Zero ki khoj kisne ki thi

  1. इलेक्ट्रॉन (Electron) की खोज किसने की, कब और कैसे हुई?
  2. Rh Factor क्या होता है, खोज और प्रभाव Rh Factor In Hindi
  3. भारत में जीरो की खोज किसने की थी और कब की थी?
  4. अमेरिका की खोज किसने की थी America Ki Khoj Kisne Ki Thi
  5. प्रोटॉन की खोज किसने की, कब और कैसे हुई?
  6. Rh Factor क्या होता है, खोज और प्रभाव Rh Factor In Hindi
  7. अमेरिका की खोज किसने की थी America Ki Khoj Kisne Ki Thi
  8. भारत में जीरो की खोज किसने की थी और कब की थी?
  9. प्रोटॉन की खोज किसने की, कब और कैसे हुई?
  10. इलेक्ट्रॉन (Electron) की खोज किसने की, कब और कैसे हुई?


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इलेक्ट्रॉन (Electron) की खोज किसने की, कब और कैसे हुई?

नमस्कार दोस्तों, दोस्तों आपने परमाणु के बारे में तो सुना ही होगा या फिर स्कूल में पढ़ा होगा, आपको पता होगा कि परमाणु इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है। इसमें इलेक्ट्रॉन परमाणु के चारों तरफ चक्कर लगाता है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि आखिरकार इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की थी अगर आप भी यह जानना चाहते हैं कि इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की थी तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से सारी जानकारी मिलने वाली है। तो चलिए दोस्तों जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की थी इलेक्ट्रॉन की खोज “जे. जे. थॉमसन” (Sir Joseph John Thomson) नामक वैज्ञानिक ने की थी, जे. जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) ने बोर मॉडल दिया था जिसमें उन्होंने बताया था कि परमाणु एक उदासीन गोला होता है जिसमें इलेक्ट्रॉन बसे हुए रहते हैं उन्होंने इसे समझाने के लिए तरबूज का उदाहरण भी दिया था कि जिस तरह से तरबूज में उसकी बीज होते हैं उसी तरह परमाणु में इलेक्ट्रॉन होते हैं लेकिन उनका यह मॉडल आगे चलकर गलत साबित कर दिया गया था, जब रदरफोर्ड ने अपना इलेक्ट्रॉन का मॉडल दिया तो उन्होंने यह सिद्ध किया कि परमाणु में इलेक्ट्रॉन उसके चारों तरफ पाए जाते हैं ना कि उसके बीच में परमाणु के बीच का स्थान रिक्त होता है तथा उसमें किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉन नहीं होते है। जे जे थॉमसन ने बाद में इस इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान भी ज्ञात किया था जो कि 1.6 × 10−19 कुलम्ब (C) एवं 9.109 × 10−31 कि. ग्रा. (kg) प्राप्त हुआ था। जे. जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) इसके अलावा भी अपने जीवन में अनेक प्रयोग किए थे तथा उन पर अध्ययन किया था। जे. जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) के द्वारा इलेक्ट्रॉन की खोज एक काफी बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि विज्ञान ...

Rh Factor क्या होता है, खोज और प्रभाव Rh Factor In Hindi

Rh Factor क्या होता है? Rh Factor की खोज किसने की थी? इन प्रश्नों के उत्तर इस पोस्ट What Is Rh Factor In Hindi में दिये गए है। रक्त समूह में विशेष एंटीजन की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर आरएच कारक का निर्धारण होता है। A, B, AB, O ब्लड ग्रुप के Positive + या Negative – आरएच कारक पर निर्भर है। तो आइए दोस्तों “Rh Blood Group System” क्या है और इसका गर्भावस्था पर क्या प्रभाव है? इनके बारे में संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास है। Contents • • • • आरएच कारक क्या है What Is Rh Factor In Hindi Rh Factor लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) की सतह पर पाया जाने वाला एक विशेष प्रोटीन है। अगर यह प्रोटीन RBC (Red Blood Cells) में उपस्थित है तो ब्लड Rh+ Positive होता है। इसके उलट अगर प्रोटीन उपस्थित नही है तो ब्लड Rh- Negative होगा। इस प्रोटीन को RhD एंटीजन भी कहते है। यह एंटीजन मनुष्य के रक्त में होने पर आरएच Positive है जबकि एंटीजन नही होने पर आरएच Negative होता है। इसके आधार पर ही Human Blood Group A+ (Positive) या A- (Negative) होता है। ठीक इसी तरह से B+, B-, AB+, AB-, O+, O- होता है। पूरी दुनिया में Rh+ रक्त समूह वाले ज्यादा है जबकि Rh- रक्त समूह बहुत कम लोगो में मिलता है। आरएच Negative ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं को गर्भावस्था में दिक्कत होती है। अगर पुरुष आरएच Positive है तो गर्भावस्था में विशेष सावधानी रखनी पड़ती है। आरएच Negative महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा अगर आरएच Positive है तो ज्यादा दिक्कत आती है। आरएच नेगेटिव महिला और आरएच पॉजिटिव पुरुष से पैदा हुआ बच्चा अगर Rh- है तो कोई दिक्कत नही आती है। क्योंकि महिला और बच्चे का ब्लड ग्रुप समान होता है। परन्तु अगर बच्चा Rh+ है तो प्र...

भारत में जीरो की खोज किसने की थी और कब की थी?

यहां पर हम जीरो की खोज किसने की थी (0 Ki Khoj Kisne Ki), जीरो की खोज क्यों हुई, जीरो का इतिहास क्या रहा है आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे। वैसे तो जीरो एक नो नेगेटिव संख्या है, जिसका कोई मान नहीं होता। लेकिन यदि यह किसी संख्या के पीछे लग जाए तो यह उसको 10 गुणा उसका मान बढ़ा देता है। वहीं जीरो जब किसी संख्या के पहले लग जाता है तो संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन यदि किसी संख्या के साथ जीरो का गुणा कर दिया जाए तो यह उस संख्या को भी जीरो बना देता है। किसी संख्या को यदि हम जीरो से भाग दें तो मान अनंत में आता है और यदि जीरो को हम किसी संख्या से भाग दें तो वह भी जीरो हो जाता है। इस प्रकार जीरो का भले ही अकेले कोई मान ना हो लेकिन किसी अन्य संख्या के साथ गुणा भाग करके उसमें परिवर्तन कर सकता है। तो चलिए आज के इस लेख में हम जानते हैं कि आखिर जीरो का आविष्कार किसने किया (Zero Ka Avishkar Kisne Kiya) और क्या रहा जीरो का इतिहास। वैसे शून्य के आविष्कार का मुख्य श्रेय भारतीय विद्वान ब्रह्मगुप्त को जाता है। क्योंकि 628 ईसवी में सबसे पहले इन्होंने ही शून्य के सिद्धांतों को पेश किया था। हालांकि कुछ लोग भारत के महान अर्थशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट को शून्य का आविष्कारक मानते हैं। क्योंकि ब्रह्मगुप्त से पहले आर्यभट्ट ने शून्य का प्रयोग किया था। लेकिन वे शून्य के सिद्धांत को नहीं दे पाए, जिस कारण उन्हें शून्य का मुख्य आविष्कार ना मानते हुए ब्रह्मगुप्त को शून्य का मुख्य आविष्कार माना जाता है। महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त का जीवन परिचय विस्तार से पढ़ने के लिए यहां जीरो का इतिहास जीरो का इतिहास काफी पुराना है। भारत के महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त के द्वारा 628 ईस्वी में जीरो के सिद्धांत देने से...

अमेरिका की खोज किसने की थी America Ki Khoj Kisne Ki Thi

अमेरिका की खोज किसने की थी ( America Ki Khoj Kisne Ki Thi) इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास इस आर्टिकल “Christopher Columbus History” में है। इतिहास की किताबों में आता है कि अमेरिका की खोज क्रिस्टोफर कोलंबस ने की थी। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि कोलंबस अमेरिका खोजने नही निकला था। वह भारत की खोज करने निकला था लेकिन अमेरिका पहुंच गया। तो आइए क्रिस्टोफर कोलंबस का इतिहास में अमेरिका की खोज (America Ki Khoj Kisne Ki Thi) जानने का प्रयास करते है। Contents • • • क्रिस्टोफर कोलम्बस का इतिहास Christopher Columbus In Hindi America Ki Khoj Kisne Ki Thi– क्रिस्टोफर कोलंबस एक नाविक थे जिनका जन्म 1451 ईसवी में जिनेवा, इटली में हुआ था। उनके पिता का नाम डोमेनिको कोलंबो था। कोलंबस का बचपन गरीबी में गुजरा था। उसे बचपन से ही समुद्री खोज करने की चाह थी। बचपन से ही कोलंबस ने जहाजी बनने की शिक्षा ली थी। कोलंबस के समय के लोग यह मानते थे कि दुनिया चपटी है। उनका मानना था कि समुद्र के रास्ते आगे जाने पर दुनिया खत्म हो जाएगी क्योंकि दुनिया का एक छोर है। कोलंबस ने साहस दिखाया और नई दुनिया की खोज के लिए निकले थे। क्रिस्टोफर कोलंबस ( Christopher Columbus) के अमेरिका खोजने के पीछे की कहानी बड़ी ही रोचक है। कोलंबस भारत की खोज करने निकले थे लेकिन अमेरिका पहुंच गए। वहां के लोगो को उन्होंने रेड इंडियन कहा। अमेरिका की खोज से पहले यह एक अनजान दुनिया थी। यूरोपवासियों को अमेरिका के बारे में नही पता था। कोलंबस ने नई दुनिया की खोज की थी। यूरोप के लोग भारत से लाये गए मसालों को खरीदते थे। अरब यूरोपवासियों को मसालें बेचा करते थे। यूरोप के लोगो के पास भारत जाने का जमीनी रास्ता नही था। भारत जाने के जमीनी रास्ते पर अरबों...

प्रोटॉन की खोज किसने की, कब और कैसे हुई?

प्रोटॉन (Proton)एकप्रकारकाधनात्मकवैद्युतआवेशएंवउपपरमाणविककणहोताहै, जोपरमाणुकेनाभिकमेंन्यूट्रॉनकेसाथपायाजाताहैं. कईलोग प्रोटॉनकीखोजकिसनेकी, कबऔरकैसेहुई? (Proton Ki Khoj) केबारेनहींजानतेहैंइसलिएइसलेखमेंइसकेबारेमेंसंपूर्णजानकारीदीगईहै. प्रोटॉनकीसबसेपहले H+ केरूपमेंयूजीनगोल्डस्टीनकेद्वारासन 1886 मेंदेखागयाथा. बादमेंइसेअर्नेस्टरदरफोर्ड (1917-1920) द्वाराकिसीअन्यपरमाणुकेनाभिकमेंएकधनात्मककणकेरूपमेंपहचानागयाऔरइसेएक“प्रोटॉन”कानामदियागया. यदिआपप्रोटॉनकीखोजकिसनेऔरकबकी? Proton ki khoj kisne kiकेबारेमेंअबभीसमझनहींपाएहैंतोइसआर्टिकलकोपूराअंततकजरूरपढ़िए. प्रोटॉनइतनेमहत्वपूर्णक्योंहैं? प्रोटॉनक्याहैइनहिंदी? (Definition of Proton in Hindi) प्रोटॉन (Proton) परमाणुकेनाभिकन्यूट्रॉनकेसाथपायाजाताहैं , जिसपरधनात्मकवैद्युतआवेश (Positively Charged) होतेहैं. परमाणुकेनाभिक (Nucleus) केअंतरप्रोटॉन (Proton) औरन्यूट्रॉन (Neutron) पाएजातेहैंऔरइलेक्ट्रॉनइसकेचारोंतरफचक्करलगातेहै. प्रोटॉनको p या p+ सेचिह्नितकियाजाताहै, जोपॉज़िटिवचार्जपार्टिकल (Proton) कोदर्शाताहै. प्रोटॉनकाद्रव्यमान 1.67×10^-27 kg होताहैजोइलेक्ट्रॉनकेद्रव्यमानका 1847 गुनाहै. साथहीइसपर 1.6021176634×10-19 कुलम्ब (Coulomb) होताहै. भौतिकीकेआधुनिकमानकमॉडलमें, यद्यपिप्रोटॉनकोमूलरूपसेमौलिकयाप्राथमिककण (elementary particle) मानाजाताथालेकिनयहअन्यछोटेछोटेअस्थाईसूक्ष्मकणोंसेमिलकरबनारहताहैजिन्हेक्वॉर्क (quarks) कहतेहैं. इसेहैड्रॉन (hadrons) केरूपमेंवर्गीकृतकियाजाताहैजैसेकिन्यूट्रॉनकोन्यूक्लियॉन (nucleon) केरूपमेंकियाजाताहै. प्रोटॉनकीखोजकिसनेकी ( Proton Ki Khoj Kisne Ki) यूजीनगोल्डस्टीनकेद्वारासन् 1886 मेंएनोडकिरणप्रयोगमेंप्रोटॉनको H+ केरूपसबसेपहलेदेखाग...

Rh Factor क्या होता है, खोज और प्रभाव Rh Factor In Hindi

Rh Factor क्या होता है? Rh Factor की खोज किसने की थी? इन प्रश्नों के उत्तर इस पोस्ट What Is Rh Factor In Hindi में दिये गए है। रक्त समूह में विशेष एंटीजन की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर आरएच कारक का निर्धारण होता है। A, B, AB, O ब्लड ग्रुप के Positive + या Negative – आरएच कारक पर निर्भर है। तो आइए दोस्तों “Rh Blood Group System” क्या है और इसका गर्भावस्था पर क्या प्रभाव है? इनके बारे में संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास है। Contents • • • • आरएच कारक क्या है What Is Rh Factor In Hindi Rh Factor लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) की सतह पर पाया जाने वाला एक विशेष प्रोटीन है। अगर यह प्रोटीन RBC (Red Blood Cells) में उपस्थित है तो ब्लड Rh+ Positive होता है। इसके उलट अगर प्रोटीन उपस्थित नही है तो ब्लड Rh- Negative होगा। इस प्रोटीन को RhD एंटीजन भी कहते है। यह एंटीजन मनुष्य के रक्त में होने पर आरएच Positive है जबकि एंटीजन नही होने पर आरएच Negative होता है। इसके आधार पर ही Human Blood Group A+ (Positive) या A- (Negative) होता है। ठीक इसी तरह से B+, B-, AB+, AB-, O+, O- होता है। पूरी दुनिया में Rh+ रक्त समूह वाले ज्यादा है जबकि Rh- रक्त समूह बहुत कम लोगो में मिलता है। आरएच Negative ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं को गर्भावस्था में दिक्कत होती है। अगर पुरुष आरएच Positive है तो गर्भावस्था में विशेष सावधानी रखनी पड़ती है। आरएच Negative महिला के गर्भ में पल रहा बच्चा अगर आरएच Positive है तो ज्यादा दिक्कत आती है। आरएच नेगेटिव महिला और आरएच पॉजिटिव पुरुष से पैदा हुआ बच्चा अगर Rh- है तो कोई दिक्कत नही आती है। क्योंकि महिला और बच्चे का ब्लड ग्रुप समान होता है। परन्तु अगर बच्चा Rh+ है तो प्र...

अमेरिका की खोज किसने की थी America Ki Khoj Kisne Ki Thi

अमेरिका की खोज किसने की थी ( America Ki Khoj Kisne Ki Thi) इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास इस आर्टिकल “Christopher Columbus History” में है। इतिहास की किताबों में आता है कि अमेरिका की खोज क्रिस्टोफर कोलंबस ने की थी। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि कोलंबस अमेरिका खोजने नही निकला था। वह भारत की खोज करने निकला था लेकिन अमेरिका पहुंच गया। तो आइए क्रिस्टोफर कोलंबस का इतिहास में अमेरिका की खोज (America Ki Khoj Kisne Ki Thi) जानने का प्रयास करते है। Contents • • • क्रिस्टोफर कोलम्बस का इतिहास Christopher Columbus In Hindi America Ki Khoj Kisne Ki Thi– क्रिस्टोफर कोलंबस एक नाविक थे जिनका जन्म 1451 ईसवी में जिनेवा, इटली में हुआ था। उनके पिता का नाम डोमेनिको कोलंबो था। कोलंबस का बचपन गरीबी में गुजरा था। उसे बचपन से ही समुद्री खोज करने की चाह थी। बचपन से ही कोलंबस ने जहाजी बनने की शिक्षा ली थी। कोलंबस के समय के लोग यह मानते थे कि दुनिया चपटी है। उनका मानना था कि समुद्र के रास्ते आगे जाने पर दुनिया खत्म हो जाएगी क्योंकि दुनिया का एक छोर है। कोलंबस ने साहस दिखाया और नई दुनिया की खोज के लिए निकले थे। क्रिस्टोफर कोलंबस ( Christopher Columbus) के अमेरिका खोजने के पीछे की कहानी बड़ी ही रोचक है। कोलंबस भारत की खोज करने निकले थे लेकिन अमेरिका पहुंच गए। वहां के लोगो को उन्होंने रेड इंडियन कहा। अमेरिका की खोज से पहले यह एक अनजान दुनिया थी। यूरोपवासियों को अमेरिका के बारे में नही पता था। कोलंबस ने नई दुनिया की खोज की थी। यूरोप के लोग भारत से लाये गए मसालों को खरीदते थे। अरब यूरोपवासियों को मसालें बेचा करते थे। यूरोप के लोगो के पास भारत जाने का जमीनी रास्ता नही था। भारत जाने के जमीनी रास्ते पर अरबों...

भारत में जीरो की खोज किसने की थी और कब की थी?

यहां पर हम जीरो की खोज किसने की थी (0 Ki Khoj Kisne Ki), जीरो की खोज क्यों हुई, जीरो का इतिहास क्या रहा है आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे। वैसे तो जीरो एक नो नेगेटिव संख्या है, जिसका कोई मान नहीं होता। लेकिन यदि यह किसी संख्या के पीछे लग जाए तो यह उसको 10 गुणा उसका मान बढ़ा देता है। वहीं जीरो जब किसी संख्या के पहले लग जाता है तो संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन यदि किसी संख्या के साथ जीरो का गुणा कर दिया जाए तो यह उस संख्या को भी जीरो बना देता है। किसी संख्या को यदि हम जीरो से भाग दें तो मान अनंत में आता है और यदि जीरो को हम किसी संख्या से भाग दें तो वह भी जीरो हो जाता है। इस प्रकार जीरो का भले ही अकेले कोई मान ना हो लेकिन किसी अन्य संख्या के साथ गुणा भाग करके उसमें परिवर्तन कर सकता है। तो चलिए आज के इस लेख में हम जानते हैं कि आखिर जीरो का आविष्कार किसने किया (Zero Ka Avishkar Kisne Kiya) और क्या रहा जीरो का इतिहास। वैसे शून्य के आविष्कार का मुख्य श्रेय भारतीय विद्वान ब्रह्मगुप्त को जाता है। क्योंकि 628 ईसवी में सबसे पहले इन्होंने ही शून्य के सिद्धांतों को पेश किया था। हालांकि कुछ लोग भारत के महान अर्थशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट को शून्य का आविष्कारक मानते हैं। क्योंकि ब्रह्मगुप्त से पहले आर्यभट्ट ने शून्य का प्रयोग किया था। लेकिन वे शून्य के सिद्धांत को नहीं दे पाए, जिस कारण उन्हें शून्य का मुख्य आविष्कार ना मानते हुए ब्रह्मगुप्त को शून्य का मुख्य आविष्कार माना जाता है। महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त का जीवन परिचय विस्तार से पढ़ने के लिए यहां जीरो का इतिहास जीरो का इतिहास काफी पुराना है। भारत के महान गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त के द्वारा 628 ईस्वी में जीरो के सिद्धांत देने से...

प्रोटॉन की खोज किसने की, कब और कैसे हुई?

प्रोटॉन (Proton)एकप्रकारकाधनात्मकवैद्युतआवेशएंवउपपरमाणविककणहोताहै, जोपरमाणुकेनाभिकमेंन्यूट्रॉनकेसाथपायाजाताहैं. कईलोग प्रोटॉनकीखोजकिसनेकी, कबऔरकैसेहुई? (Proton Ki Khoj) केबारेनहींजानतेहैंइसलिएइसलेखमेंइसकेबारेमेंसंपूर्णजानकारीदीगईहै. प्रोटॉनकीसबसेपहले H+ केरूपमेंयूजीनगोल्डस्टीनकेद्वारासन 1886 मेंदेखागयाथा. बादमेंइसेअर्नेस्टरदरफोर्ड (1917-1920) द्वाराकिसीअन्यपरमाणुकेनाभिकमेंएकधनात्मककणकेरूपमेंपहचानागयाऔरइसेएक“प्रोटॉन”कानामदियागया. यदिआपप्रोटॉनकीखोजकिसनेऔरकबकी? Proton ki khoj kisne kiकेबारेमेंअबभीसमझनहींपाएहैंतोइसआर्टिकलकोपूराअंततकजरूरपढ़िए. प्रोटॉनइतनेमहत्वपूर्णक्योंहैं? प्रोटॉनक्याहैइनहिंदी? (Definition of Proton in Hindi) प्रोटॉन (Proton) परमाणुकेनाभिकन्यूट्रॉनकेसाथपायाजाताहैं , जिसपरधनात्मकवैद्युतआवेश (Positively Charged) होतेहैं. परमाणुकेनाभिक (Nucleus) केअंतरप्रोटॉन (Proton) औरन्यूट्रॉन (Neutron) पाएजातेहैंऔरइलेक्ट्रॉनइसकेचारोंतरफचक्करलगातेहै. प्रोटॉनको p या p+ सेचिह्नितकियाजाताहै, जोपॉज़िटिवचार्जपार्टिकल (Proton) कोदर्शाताहै. प्रोटॉनकाद्रव्यमान 1.67×10^-27 kg होताहैजोइलेक्ट्रॉनकेद्रव्यमानका 1847 गुनाहै. साथहीइसपर 1.6021176634×10-19 कुलम्ब (Coulomb) होताहै. भौतिकीकेआधुनिकमानकमॉडलमें, यद्यपिप्रोटॉनकोमूलरूपसेमौलिकयाप्राथमिककण (elementary particle) मानाजाताथालेकिनयहअन्यछोटेछोटेअस्थाईसूक्ष्मकणोंसेमिलकरबनारहताहैजिन्हेक्वॉर्क (quarks) कहतेहैं. इसेहैड्रॉन (hadrons) केरूपमेंवर्गीकृतकियाजाताहैजैसेकिन्यूट्रॉनकोन्यूक्लियॉन (nucleon) केरूपमेंकियाजाताहै. प्रोटॉनकीखोजकिसनेकी ( Proton Ki Khoj Kisne Ki) यूजीनगोल्डस्टीनकेद्वारासन् 1886 मेंएनोडकिरणप्रयोगमेंप्रोटॉनको H+ केरूपसबसेपहलेदेखाग...

इलेक्ट्रॉन (Electron) की खोज किसने की, कब और कैसे हुई?

नमस्कार दोस्तों, दोस्तों आपने परमाणु के बारे में तो सुना ही होगा या फिर स्कूल में पढ़ा होगा, आपको पता होगा कि परमाणु इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है। इसमें इलेक्ट्रॉन परमाणु के चारों तरफ चक्कर लगाता है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि आखिरकार इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की थी अगर आप भी यह जानना चाहते हैं कि इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की थी तो आपको इस पोस्ट के माध्यम से सारी जानकारी मिलने वाली है। तो चलिए दोस्तों जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की थी इलेक्ट्रॉन की खोज “जे. जे. थॉमसन” (Sir Joseph John Thomson) नामक वैज्ञानिक ने की थी, जे. जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) ने बोर मॉडल दिया था जिसमें उन्होंने बताया था कि परमाणु एक उदासीन गोला होता है जिसमें इलेक्ट्रॉन बसे हुए रहते हैं उन्होंने इसे समझाने के लिए तरबूज का उदाहरण भी दिया था कि जिस तरह से तरबूज में उसकी बीज होते हैं उसी तरह परमाणु में इलेक्ट्रॉन होते हैं लेकिन उनका यह मॉडल आगे चलकर गलत साबित कर दिया गया था, जब रदरफोर्ड ने अपना इलेक्ट्रॉन का मॉडल दिया तो उन्होंने यह सिद्ध किया कि परमाणु में इलेक्ट्रॉन उसके चारों तरफ पाए जाते हैं ना कि उसके बीच में परमाणु के बीच का स्थान रिक्त होता है तथा उसमें किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉन नहीं होते है। जे जे थॉमसन ने बाद में इस इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान भी ज्ञात किया था जो कि 1.6 × 10−19 कुलम्ब (C) एवं 9.109 × 10−31 कि. ग्रा. (kg) प्राप्त हुआ था। जे. जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) इसके अलावा भी अपने जीवन में अनेक प्रयोग किए थे तथा उन पर अध्ययन किया था। जे. जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) के द्वारा इलेक्ट्रॉन की खोज एक काफी बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि विज्ञान ...

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