विष्णु सहस्त्रनाम संस्कृत

  1. "विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ" पढ़ें
  2. विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र
  3. [PDF] Vishnu Sahasranamam in Hindi PDF
  4. [PDF] Aditya Hridaya Stotra PDF
  5. What is the name Vishnu Sahastra and its importance and benefits
  6. श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र । Sri Vishnu Sahasaranama Stotram in Sanskrit, Hindi with English Translation


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"विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ" पढ़ें

ओं नमो विष्णवे प्रभविष्णवे। श्रीवैशम्पायन उवाच। श्रुत्वा धर्मानशेषेण पावनानि च सर्वशः। युधिष्ठिरः शान्तनवं पुनरेवाभ्यभाषत ॥ ७ ॥ ॥ युधिष्ठिर उवाच ॥ किमेकं दैवतं लोके किं वाप्येकं परायणम्। स्तुवन्तः कं कमर्चन्तः प्राप्नुयुर्मानवाः शुभम् ॥ ८ ॥ को किं जपन्मुच्यते जन्तुर्जन्मसंसारबन्धनात् ॥ ९ ॥ ॥ श्री भीष्म उवाच ॥ जगत्प्रभुं देवदेवमनन्तं पुरुषोत्तमम्। स्तुवन्नामसहस्रेण पुरुषः सततोत्थितः ॥ १० ॥ तमेव चार्चयन्नित्यं भक्त्या पुरुषमव्ययम्। ध्यायन् स्तुवन्नमस्यंश्च यजमानस्तमेव च ॥ ११ ॥ अनादिनिधनं विष्णुं सर्वलोकमहेश्वरम्। लोकाध्यक्षं स्तुवन्नित्यं सर्वदुःखातिगो भवेत् ॥ १२ ॥ ब्रह्मण्यं सर्वधर्मज्ञं लोकानां कीर्तिवर्धनम्। लोकनाथं महद्भूतं सर्वभूतभवोद्भवम् ॥ १३ ॥ एष मे सर्वधर्माणां धर्मोऽधिकतमो मतः। यद्भक्त्या पुण्डरीकाक्षं स्तवैरर्चेन्नरः सदा ॥ १४ ॥ परमं यो महत्तेजः परमं यो महत्तपः। परमं यो महद्ब्रह्म परमं यः परायणम् ॥ १५ ॥ पवित्राणां पवित्रं यो मङ्गलानां च मङ्गलम्। दैवतं दैवतानां च भूतानां योऽव्ययः पिता ॥ १६ ॥ यतः सर्वाणि भूतानि भवन्त्यादियुगागमे। यस्मिंश्च प्रलयं यान्ति पुनरेव युगक्षये ॥ १७ ॥ तस्य लोकप्रधानस्य जगन्नाथस्य भूपते। विष्णोर्नामसहस्रं मे शृणु पापभयापहम् ॥ १८ ॥ यानि नामानि गौणानि विख्यातानि महात्मनः। ऋषिभिः परिगीतानि तानि वक्ष्यामि भूतये ॥ १९ ॥ ऋषिर्नाम्नां सहस्रस्य वेदव्यासो महामुनिः। छन्दोऽनुष्टुप् तथा देवो भगवान् देवकीसुतः ॥ २० ॥ अमृतांशूद्भवो बीजं शक्तिर्देवकिनन्दनः। त्रिसामा हृदयं तस्य शान्त्यर्थे विनियुज्यते ॥ २१ ॥ विष्णुं जिष्णुं महाविष्णुं प्रभविष्णुं महेश्वरम्। अनेकरूप दैत्यान्तं नमामि पुरुषोत्तमम् ॥ २२ ॥ भूः पादौ यस्य नाभिर्वियदसुरनिलश्चन्द्र सूर्यौ च नेत्रे कर्णा...

विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र

भगवान विष्णु के 1000 नामों का संस्कृत मैं संकलन विष्णु सहस्रनाम के प्रतिरूप में जाना जाता है। विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र के लाभ भगवान् श्री विष्णु की साधना में विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र को बेहद प्रभावशाली माना जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्रम् का पाठ करने से मनुष्य की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ कैसे करे हिन्दू धरम शास्त्रों के अनुसार सुबह जल्दी स्नान करके भगवान् श्री विष्णु की तस्वीर या मूर्ति के सामने विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्रम् का पाठ करे. सर्व प्रथम भगवान् श्री विष्णु का आवाहन करें और भगवान् श्री विष्णु को सर्व प्रथम आसन अर्पित करें, तत्पश्चात पैर धोने के लिए जल समर्पित करें आचमन अर्पित करें ,स्नान हेतु जल समर्पित करें ,तिलक करें , धुप -दीप दिखाएं ,प्रसाद अर्पित करें, आचमन हेतु जल अर्पित करें, तत्पश्चात नमस्कार करें । तत्पश्चात विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करे । विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र हिंदी में अनुवाद सहित हरिः ॐ विश्वं विष्णुर्वषट्कारो भूतभव्यभवत्प्रभुः । भूतकृद्भूतभृद्भावो भूतात्मा भूतभावनः ॥ 1 ॥ पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमागतिः । अव्ययः पुरुषः साक्षी क्षेत्रज्ञो‌உक्षर एव च ॥ 2 ॥ योगो योगविदां नेता प्रधान पुरुषेश्वरः । नारसिंहवपुः श्रीमान् केशवः पुरुषोत्तमः ॥ 3 ॥ सर्वः शर्वः शिवः स्थाणुर्भूतादिर्निधिरव्ययः । सम्भवो भावनो भर्ता प्रभवः प्रभुरीश्वरः ॥ 4 ॥ स्वयम्भूः शम्भुरादित्यः पुष्कराक्षो महास्वनः । अनादिनिधनो धाता विधाता धातुरुत्तमः ॥ 5 ॥ अप्रमेयो हृषीकेशः पद्मनाभो‌உमरप्रभुः । विश्वकर्मा मनुस्त्वष्टा स्थविष्ठः स्थविरो ध्रुवः ॥ 6 ॥ अग्राह्यः शाश्वतो कृष्णो लोहिताक्षः प्रतर्दनः । प्रभूतस्त्रिककुब्...

[PDF] Vishnu Sahasranamam in Hindi PDF

विष्णु भगवान इस लोक का पालन-पोषण करने वाले है। इसीलिए इन्हें समय-समय पर, जब भी आवश्यकता पड़ती है, इस लोक में प्रकट होना पड़ता है। ऐसा करने में इनका अपना पूर्वाग्रह नहीं है, तभी तो मत्स्य, कूर्म आदि अवतार लेने के साथ ही इन्होंने वराह अवतार ले इस लोक के राक्षसों का नाश किया, ताकि रसातल में जाती पृथ्वी की रक्षा की जा सके- मन व चित के राक्षसी विचार नष्ट हो। जो हर दिशा में विधमान है, उसे भी इस प्रकार सर्वत्र व्याप्त तत्व-इतना ही नहीं, सर्वरूप तत्व ही श्री विष्णु के नाम से श्रुति-पुराणों में कहा गया है। जब सब श्री विष्णु ही है, तो सभी नाम-रूप उसी के हुए। वह एक विष्णु-तत्व ही विभिन्न नामों से पुकारा जा रहा है। यह कहना भी शास्त्रों के अनुरूप ही होगा। देवी-देवताओं के अनेक नाम-रूपों के पीछे यही सत्य निहित है। कार्य भेद से एक ही अनेक रूपों में व्यवहार में प्रयुक्त होता है। यह जानना-समझना ही उपासना का परम लक्ष्य है, इसलिए अलग-अलग देवी-देवताओं के एक सौ आठ या एक हजार नामों के नित्य पाठ का माहात्म्य महापुरुषों तथा शास्त्रों ने गाया है। भीष्म पितामह द्वारा श्री विष्णु जी के एक सहस्त्र नामों का गान किया गया है, जिस पर आद्य शंकराचार्य का भाष्य उपलब्ध है। विद्वानजन मानते हैं कि किसी ग्रंथ पर यह उनका प्रथम भाष्य है। • वैष्णवों का सर्वप्रिय स्तोत्र है यह। इसीलिए श्लोकबद्ध स्तोत्र के शुद्ध पाठ के लिए अभ्यास की आवश्यकता है, इसलिए महाभारत में भीष्म पितामह द्वारा गाए गए इन नामों को नमस्कारात्मक रूप में सहस्त्रनामावली के रूप में अलग से भी दिया गया है। इनके द्वारा षोडशोपचार विधि से अभिषेक और पूजन भी किया जा सकता है। इस संपूर्ण आयोजन को श्रद्धालु भक्त स्वतंत्र रूप से कर सकते हैं। श्री विष्णु सहस्त्रनाम...

[PDF] Aditya Hridaya Stotra PDF

[PDF] Aditya Hridaya Stotra PDF | Aditya Hriday Stotra In Hindi PDF | Aditya Hrudayam Sanskrit PDF जय हो भगवान सूर्यदेव की 🚩 आदित्याय नमः। 🙏 आंखो के देवता भगवान सूर्य का अति प्रिय स्तोत्र है- आदित्य हृदयस्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra) कहा जाता है कि भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए इसी आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया था। Aditya Hrudaym Stotram - आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ करने से समस्त मनोकामना पूर्ण होती हैं। आदित्य हृदय स्तोत्र के नियमित पाठ करने से बड़े आश्चर्यजनक लाभ मिलते हैं। शुद्ध Aditya Hridaya Stotra PDF/ आदित्य हृदयम् संस्कृत पीडीएफ (Aditya Hrudayam Sanskrit PDF) कंहा मिलेगा? आदित्य हृदय स्तोत्रम् PDF डाउनलोड कैंसे करें- आपकी इसी चिन्ता को ध्यान में रखते हुए- हम यंहा आदित्य हृदय स्तोत्र का शुद्ध संस्कृत PDF व आदित्य हृदय स्तोत्र (हिंदी PDF) प्रदान कर रहे हैं। इसे भी दबाएँ- इसी के साथ विभिन्न अन्य भाषाओं में आदित्य हृदय स्तोत्र का पीडीएफ भी आपको नीचे दिया जा रहा। जैंसे कि Aditya Hriday Stotra In Hindi PDF, Aditya Hrudayam Sanskrit PDF, Aditya Hridaya Stotra PDFआदि। जय बोलो सूर्य भगवान की 🚩 Aditya Hridaya Stotra PDF के बारे में आदित्य हृदय स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra) आदित्य हृदय स्तोत्रम् वाल्मीकि रामायण के युद्धकाण्ड से अवतरित है। जब भगवान राम रावण को मारने के लिए उद्यत होते हैं तो सबसे पहले गुरु की आज्ञा अनुसार भगवान राम भगवान सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए व विजयप्राप्ति के लिए आदित्य हृदय स्तोत्रका पाठ करते हैं। कहा जाता है कि आदित्य हृदय स्रोत के पाठ करने से ही भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की। विभिन्न प्रकार की अभिलाषाओं, मनोकामनाओं को ...

What is the name Vishnu Sahastra and its importance and benefits

भगवान से जुड़ने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका भक्ति के साथ-साथ श्लोक स्त्रोत मंत्र और पुराणों का पाठ करना होता है हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा की जाती है इनमें से मुख्य रूप से ब्रह्मा विष्णु महेश सबसे महत्वपूर्ण देवता है। ब्रह्मा जी के द्वारा सृष्टि का निर्माण किया गया। भगवान विष्णु के द्वारा पूरी सृष्टि का संचालन अर्थात सृष्टि के कर्ताधर्ता और इसीलिए भगवान विष्णु का आज सभी पूजा पाठ में विशेष महत्व माना जाता है। भगवान विष्णु को जगत का पालन करता भी माना जाता है। संपूर्ण ब्रह्मांड में ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों देवता हे संपूर्ण सृष्टि के पालन का दायित्व मुख्य रूप से भगवान विष्णु पर है इसलिए सभी मनुष्यों की इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान विष्णु की आराधना पूजा पाठ का बहुत विशेष महत्व माना जाता है। कहते है कि भगवान विष्णु की आराधना करने से हर व्यक्ति को यश कीर्ति और लक्ष्मी की भी प्राप्ति होती है। अगर व्यक्ति अपने परिवार की शांति और अपने कुटुंब के पालन पोषण का कार्य सही ढंग से चाहता है तो भगवान का नाम और उसकी आराधना बहुत जरूरी है। विष्णु सहस्त्रनाम हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान विष्णु के 1000 नामों का वर्णन किया गया है विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के दोष और पाप से मुक्ति मिलती है इसीलिए हिंदू धर्म में विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ का बहुत विशेष महत्व है आइए आज हम आपको बताते हैं विष्णु सहस्रनाम की उत्पत्ति विष्णु सहस्रनाम की सही ढंग से पूजा करने की विधि विष्णु सहस्त्रनाम से जुड़ी हुई सभी महत्वपूर्ण जानकारी इस पोस्ट में देने जा रहे हैं.. • 1 विष्णु सहस्त्रनाम की उत्पत्ति • 2 भीष्म पितामह के द्वारा बताई गई विष्णु सह...

श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र । Sri Vishnu Sahasaranama Stotram in Sanskrit, Hindi with English Translation

विष्णु सहस्रनाम भगवान विष्णु के हजार नामों से युक्त एक प्रमुख स्तोत्र है। इसके अलग अलग संस्करण महाभारत, पद्म पुराण व मत्स्य पुराण में उपलब्ध हैं। स्तोत्र में दिया गया प्रत्येक नाम श्री विष्णु के अनगिनत गुणों में से कुछ को सूचित करता है। विष्णु जी के भक्त प्रात: पूजन में इसका पठन करते है। मान्यता है कि इसके सुनने या पाठ करने से मनुष्य की मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। वेदों और पुराणों भगवान विष्णु को श्रृष्टि का पालनहार कहा गया है। मानव जीवन से जुड़े सुख-दुख का चक्र श्री हरि‍ के हाथों में है। भगवान की उपासना में विष्णु सहस्रनाम के पाठ का बहुत महत्व है।यदि प्रतिदिन इन एक हजार नामों का जाप किया जाए तो सभी मुश्किलें हल हो सकती हैं। वैसे वैदिक परंपरा में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व माना गया है, अगर सही तरीके से मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो यह जीवन की दिशा ही बदल सकते हैं। क्या है विष्णु सहस्रनाम उद्ग्म स्रोत ?- विष्णु सहस्रनम की उत्पत्ति महाकाव्य महाभारत से मानी जाती है, जब पितामह भीष्म, पांडवों से घिरे मौत के बिस्तर पर अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे थे, उस समय ज्ञान पाने की इच्छा से ,युधिष्ठिर ने उनसे पूछा, "पितामह! कृपया हमें बताएं कि सभी के लिए सर्वोच्च आश्रय कौन है? जिससे व्यक्ति को शांति प्राप्त हो सके; वह नाम कौन सा है जिससे इस भवसागर से मुक्ति प्राप्त हो सके; कौन ऐसा है, जो सर्व व्याप्त है और सर्व शक्तिमान है? । इस सवाल के जबाब में पितामह भीष्म ने कहा की वह नाम ''विष्णु सहस्रनाम ''है। भीष्मपितामह ने विष्णु के एक हजार नाम बताने के साथ ही युधिष्ठिर से कहा कि हर युग में मनोकामना पूर्ति के लिए, इन एक हजार नामों को सुनना और पढ़ना सबसे उत्तम होगा। इसका नियमित पाठ करके हर संकट से ...