Varn vikshepan kise kahate hain

  1. विस्थापन किसे कहते है
  2. अयोगवाह किसे कहते हैं
  3. वर्ण किसे कहते है? परिभाषा ( Varn kise kahate hai )
  4. वर्ण विचार, परिभाषा, भेद और उदाहरण
  5. वर्ण विचार, परिभाषा, भेद और उदाहरण
  6. अयोगवाह किसे कहते हैं
  7. वर्ण किसे कहते है? परिभाषा ( Varn kise kahate hai )
  8. विस्थापन किसे कहते है


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विस्थापन किसे कहते है

Table of Contents • • • Visthapan Kise Kahate Hain In Hindi विस्थापन किसे कहते हैं :-जब कोई वस्तु एक बिंदु से दूसरे बिंदु की तरफ किसी पथ पर गति करती है। तो उन दोनों बिंदुओं के बीच की निम्नतम दूरी को विस्थापन कहते है। विस्थापन उन दोनों बिंदुओं के बीच के पथ पर निर्भर नहीं करता है। यह केवल प्रारंभिक बिंदु व अंतिम बिंदु पर निर्भर करता है। विस्थापन का M.K.S. पद्धति में मात्रक मीटर होता है। विस्थापन एक सदिश राशि है। अर्थात विस्थापन के परिमाण के साथ-साथ इसकी दिशा भी होती है। दूरी और विस्थापन अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए जब हम कोई मोटरसाइकिल चला रहे होते हैं तो हमारे द्वारा उस मोटरसाइकिल के ऊपर प्राथमिक बिंदु से अंतिम बिंदु तक अर्थात जहां से हम चले तथा जहां पर जाकर हम रुके उन दोनों बिंदुओं के बीच की न्यूनतम लंबाई विस्थापन कहलाती है। लेकिन हमारे द्वारा उस मोटरसाइकिल के ऊपर तय की गई लंबाई दूरी कहलाती है। माना कि प्राथमिक बिंदु से अंतिम बिंदु के बीच की न्यूनतम दूरी 1 किलोमीटर है। फिर हम वापस उसी बिंदु पर आ जाते हैं अर्थात प्राथमिक बिंदु पर ही आ जाते है। तो वह प्राथमिक बिंदु हमारा अंतिम बिंदु भी हो जाता है। इस स्थिति में विस्थापन तो जीरो हो गया। लेकिन हमारे द्वारा चली गई कुल दूरी 2 किलोमीटर हो गई। दूरी दूरी किसे कहते हैं :-एक निश्चित समय अंतराल में किसी वस्तु द्वारा एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक की चली गई कुल लंबाई को दूरी कहते हैं। अर्थात किन्ही दो बिंदुओं के बीच के पथ की लंबाई को दूरी कहते हैं। Visthapan Aur Duri Me Antar विस्थापन व दूरी में अंतर :- कभी कभी दुरी व विस्थापन को एक ही मान लिया जाता है जो की बिल्कुल गलत है। दूरी व विस्थापन दोनों अलग है और इनका मान भी अलग अलग होता है। वि...

अयोगवाह किसे कहते हैं

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • अयोगवाह किसे कहते हैं एवं उसका प्रयोग कहाँ किया जाता है अयोगवाह की परिभाषा (ayogwah ki paribhasha) – ऐसे वर्ण जिनमें स्वर एवं व्यंजन दोनों के गुण पाए जाते हैं, उन्हें अयोगवाह कहते हैं। अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) अयोगवाह वर्ण होते हैं। अं एवं अ: अयोगवाह होते हैं। हिंदी में अयोगवाह की संख्या 2 होती है। अगर हम अयोगवाह नाम के आधार पर इन्हें परिभाषित करें तो- ऐसे वर्ण जो “अ” के योग से उच्चारित होते हैं और व्यंजन वर्णों का उच्चारण वहन करते हैं अयोगवाह कहलाते हैं। अयोगवाह कितने होते हैं – Ayogwah Kitne Hote Hain हिंदी वर्णमाला में दो अयोगवाह होते हैं. अं एवं अ: अयोगवाह होते हैं। अयोगवाह न तो पूर्ण रूप से स्वर होते हैं और ना ही पूर्ण रूप से व्यंजन होते हैं। आइए, अब इस बात को समझते हैं कि अयोगवाह वर्ण पूरी तरह स्वर क्यों नहीं होते हैं। स्वर की परिभाषा से हम जानते हैं कि इनका उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के किया जाता है, लेकिन अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(:) का उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के नहीं किया जा सकता। वर्णों का यह गुण व्यंजनों में पाया जाता है क्योंकि व्यंजन वर्णों का उच्चारण बिना स्वरों की सहायता के नहीं किया जा सकता। अतः यह दोनों वर्ण स्वर की परिभाषा को संतुष्ट नहीं करते हैं और इनमें व्यंजनों का गुण पाया जाता है। इस हिसाब से अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) को व्यंजन होना चाहिए। आइए, अब इस बात को समझते हैं कि अयोगवाह वर्ण पूरी तरह व्यंजन क्यों नहीं होते हैं। हम सभी जानते हैं कि जब किसी व्यंजन वर्ण को स्वर वर्ण से मिलाया या जोड़ा जाता है, तो स्वर वर्ण व्यंजन वर्ण को उच्चारित कर देते हैं। जब व्यंजनों के साथ अनुस्वार(...

वर्ण किसे कहते है? परिभाषा ( Varn kise kahate hai )

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • • वर्ण किसे कहते है? ( What is Characters ) परिभाषा ( Definition ) — किसी भाषा की ऐसी इकाई जिसके खंड संभव न हो वर्ण कहलाती है । वर्णमाला ( Alphabet ) परिभाषा ( Definition ) — वर्णों का समूह वर्णमाला कहलाता है । हिंदी भाषा के वर्णमाला में 11 स्वरों और 33 व्यंजनों को मिलाकर कुल 44 वर्ण हैं । जिन्हें दो भा गों में बाँटा जाता है I ( 1 ). स्वर ( 2 ). व्यंजन ( 1 ). स्वर ( Vowel ) परिभाषा ( Definition ) — वे ध्वनियाँ जिनके उच्चारण में वायु बिना किसी रुकावट मुख से बाहर निकलती है वह स्वर ( Vowel ) कहलाती हैं । हिंदी भाषा की वर्णमाला में कुल 11 स्वरों को शामिल किया जाता है । ‘ अ ‘ को छोड़कर प्रत्येक स्वर का एक मात्रा चिह्न होता है । स्वर के प्रकार ( Types of Vowels ) मात्रा के उच्चारण के आधार पर स्वर को 3 भागों में बाँटा जा सकता है — ( 1 ). ह्रस्व स्वर ( 2 ). दीर्घ स्वर ( 3 ). प्लुत स्वर ( 1 ). ह्रस्व स्वर ( Harswa Vowel ) परिभाषा ( Definition ) — जिन स्वरों के उच्चारण में केवल एक मात्रा का समय लगे यानी कम समय लगे ह्रस्व स्वर कहलाते हैं । ये संख्या में 4 हैं । जैसे की — अ , इ , उ , ऋ ( 2 ). दीर्घ स्वर ( Long Vowel ) परिभाषा ( Definition ) — जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्रा का समय लगे अर्थात् ह्रस्व स्वरों के मुकाबले दुगुना समय लगे वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं । ये संख्या में 7 हैं । जैसे की — आ , ई , ऊ , ऐ , ओ , ओ , औ ( 3 ). प्लुत स्वर ( Plain Voice ) परिभाषा ( Definition ) — इनके उच्चारण में तीन मात्रा का समय लगता है । ये स्वर संस्कृत भाषा के अंतर्गत आते हैं । जैसे — ओ ३ म् , इसमें ओ की ध्वनि को तीन गुना बढ़ाया गया है । इसी प्रकार राइम , इसम...

वर्ण विचार, परिभाषा, भेद और उदाहरण

बोर्ड परीक्षा में हाई स्कोर करें: हमारे SuccessCDs कक्षा 10 हिंदी कोर्स के साथ! Click here Varn Vichar in Hindi Grammar, Types of Varn Vichar, Varn Vichar Examples – वर्ण विचार की परिभाषा, वर्ण विचार के भेद और उदाहरण Varn Vichar in Hindi Grammar : वर्ण विचार - इस लेख में हम वर्ण विचार की परिभाष, वर्ण विचार कितने प्रसार के होते हैं तथा उनका उचरण के आधार पर कितना भागो में भाटा गया है को विस्तार - पूर्वक जानेंगे | • • • • • परिभाषा : बोलते समय हम जिन ध्वनियों का उच्चारण करते हैं वही ध्वनियाँ वर्ण या अक्षर कहलाती हैं। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वर्ण उस ध्वनि को कहते हैं जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते। इसका एक उदाहरण देखते हैं - राम पत्र लिखता है। इस वाक्य के खंड किए जा सकते हैं। इसमें चार शब्द प्रयुक्त हैं- “राम” “पत्र” “लिखता” तथा “है”। इन ध्वनियों को और अलग-अलग करके देखिए : राम - र् + आ + म् + अ पत्र - प् + अ + त् + र् + अ लिखता - ल् + इ + ख् + अ + त् + आ है - ह् + ऐ प्रत्येक शब्द के ध्वनि के अनुसार टुकड़े किए गए हैं। इन ध्वनियों तथा वर्णों के और टुकड़े नहीं किए जा सकते। अतः भाषा की सबसे छोटी मौखिक इकाई “ध्वनि” तथा इसके लिखित रूप को ‘वर्ण’ कहते हैं; जैसे- क् न् ज् ल् स् आदि। दूसरे शब्दों में “मौखिक ध्वनियों” को व्यक्त करने वाले चिह्न “वर्ण” कहलाते हैं। लिखित भाषा में प्रयुक्त किए जाने वाले वर्ण प्रत्येक भाषा में अलग-अलग होते हैं। हिंदी भाषा में इन वर्णों की कुल संख्या चवालीस (44) है। कहीं - कहीं इन वर्णों की संख्या अड़तालीस (48) भी बताई जाती है। वर्णमाला - वर्णों की माला यानी वर्णमाला। वर्णों के व्यवस्थित रूप को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी वर्ण...

वर्ण विचार, परिभाषा, भेद और उदाहरण

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अयोगवाह किसे कहते हैं

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • अयोगवाह किसे कहते हैं एवं उसका प्रयोग कहाँ किया जाता है अयोगवाह की परिभाषा (ayogwah ki paribhasha) – ऐसे वर्ण जिनमें स्वर एवं व्यंजन दोनों के गुण पाए जाते हैं, उन्हें अयोगवाह कहते हैं। अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) अयोगवाह वर्ण होते हैं। अं एवं अ: अयोगवाह होते हैं। हिंदी में अयोगवाह की संख्या 2 होती है। अगर हम अयोगवाह नाम के आधार पर इन्हें परिभाषित करें तो- ऐसे वर्ण जो “अ” के योग से उच्चारित होते हैं और व्यंजन वर्णों का उच्चारण वहन करते हैं अयोगवाह कहलाते हैं। अयोगवाह कितने होते हैं – Ayogwah Kitne Hote Hain हिंदी वर्णमाला में दो अयोगवाह होते हैं. अं एवं अ: अयोगवाह होते हैं। अयोगवाह न तो पूर्ण रूप से स्वर होते हैं और ना ही पूर्ण रूप से व्यंजन होते हैं। आइए, अब इस बात को समझते हैं कि अयोगवाह वर्ण पूरी तरह स्वर क्यों नहीं होते हैं। स्वर की परिभाषा से हम जानते हैं कि इनका उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के किया जाता है, लेकिन अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(:) का उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के नहीं किया जा सकता। वर्णों का यह गुण व्यंजनों में पाया जाता है क्योंकि व्यंजन वर्णों का उच्चारण बिना स्वरों की सहायता के नहीं किया जा सकता। अतः यह दोनों वर्ण स्वर की परिभाषा को संतुष्ट नहीं करते हैं और इनमें व्यंजनों का गुण पाया जाता है। इस हिसाब से अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) को व्यंजन होना चाहिए। आइए, अब इस बात को समझते हैं कि अयोगवाह वर्ण पूरी तरह व्यंजन क्यों नहीं होते हैं। हम सभी जानते हैं कि जब किसी व्यंजन वर्ण को स्वर वर्ण से मिलाया या जोड़ा जाता है, तो स्वर वर्ण व्यंजन वर्ण को उच्चारित कर देते हैं। जब व्यंजनों के साथ अनुस्वार(...

वर्ण किसे कहते है? परिभाषा ( Varn kise kahate hai )

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • • वर्ण किसे कहते है? ( What is Characters ) परिभाषा ( Definition ) — किसी भाषा की ऐसी इकाई जिसके खंड संभव न हो वर्ण कहलाती है । वर्णमाला ( Alphabet ) परिभाषा ( Definition ) — वर्णों का समूह वर्णमाला कहलाता है । हिंदी भाषा के वर्णमाला में 11 स्वरों और 33 व्यंजनों को मिलाकर कुल 44 वर्ण हैं । जिन्हें दो भा गों में बाँटा जाता है I ( 1 ). स्वर ( 2 ). व्यंजन ( 1 ). स्वर ( Vowel ) परिभाषा ( Definition ) — वे ध्वनियाँ जिनके उच्चारण में वायु बिना किसी रुकावट मुख से बाहर निकलती है वह स्वर ( Vowel ) कहलाती हैं । हिंदी भाषा की वर्णमाला में कुल 11 स्वरों को शामिल किया जाता है । ‘ अ ‘ को छोड़कर प्रत्येक स्वर का एक मात्रा चिह्न होता है । स्वर के प्रकार ( Types of Vowels ) मात्रा के उच्चारण के आधार पर स्वर को 3 भागों में बाँटा जा सकता है — ( 1 ). ह्रस्व स्वर ( 2 ). दीर्घ स्वर ( 3 ). प्लुत स्वर ( 1 ). ह्रस्व स्वर ( Harswa Vowel ) परिभाषा ( Definition ) — जिन स्वरों के उच्चारण में केवल एक मात्रा का समय लगे यानी कम समय लगे ह्रस्व स्वर कहलाते हैं । ये संख्या में 4 हैं । जैसे की — अ , इ , उ , ऋ ( 2 ). दीर्घ स्वर ( Long Vowel ) परिभाषा ( Definition ) — जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्रा का समय लगे अर्थात् ह्रस्व स्वरों के मुकाबले दुगुना समय लगे वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं । ये संख्या में 7 हैं । जैसे की — आ , ई , ऊ , ऐ , ओ , ओ , औ ( 3 ). प्लुत स्वर ( Plain Voice ) परिभाषा ( Definition ) — इनके उच्चारण में तीन मात्रा का समय लगता है । ये स्वर संस्कृत भाषा के अंतर्गत आते हैं । जैसे — ओ ३ म् , इसमें ओ की ध्वनि को तीन गुना बढ़ाया गया है । इसी प्रकार राइम , इसम...

विस्थापन किसे कहते है

Table of Contents • • • Visthapan Kise Kahate Hain In Hindi विस्थापन किसे कहते हैं :-जब कोई वस्तु एक बिंदु से दूसरे बिंदु की तरफ किसी पथ पर गति करती है। तो उन दोनों बिंदुओं के बीच की निम्नतम दूरी को विस्थापन कहते है। विस्थापन उन दोनों बिंदुओं के बीच के पथ पर निर्भर नहीं करता है। यह केवल प्रारंभिक बिंदु व अंतिम बिंदु पर निर्भर करता है। विस्थापन का M.K.S. पद्धति में मात्रक मीटर होता है। विस्थापन एक सदिश राशि है। अर्थात विस्थापन के परिमाण के साथ-साथ इसकी दिशा भी होती है। दूरी और विस्थापन अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए जब हम कोई मोटरसाइकिल चला रहे होते हैं तो हमारे द्वारा उस मोटरसाइकिल के ऊपर प्राथमिक बिंदु से अंतिम बिंदु तक अर्थात जहां से हम चले तथा जहां पर जाकर हम रुके उन दोनों बिंदुओं के बीच की न्यूनतम लंबाई विस्थापन कहलाती है। लेकिन हमारे द्वारा उस मोटरसाइकिल के ऊपर तय की गई लंबाई दूरी कहलाती है। माना कि प्राथमिक बिंदु से अंतिम बिंदु के बीच की न्यूनतम दूरी 1 किलोमीटर है। फिर हम वापस उसी बिंदु पर आ जाते हैं अर्थात प्राथमिक बिंदु पर ही आ जाते है। तो वह प्राथमिक बिंदु हमारा अंतिम बिंदु भी हो जाता है। इस स्थिति में विस्थापन तो जीरो हो गया। लेकिन हमारे द्वारा चली गई कुल दूरी 2 किलोमीटर हो गई। दूरी दूरी किसे कहते हैं :-एक निश्चित समय अंतराल में किसी वस्तु द्वारा एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक की चली गई कुल लंबाई को दूरी कहते हैं। अर्थात किन्ही दो बिंदुओं के बीच के पथ की लंबाई को दूरी कहते हैं। Visthapan Aur Duri Me Antar विस्थापन व दूरी में अंतर :- कभी कभी दुरी व विस्थापन को एक ही मान लिया जाता है जो की बिल्कुल गलत है। दूरी व विस्थापन दोनों अलग है और इनका मान भी अलग अलग होता है। वि...