Valmiki ramayana book in hindi

  1. Valmiki Ramayan (Hindi)
  2. वाल्मीकि
  3. Valmiki Ramayana In Hindi


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Valmiki Ramayan (Hindi)

श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण ग्रन्थाकार—त्रेतायुगमें महॢष वाल्मीकिके श्रीमुखसे साक्षात् वेदोंका ही श्रीमद्रामायणरूपमें प्राकट्य हुआ था, ऐसी आस्तिक जगत्की मान्यता है। अत: श्रीमद्रामायणको वेदतुल्य प्रतिष्ठ ा प्राप्त है। धराधामका आदिकाव्य होनेके कारण इसमें भगवान्के लोकपावन चरित्रकी सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोकमें भगवान्के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रजा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता-जैसे अनन्त पुष्पोंकी दिव्य सुगन्ध है। मूलके साथ सरस हिन्दी अनुवादमें दो खण्डोंमें उपलब्ध, सचित्र, सजिल्द।

वाल्मीकि

वाल्मीकि, आदिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। आदिकवि वाल्मीकि का जीवन परिचय [ ] रामायण मे वाल्मीकि ने 24000 श्लोकों में श्रीराम उपाख्यान ‘रामायण’ लिखी। ऐसा वर्णन है कि- एक बार वाल्मीकि मा निषाद प्रतिष्ठां त्वंगमः शाश्वतीः समाः। यत्क्रौंचमिथुनादेकं वधीः काममोहितम्॥ (अर्थ: हे दुष्ट, तुमने प्रेम मे मग्न क्रौंच पक्षी को मारा है। जा तुझे कभी भी प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं हो पायेगी और तुझे भी वियोग झेलना पड़ेगा।) उसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध महाकाव्य "रामायण" (जिसे "वाल्मीकि रामायण" के नाम से भी जाना जाता है) की रचना की और "आदिकवि वाल्मीकि" के नाम से अमर हो गये। अपने महाकाव्य "रामायण" में उन्होंने अनेक घटनाओं के समय राम राम सब जगत बखाने | आदि राम कोइ बिरला जाने || अपने वनवास काल के दौरान भगवान"श्रीराम" वाल्मीकि के आश्रम में भी गये थे। भगवान वाल्मीकि को "श्रीराम" के जीवन में घटित प्रत्येक घटना का पूर्ण ज्ञान था। सतयुग, त्रेता और द्वापर तीनों कालों में वाल्मीकि का उल्लेख मिलता है इसलिए भगवान वाल्मीकि को सृष्टिकर्ता भी कहते है, रामचरितमानस के अनुसार जब श्रीराम वाल्मीकि आश्रम आए थे तो आदिकवि वाल्मीकि के चरणों में दण्डवत प्रणाम करने के लिए वे जमीन पर डंडे की भांति लेट गए थे और उनके मुख से निकला था "तुम त्रिकालदर्शी मुनिनाथा, विस्व बदर जिमि तुमरे हाथा।" अर्थात आप तीनों लोकों को जानने वाले स्वयं प्रभु हैं। ये संसार आपके हाथ में एक बैर के समान प्रतीत होता है। महाभारत काल में भी वाल्मीकि का वर्णन मिलता है। [ इन्हें भी देखें [ ] • • • सन्दर्भ [ ] • हजारीप्रसाद द्विवेदी (२००७). हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली. राजकमल प्रकाशन. पृ॰९१. 9788126713639. • Pattanaik, Devdutt (8 August 2020). mumbaimirr...

Valmiki Ramayana In Hindi

जब भी भगवान श्री राम के चरित्र की बात आती है, तो महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण (valmiki ramayana in hindi) को ही सबसे प्रमुख माना जाता है। महर्षि वाल्मीकि त्रेतायुग में जन्मे थे तथा भगवान राम के समकालीन थे, यही कारण है कि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण को ही सबसे ज्यादा मान्य माना जाता है। यदि रामायण का संधि विच्छेद किया जाए, तो वह होगा राम + आयणम्, जिसका अर्थ है “राम की जीवन यात्रा”। वाल्मीकि रामायण को विश्व का प्रथम काव्य माना जाता है तथा महर्षि वाल्मीकि को विश्व का आदि कवि कहा जाता है। क्या है रामायण? ऐसा कहा जाता है कि चारों वेद जिस परम तत्व का वर्णन करते हैं, वही रामायण में श्री राम के रूप में चित्रित किया गया है। श्री राम के रूप में अवतीर्ण होने पर साक्षात वेद ही महर्षि वाल्मीकि के मुख से श्री रामायण (valmiki ramayana in hindi) रूप में प्रकट हुए, इसलिए श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण की वेदतुल्य ही प्रतिष्ठा है। रामायण सभी के लिए पूजनीय है तथा देश की सच्ची बहुमूल्य राष्ट्रीय पूंजी है, इस कारण भी रामायण सबके लिये संग्रह, पठन, मनन एवं श्रवण करने योग्य है। भगवान राम के चरित्र का उल्लेख कई ग्रंथों में होता है तथा सभी में कुछ न कुछ भिन्नता देखने को मिलती है। इस भिन्नता का कारण हम विष्णु पुराण से समझ सकते हैं, जिसके अनुसार एक कल्प में 14 मन्वन्तर होते हैं और एक मन्वन्तर या मनुकाल में 71 चतुर्युग होते हैं और 1 चतुर्युग में सत्य, त्रेता, द्वापर और कलि ये चार युग होते, अर्थात एक मन्वन्तर में श्री राम 71 बार इस पृथ्वी पर जन्म लेते है तो इसी कारण कई तथ्य, स्थान, प्रसंग आदि बदल जाते हैं। You will also ❤️ these: 17 Powerful Quotes on Karma by Lord Buddha 11 Powerful Self-Confide...