विष्णु स्तुति अर्थ सहित

  1. श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित
  2. PDF विष्णु सहस्त्रनाम अर्थसहित Vishnu Sahasranamam In Hindi Pdf
  3. इस स्तुति से होते हैं भगवान विष्णु प्रसन्न, खास अवसरों पर अवश्य पढ़ें...। vishnu stuti
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श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का उल्लेख महाभारत के अनुशासन पर्व में हुआ है। जब भीष्म पितामह मृत्यु शैया पर होते हैं तब उन्होंने युधिष्ठिर को भगवान विष्णु के दिव्य एक हजार ( 1000 ) नामों से युक्त इस कल्याणकारी स्तोत्र का उपदेश किया था। ॐ श्री परमात्मने नमः ॥ अथ श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम् ॥ यस्य स्मरणमात्रेण जन्मसंसारबन्धनात् । विमुच्यते नमस्तस्मै विष्णवे प्रभविष्णवे । अर्थ – जिनके स्मरण करने मात्र से मनुष्य जन्म-मृत्यु रूप संसार बन्धन से मुक्त हो जाता है, सबकी उत्पत्ति के कारणभूत उन भगवान विष्णु को नमस्कार है। नमः समस्तभूतानामादिभूताय भूभृते । अनेकरूपरूपाय विष्णवे प्रभविष्णवे । अर्थ – सम्पूर्ण प्राणियों के आदिभूत, पृथ्वी को धारण करने वाले, अनेक रूपधारी और सर्वसमर्थ भगवान विष्णु को प्रणाम है। [ वैशम्पायन उवाच ] श्रुत्वा धर्मानशेषेण पावनानि च सर्वशः । युधिष्ठिरः शान्तनवं पुनरेवाभ्यभाषत ॥1॥ अर्थ – [ वैशम्पायन जी कहते हैं ] राजन् ! धर्मपुत्र राजा युधिष्ठिर ने सम्पूर्ण विधिरूप धर्म तथा पापों का क्षय करने वाले धर्म रहस्यों को सब प्रकार सुनकर शान्तनु पुत्र [ युधिष्ठिर उवाच ] किमेकं दैवतं लोके किं वाप्येकं परायणम् । स्तुवन्तः कं कमर्चन्तः प्राप्नुयुर्मानवाः शुभम् ॥2॥ अर्थ – [ युधिष्ठिर बोले ] समस्त जगत में एक ही देव कौन है ? तथा इस लोक में एक ही परम आश्रय स्थान कौन है ? जिसका साक्षात्कार कर लेने पर जीव की अविद्यारूप हृदय-ग्रन्थि टूट जाती है, सब संशय नष्ट हो जाते हैं तथा सम्पूर्ण कर्म क्षीण हो जाते हैं। किस देव की स्तुति, गुण-कीर्तन करने से तथा किस देव का नाना प्रकार से बाह्य और आन्तरिक पूजन करने से मनुष्य कल्याण की प्राप्ति कर सकते हैं ? ॥2॥ को धर्मः सर्वधर्माणां भवतः परमो मतः । किं ...

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जय श्री हरी दोस्तों सभी लोग जानते है भगवान विष्णु सभी जीवों का भरण पोषण करने का उत्तरदायित्व निभा रहे है. मानवजाति पर जब भी कोई प्राण संकट आया है. तब भगवान विष्णु ने ही मनुष्य एवं अन्य सजीव योनी में अवतार लेकर मानवों के प्राणों की रक्षा की है. उसी परमेश्वर विष्णु के अवतार और महिमा की तरह उनके नाम भी अनंत है. उन्ही नमो में से भगवान महाविष्णु के १००० नाम इस पोस्ट में प्रकशित किये है. और सभी नाम अर्थसहित हिंदी में PDF DOWNLOAD के लिए उपलब्ध है. तो चलिए पढ़ते है.vishnu sahasranamam in hindi pdf 15.1 हमारे ब्लॉग पर और भी लेख पढे कष्टों से मुक्ति दनेवाले भगवान विष्णु के १००० नाम vishnu sahasranamam in hindi pdf 1 पावन 36 वाजसन 2 अनिल 37 शृङ्गी 3 अमृतांश 38 जयन्त 4 अमृतवपु 39 सर्वविज्जयी 5 सर्वज्ञ 40 सुवर्णबिन्दु 6 सर्वतोमुख 41 अक्षोभ्य 7 सुलभ 42 सर्ववागीश्वरेश्वर 8 सुव्रत 43 महाह्रद 9 सिद्ध 44 महागर्त 10 शत्रुजित 45 महाभूत 11 शत्रुतापन 46 महानिधि 12 न्यग्रोध 47 कुमुद 13 उदुम्बर 48 कुन्दर 14 अश्वत्थ 49 कुन्द 15 चाणूरान्ध्रनिषूदन 50 पर्जन्य 16 सहस्रार्चि 51 विश्वम् 17 सप्तजिह्व 52 विष्णु 18 सप्तैधा 53 वषट्कार 19 सप्तवाहन 54 भूतभव्यभवत्प्रभुः 20 अमूर्ति 55 भूतकृत 21 दुरारिहा 56 भूतभृत 22 शुभाङ्ग 57 भाव 23 लोकसारङ्ग 58 भूतात्मा 24 सुतन्तु 59 भूतभावन 25 तन्तुवर्धन 60 पूतात्मा 26 इन्द्रकर्मा 61 परमात्मा 27 महाकर्मा 62 मुक्तानां परमागतिः 28 कृतकर्मा 63 अव्ययः 29 कृतागम 64 पुरुषः 30 उद्भव 65 साक्षी 31 सुन्दर 66 क्षेत्रज्ञः 32 सुन्द 67 अक्षर 33 रत्ननाभ 68 योगः 34 सुलोचन 69 योगविदां नेता 35 अर्क 70 प्रधानपुरुषेश्वर शिवप्रिय भगवान विष्णु के १००० नाम vishnu sahasranamam in hindi pdf 71 नारसि...

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Amarnath Yatra 2023 : वर्ष 2023 में अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई 2023 से शुरू होने की संभावना है जोकि 31 अगस्त को समाप्त होगी। यदि आप भी अमरनाथ यात्रा करना चाहते हैं तो अमरनाथ यात्रा के पंजीकरण के लिए करीब 542 बैंक शाखाओं में 17 अप्रैल से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का काम शुरू हो गया है। यदि आप यात्रा की दुर्गमता को जानकर या रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण अमरनाथ यात्रा नहीं जा पा रह हैं तो यहां चले जाएं।

विष्णु

अनुक्रम • 1 शब्द-व्युत्पत्ति और अर्थ • 2 ऋग्वेद में विष्णु • 2.1 लोकत्रय के शास्ता: तीन पाद-प्रक्षेप • 2.2 विष्णु-धाम अर्थात् विष्णु का प्रिय आवास (वैकुण्ठ) • 2.3 विष्णु-इन्द्र युग्म अर्थात् इन्द्र-सखा • 2.4 परम वीर्यशाली • 2.5 कुत्सितों के लिए भयकारक • 2.6 व्यापक तथा अप्रतिहत गति वाले • 2.7 लोकोपकारक • 2.8 सर्जक-पालक-संहारक • 2.9 सर्वोच्चता • 3 ब्राह्मणों में विष्णु • 4 पौराणिक मान्यताएँ • 5 विष्णु का स्वरूप • 6 विष्णु-शिव एकता • 7 विष्णु के अवतार • 7.1 अवतार का प्रयोजन • 7.2 अवतारों की संख्या • 7.3 दशावतार • 7.4 अन्य अवतार • 8 108 नाम, महत्त्व और अर्थ • 9 इन्हें भी देखें • 10 सन्दर्भ • 11 बाहरी कड़ियाँ शब्द-व्युत्पत्ति और अर्थ [ ] 'विष्णु' शब्द की व्युत्पत्ति मुख्यतः 'विष्' धातु से ही मानी गयी है। ('विष्' या 'विश्' धातु लैटिन में - vicus और सालविक में vas -ves का सजातीय हो सकता है।) आदि शंकराचार्य ने भी अपने विष्णुसहस्रनाम-भाष्य में 'विष्णु' शब्द का अर्थ मुख्यतः व्यापक (व्यापनशील) ही माना है ऋग्वेद के प्रमुख भाष्यकारों ने भी प्रायः एक स्वर से 'विष्णु' शब्द का अर्थ व्यापक (व्यापनशील) ही किया है। विष्णुसूक्त (ऋग्वेद-1.154.1 एवं 3) की व्याख्या में आचार्य सायण 'विष्णु' का अर्थ व्यापनशील (देव) तथा सर्वव्यापक करते हैं; इस प्रकार सुस्पष्ट परिलक्षित होता है कि 'विष्णु' शब्द 'विष्' धातु से निष्पन्न है और उसका अर्थ व्यापनयुक्त (सर्वव्यापक) है। ऋग्वेद में विष्णु [ ] वैदिक देव-परम्परा में सूक्तों की सांख्यिक दृष्टि से विष्णु का स्थान गौण है क्योंकि उनका स्तवन मात्र 5 सूक्तों में किया गया है; लेकिन यदि सांख्यिक दृष्टि से न देखकर उनपर और पहलुओं से विचार किया जाय तो उनका महत्त्व बहुत ब...