विद्युत क्षेत्र की परिभाषा मात्रक एवं विमीय सूत्र लिखिए

  1. चुंबकीय क्षेत्र की परिभाषा क्या है ,मात्रक ,विमीय सूत्र Magnetic field in hindi चुंबकीय क्षेत्र किसे कहते हैं
  2. विद्युत आवेश तथा क्षेत्र नोट्स
  3. विद्युत क्षेत्र की परिभाषा लिखिए
  4. चुंबकीय क्षेत्र की परिभाषा क्या है ,मात्रक ,विमीय सूत्र Magnetic field in hindi चुंबकीय क्षेत्र किसे कहते हैं
  5. विद्युत क्षेत्र की परिभाषा लिखिए
  6. विद्युत आवेश तथा क्षेत्र नोट्स


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चुंबकीय क्षेत्र की परिभाषा क्या है ,मात्रक ,विमीय सूत्र Magnetic field in hindi चुंबकीय क्षेत्र किसे कहते हैं

अतः यह एक सदिश राशि है इसे B से प्रदर्शित करते है इसका SI मात्रक वेबर/वर्गमीटर (Weber/m 2) या टेसला (Tesla) है। तथा इसकी विमा (विमीय सूत्र ) M 1L 0T -2A -1है। चुंबकीय क्षेत्र में रखी हुई सुई उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र को प्रदर्शित करती है। असमान चुंबकीय क्षेत्र में दिशा अलग अलग होती है जबकि समान चुंबकीय क्षेत्र में दिशा एक ही होती है। स्थिर अवस्था में आवेश चुंबकीय क्षेत्र में किसी गतिमान आवेशित कण पर कार्य करने वाले बल को चुंबकीय बल कहते है। माना कोई आवेश q किसी चुंबकीय क्षेत्र B में V वेग से गति कर रहा है अतः q आवेश पर लगने वाला चुंबकीय बल निम्न सूत्र से दिया जाता है (जबकि विद्युत क्षेत्र अनुपस्थित है ) F = qVB यदि वेग V तथा चुंबकीय क्षेत्र B के मध्य कोण θ है तो F = qVB sinθ यदि कोण θ का मान 90 डिग्री है तो इस स्थिति में बल अधिकतम होगा जिसका मान निम्न सूत्र से दिया जाता है F maximum= qVB सूत्र से चुंबकीय क्षेत्र निकालने के लिए ] B = F max/qV यदि आवेशित कण पर 1 कूलॉम आवेश उपस्थित हो तथा आवेशित कण 1 मीटर प्रति सेकण्ड के वेग से गति कर रहा है अर्थात q = 1 C , V = 1 m/s अतः B = F अतः चुंबकीय क्षेत्र को निम्न प्रकार भी परिभाषित कर सकते है ” किसी स्थान पर एक मीटर प्रति सेकंड से (एकांक) गतिमान एक कूलॉम (एकांक) आवेशित कण पर लगने वाले बल के परिमाण को चुंबकीय क्षेत्र कहते है जबकि आवेश चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत गतिशील है। ” चुंबकीय क्षेत्र को अन्य कई नामो से जाना जाता है जैसे चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता , चुंबकीय प्रेरण व चुम्ब्कीय फ्लक्स घनत्व आदि। चुम्बकत्व लगभग 600 ईसा पूर्व से ज्ञात है कि मैग्नेटाइट नामक खनिज पदार्थ के टुकड़ों में लोहे के पदार्थों को आकर्षित करने का गुण है। ऐसे पदा...

विद्युत आवेश तथा क्षेत्र नोट्स

Physics class 12 chapter 1 notes in hindi pdf, इस पोस्ट में class 12 Physics chapter 1 के लगभग सारे टाॅपिक को कवर किया गया है। आशा है, कि आपको यह पोस्ट पसन्द आयेगा। Physics class 12 chapter 1 notes in hindi pdf विद्युत आवेश जब हम दो वस्तुओं (जैसे कांच की छड़ और रेशम) को आपस में रगड़ते हैं तो दोनों वस्तुएं आवेशित हो जाती हैं। परंतु इन दोनों वस्तुओं पर आवेश एक दूसरे से वितरित प्रकृति का होता है। एक वस्तु धनावेशित तथा दूसरी वस्तु ऋणावेशित हो जाती है। जैसा कि कांच की छड़ से इलेक्ट्रॉन निकलकर रेशम के टुकड़े में चले गए हैं इसलिए कांच की छड़ पर धनावेश तथा रेशम पर ऋणावेश आ जाता है क्योंकि ऋणावेशित परमाणु इलेक्ट्रॉन कांच की छड़ से निकल जाता है। यह हम जानते ही हैं कि इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है। इसी कारण कांच की छड़ पर धनात्मक आवेश आ जाता है। Note- परमाणु में भाग लेने वाले इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन ही होते हैं। किंतु परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन ही रहते हैं। जबकि इलेक्ट्रॉन परमाणु की बाहरी कक्षा में घूमता रहता है। इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है तथा प्रोटोन पर धनात्मक आवेश होता है एवं न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं होता यह उदासीन होता है। इलेक्ट्रॉन का आवेश = -e प्रोटोन का आवेश = +e α-कण का आवेश = +2e आवेश को दो भागों में बांटा गया है। (1) सजातीय आवेश (2) विजातीय आवेश (1) सजातीय आवेश इस प्रकार की आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं क्योंकि यह एक जैसी प्रकृति के आवेश होते हैं। जैसे (++ आवेश) या (– आवेश) । (2) विजातीय आवेश इस प्रकार की आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं क्योंकि यह विपरीत प्रकृति के आवेश होते हैं। जैसे (+- आवेश) या (-+ आवेश) । पढ़ें… मूल आवेश...

विद्युत क्षेत्र की परिभाषा लिखिए

Page Contents • • • • • • • • • • • • • • एक विद्युत क्षेत्र एक भौतिक क्षेत्र है जो एक विद्युत आवेश या आवेशों के समूह को घेरता है, जो अपनी सीमा के भीतर अन्य विद्युत आवेशित वस्तुओं पर एक बल लगाता है। विद्युत क्षेत्र को सदिश के रूप में वर्णित किया जा सकता है जिसमें परिमाण और दिशा दोनों होते हैं और वोल्ट प्रति मीटर (V/m) की इकाइयों में मापा जाता है। आवेशित वस्तु से दूरी बढ़ने पर विद्युत क्षेत्र की शक्ति कम हो जाती है, और यह विभिन्न कारकों से प्रभावित हो सकता है जैसे कि आवेश का प्रकार, आवेशों के बीच की दूरी, और माध्यम जिसके माध्यम से आवेश फैलते हैं। बिजली, चुंबकत्व और विद्युत चुम्बकीय विकिरण सहित विभिन्न घटनाओं में विद्युत क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। Join our Telegram Group Vidyut Kshetr ki Paribhaasha Vidyut Kshetr ki Paribhaasha : विद्युत क्षेत्र की परिभाषा एक हिंदी शब्द है जिसका उपयोग विद्युत क्षेत्र का वर्णन करने के लिए किया जाता है, एक अवधारणा जो बिजली और चुंबकत्व की प्रकृति को समझने में आवश्यक है। विद्युत क्षेत्र एक भौतिक घटना है जो विद्युत रूप से आवेशित वस्तुओं को घेरता है और इसके प्रभाव में अन्य आवेशित कणों पर बल लगाता है। इस लेख में, हम आपको विद्युत क्षेत्र की परिभाषा की बेहतर समझ प्रदान करते हुए विद्युत क्षेत्र की परिभाषा, घटकों और अनुप्रयोगों का पता लगाएंगे। What is an Electric field? विद्युत क्षेत्र की परिभाषा: जिसका उपयोग विद्युत क्षेत्र का वर्णन करने के लिए किया जाता है, एक भौतिक घटना जो विद्युत आवेशित वस्तुओं को घेरती है और इसके प्रभाव में अन्य आवेशित कणों पर एक बल लगाती है। एक विद्युत क्षेत्र एक भौतिक घटना है जो विद्युत रूप से आवेशित वस्तुओं को घेरता ...

चुंबकीय क्षेत्र की परिभाषा क्या है ,मात्रक ,विमीय सूत्र Magnetic field in hindi चुंबकीय क्षेत्र किसे कहते हैं

अतः यह एक सदिश राशि है इसे B से प्रदर्शित करते है इसका SI मात्रक वेबर/वर्गमीटर (Weber/m 2) या टेसला (Tesla) है। तथा इसकी विमा (विमीय सूत्र ) M 1L 0T -2A -1है। चुंबकीय क्षेत्र में रखी हुई सुई उस बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र को प्रदर्शित करती है। असमान चुंबकीय क्षेत्र में दिशा अलग अलग होती है जबकि समान चुंबकीय क्षेत्र में दिशा एक ही होती है। स्थिर अवस्था में आवेश चुंबकीय क्षेत्र में किसी गतिमान आवेशित कण पर कार्य करने वाले बल को चुंबकीय बल कहते है। माना कोई आवेश q किसी चुंबकीय क्षेत्र B में V वेग से गति कर रहा है अतः q आवेश पर लगने वाला चुंबकीय बल निम्न सूत्र से दिया जाता है (जबकि विद्युत क्षेत्र अनुपस्थित है ) F = qVB यदि वेग V तथा चुंबकीय क्षेत्र B के मध्य कोण θ है तो F = qVB sinθ यदि कोण θ का मान 90 डिग्री है तो इस स्थिति में बल अधिकतम होगा जिसका मान निम्न सूत्र से दिया जाता है F maximum= qVB सूत्र से चुंबकीय क्षेत्र निकालने के लिए ] B = F max/qV यदि आवेशित कण पर 1 कूलॉम आवेश उपस्थित हो तथा आवेशित कण 1 मीटर प्रति सेकण्ड के वेग से गति कर रहा है अर्थात q = 1 C , V = 1 m/s अतः B = F अतः चुंबकीय क्षेत्र को निम्न प्रकार भी परिभाषित कर सकते है ” किसी स्थान पर एक मीटर प्रति सेकंड से (एकांक) गतिमान एक कूलॉम (एकांक) आवेशित कण पर लगने वाले बल के परिमाण को चुंबकीय क्षेत्र कहते है जबकि आवेश चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत गतिशील है। ” चुंबकीय क्षेत्र को अन्य कई नामो से जाना जाता है जैसे चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता , चुंबकीय प्रेरण व चुम्ब्कीय फ्लक्स घनत्व आदि। चुम्बकत्व लगभग 600 ईसा पूर्व से ज्ञात है कि मैग्नेटाइट नामक खनिज पदार्थ के टुकड़ों में लोहे के पदार्थों को आकर्षित करने का गुण है। ऐसे पदा...

विद्युत क्षेत्र की परिभाषा लिखिए

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विद्युत आवेश तथा क्षेत्र नोट्स

Physics class 12 chapter 1 notes in hindi pdf, इस पोस्ट में class 12 Physics chapter 1 के लगभग सारे टाॅपिक को कवर किया गया है। आशा है, कि आपको यह पोस्ट पसन्द आयेगा। Physics class 12 chapter 1 notes in hindi pdf विद्युत आवेश जब हम दो वस्तुओं (जैसे कांच की छड़ और रेशम) को आपस में रगड़ते हैं तो दोनों वस्तुएं आवेशित हो जाती हैं। परंतु इन दोनों वस्तुओं पर आवेश एक दूसरे से वितरित प्रकृति का होता है। एक वस्तु धनावेशित तथा दूसरी वस्तु ऋणावेशित हो जाती है। जैसा कि कांच की छड़ से इलेक्ट्रॉन निकलकर रेशम के टुकड़े में चले गए हैं इसलिए कांच की छड़ पर धनावेश तथा रेशम पर ऋणावेश आ जाता है क्योंकि ऋणावेशित परमाणु इलेक्ट्रॉन कांच की छड़ से निकल जाता है। यह हम जानते ही हैं कि इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है। इसी कारण कांच की छड़ पर धनात्मक आवेश आ जाता है। Note- परमाणु में भाग लेने वाले इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन ही होते हैं। किंतु परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन ही रहते हैं। जबकि इलेक्ट्रॉन परमाणु की बाहरी कक्षा में घूमता रहता है। इलेक्ट्रॉन पर ऋणात्मक आवेश होता है तथा प्रोटोन पर धनात्मक आवेश होता है एवं न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं होता यह उदासीन होता है। इलेक्ट्रॉन का आवेश = -e प्रोटोन का आवेश = +e α-कण का आवेश = +2e आवेश को दो भागों में बांटा गया है। (1) सजातीय आवेश (2) विजातीय आवेश (1) सजातीय आवेश इस प्रकार की आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं क्योंकि यह एक जैसी प्रकृति के आवेश होते हैं। जैसे (++ आवेश) या (– आवेश) । (2) विजातीय आवेश इस प्रकार की आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं क्योंकि यह विपरीत प्रकृति के आवेश होते हैं। जैसे (+- आवेश) या (-+ आवेश) । पढ़ें… मूल आवेश...