं जो फिलहाल चर्चा में हैं.देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक बार उज्जैन आए थे. वे उज्जैन में ही रात रुक गए थे और अगले ही दिन उनकी सरकार गिर गई थी. ऐसे ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदयुरप्पा बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए उज्जैन आए थे और यहीं रात रुक गए थे. नतीजतन कुछ दिन बाद ही उनकी सरकार भी गिर गई थी. ये भी पढ़े-

Mahashivratri 2023: आखिर क्यों कोई राजा उज्जैन में रुकने की हिम्मत नहीं करता है? चौंका देगा ये रहस्य

Mahashivratri 2023: 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पूरे देश में मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. देश में सबसे खास पूजा महाशिवरात्रि की शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में होती है. उनमें से एक है उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग. आइए जानते हैं कि उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्यों हैं इतना खास. Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि एक ऐसा पर्व है जब आप शिवजी की कृपा से अपने जीवन की मुश्किलों को दूर सकते हैं. 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पूरे देश में मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. देश में सबसे खास पूजा महाशिवरात्रि की शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में होती है. उनमें से एक है उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग. जो सबसे रहस्यमयी माना जाता है. आइए जानते हैं कि उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्यों है इतना खास. क्यों खास है उज्जैन उज्जैन को पुण्य भूमि के नाम से जाना जाता है. बारह ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन में भी है जिसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कहते हैं. साथ ही उज्जैन में हजारों संत ऋषि ब्राह्मण जप और तप करने आते हैं. साथ ही यहां शुद्ध नदी क्षिप्रा या शिप्रा नदी है और हर 12 वर्ष से सिंहस्थ महाकुंभ मेला भी लगता है. उज्जैन के बारे में एक खास बात यह है कि यहां पर ओखर श्मशान है जहां पर शिवजी का वास होता है. उज्जैन के प्राचीन नाम अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि है. उज्जैन के राजा विक्रमादित्य थे. विक्रमादित्य के राजा बनने से पहले यहां एक प्रथा थी कि जो भी उज्जैन का राजा बनेगा उसकी मृत्यु निश्चित है. जिसके बा...

Because of this no minister stays overnight in Ujjain

धर्म डेस्क रिपोर्ट। उज्जैन (Ujjain) के महाकालेश्वर मंदिर (Mahakal) में दर्शन करने के लिए लोगों की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए बड़ी-बड़ी हस्तियों के साथ ही राजनीतिक पदों पर आसीन मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सभी लोग यहां आते हैं। लेकिन कोई भी यहां दर्शन करने के बाद रात नहीं रुकता। इसके पीछे की वजह सभी को हैरान कर देती हैं। दरअसल, महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन करने के बाद कोई भी बड़ा नेता या मंत्री उज्जैन में नहीं रुकते हैं। अगर उन्हें रुकना भी होता है तो वह उज्जैन के बाहर किसी होटल या फिर कहीं और रुकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों तो आपको बता दें, जो भी नेता या मंत्री यहां पर रात में विश्राम करता है उसकी सत्ता भी चली जाती है। ऐसे में उज्जैन में कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति रुकने से डरते है। इसके पीछे मान्यता है तो चलिए जानते है – ये है मान्यता – Jun 16, 2023 लंबे समय से ये मान्यता चली आ रही है कि जो भी मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या फिर राष्ट्रपति यहां महाकाल बाबा के दर्शन करने के बाद रात गुजारता है तो उसकी सत्ता में वापसी नहीं हो पाती हैं। कहा जाता है कि बाबा महाकाल खुद राजाधिराज है। ऐसे में उनके दरबार में दो राजा नहीं रुक सकते हैं। अगर कोई गलती से रुक भी जाता है तो वो अपनी सत्ता में वापस नहीं जा पता हैं। उसके लिए मुश्किलें काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं। Must Read : इनकी गई सत्ता, भुगतना पड़ा खामियाजा – कहा जाता है कि यहां महाकाल बाबा के दर्शन के बाद किसी नेता को नहीं रुकना चाहिए। क्योंकि उसकी उसके बाद से कुर्सी छीन ली जाती हैं। इसका खामियाजा एक प्रधानमंत्री भुगत चुके हैं। जी हां, भारत के च...

पंचांगों में एक ही तिथि क्यों नहीं होती? उज्जैन के ज्योतिषाचार्यों से जानिए वजह...

प्रदेश में जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया गया, किसी ने इसे 18 अगस्त को मनाया तो किसी ने 19 अगस्त को। आने वाले कई त्योहारों पर भी यह स्थिति बनेगी। एक पर्व, फिर तिथियां दो क्यों। अक्सर यह सवाल लोगों के मन में आता है। आखिरी ऐसा क्यों होता है? क्या हर त्योहार एक ही तिथि पर पूरे देश में नहीं मनाया जा सकता? इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए दैनिक भास्कर ने उज्जैन के ज्योतिषाचार्यों से लंबी बातचीत की। उनसे हर पहलू को समझा तो यही निष्कर्ष निकला कि ऐसा संभव नहीं है। पंचांग और गणना अलग होने से तिथियों में हमेशा अंतर आएगा ही। जब तक केवल एक ही पंचांग की मान्यता न हो, यह संभव नहीं है। आइए, जानते हैं उनसे हुई विस्तृत बातचीत आसान शब्दों में... ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बेवाला (उज्जैन) से इस बारे में चर्चा की, तो उन्होंने बताया, भारतीय ज्योतिष शास्त्र में दो प्रकार के पंचांग होते हैं। पहला ग्रह लाघवीय और दूसरा चित्रा केतकीय। दोनों ही पंचांगों का अपना-अपना गणित है और गणना का नतीजा भी अलग आता है। अक्षांश और देशांतर का भी अंतर तिथि में महत्व रखता है। बता दें कि पृथ्वी के तल पर स्थित किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति बताने के लिए उस स्थान के अक्षांश (latitude) और देशांतर (Longitude) का मान बताया जाता है। इसके अलावा भारतीय मानक समय (Indian Standard Time) और स्थानीय मानक समय (Local Standard Time) का फर्क भी तिथि की गणना में महत्व रखता है। दरअसल, पंचांग सूर्य पर आधारित होता है। इससे ही तारीखें तय होती हैं। लेकिन, शहर-शहर में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में अंतर रहता है। इसी दृष्टि से पंचांग निर्माता गणित लगाते हैं और इसी वजह से तिथियों में बदलाव की स्थिति बनती है। देश में एक जैसी तिथि नहीं हो सकती एक...

आखिर क्यों खास है उज्जैन और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, क्यों रात में उज्जैन में नहीं रुकता कोई मंत्री? चौंका देगा रहस्य – Newz Gossip

हमारे देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं. उनमें से एक है उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग. जो सबसे रहस्यमयी माना जाता है. आइए जानते हैं कि उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्यों है इतना खास. और आखिर क्यों कोई मंत्री उज्जैन में रात बिताने की हिम्मत नहीं करता है… क्यों खास है उज्जैन उज्जैन को पुण्य भूमि के नाम से जाना जाता है. बारह ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन में भी है जिसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कहते हैं. साथ ही उज्जैन में हजारों संत ऋषि ब्राह्मण जप और तप करने आते हैं. साथ ही यहां शुद्ध नदी क्षिप्रा या शिप्रा नदी है और हर 12 वर्ष से सिंहस्थ महाकुंभ मेला भी लगता है. उज्जैन के बारे में एक खास बात यह है कि यहां पर ओखर श्मशान है जहां पर शिवजी का वास होता है. उज्जैन के प्राचीन नाम अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि है. उज्जैन के राजा विक्रमादित्य थे. विक्रमादित्य के राजा बनने से पहले यहां एक प्रथा थी कि जो भी उज्जैन का राजा बनेगा उसकी मृत्यु निश्चित है. जिसके बाद विक्रमादित्य ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया था. विक्रमादित्य ने कहा था कि राज्य की गद्दी अगर खाली भी है तो भी शासन उसी के नाम से चलेगा. तब से आजतक ये प्रथा चली आ रही है. मान्यताओं के अनुसार, उज्जैन के राजा केवल महाकाल हैं. इसलिए, आज भी उज्जैन को लेकर यही मान्यता है कि यदि कोई भी वर्तमान राजा रूपी नेता अर्थात प्रधानमंत्री या जन प्रतिनिधि उज्जैन शहर की सीमा के भीतर रात बिताने की हिम्मत करता है, तो उसे इस अपराध का दंड भुगतना होता है. आखिर क्यों उज्जैन में कोई राजा नहीं रुकता है. आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य. महाकालेश्वर मंदिर का खास रहस्य महाकाल से बड़ा शासक कोई नहीं है. जहां महाकाल, राजा के रूप...