10 महाविद्या के बीज मंत्र

  1. Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि पर 10 महाविद्या के मंत्र से पूरी होगी मनोकामना, बनेंगे सारे बिगड़े काम
  2. magh gupt navratri 2022 gupt navratri is the day of worship of 10 mahavidya devotees should keep these things in mind tvi
  3. 10 महाविद्या
  4. 10 MahaVidhya Mantra महाविद्या मंत्र साधना – Das Maha Vidhaya 10 Great Goddess
  5. 10 महाविद्या के नाम, पूजा से लाभ और मंत्र, 10 महाविद्या स्तोत्र
  6. Dasa Mahavidya Mantras Yantras
  7. 10 महाविद्या कौन कौन से हैं?


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Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि पर 10 महाविद्या के मंत्र से पूरी होगी मनोकामना, बनेंगे सारे बिगड़े काम

Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि पर 10 महाविद्या के मंत्र से पूरी होगी मनोकामना, बनेंगे सारे बिगड़े काम शक्ति साधना में 10 महाविद्या की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूरी करने वाली मानी गई है. गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) के महापर्व पर आखिर किस मंत्र से किस देवी की बरसेगी कृपा, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख. हिंदू धर्म में शक्ति की साधना के लिए नवरात्रि (Navratri) के लिए का पर्व अत्यंत ही शुभ माना गया है. देवी की पूजा के लिए साल में कुल चार नवरात्रि आती है, जिसमें से दो नवरात्रि पर शक्ति (Shakti) की साधना प्रत्यक्ष रूप से और दो नवरात्रि पर अप्रत्यक्ष रूप या फिर कहें गुप्त रूप से की जाती है. जिस नवरात्रि पर देवी दुर्गा (Goddess Durga) की अप्रत्यक्ष रूप से साधना की जाती है, उसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. इस साल गुप्त नवरात्रि का महापर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानि 30 जून 2022 से प्रारंभ हो रहा है. गुप्त नवरात्रि महापर्व पर 10 महाविद्या (10 Mahavidya) की पूजा का विधान है, जिसे करने पर साधक को रोग, शोक, शत्रु आदि से मुक्ति और सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. आइए जीवन से जुड़ी सभी कामनाओं को पूरा करने वाली गुप्त नवरात्रि की पूजा का महाउपाय जानते हैं. गुप्त नवरात्रि के पहले दिन करें मां काली की पूजा गुप्त नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के 10 स्वरूपों में एक मां काली की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म के अनुसार 10 महाविद्या 10 दिशाओं की अधिकृत शक्तियां हैं. ऐसे में गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की पूजा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके करें और माता की पूजा में ‘क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा’ मंत्र का जप करें. गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां तारा की ...

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Gupt Navratri 2022 Mantras: हिंदू पंचाग के अनुसार नवरात्रि साल में 4 बार मनाई जाती है. जिनमें दो प्रत्यक्ष नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि होती है. माघ माह में गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी यानी से शुरू हुई है, जिसका समापन 11 फरवरी को होगा. चैत्र और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है जबकि गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या की पूजा होती है. 1. देवी काली:- मंत्र – ‘ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः’ 2. तारा देवी:- मंत्र- ‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट’ 3. त्रिपुर सुंदरी देवी:- मंत्र – ‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः’ 4. देवी भुवनेश्वरी:- मंत्र – ‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः’ 5. देवी छिन्नमस्ता:- मंत्र- ‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:’ 6. त्रिपुर भैरवी देवी:- मंत्र- ‘ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:’ 7. धूमावती माता:- मंत्र- ‘ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:’ 8. बगलामुखी माता:- मंत्र – ‘ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:’ 9. मातंगी देवी:- मंत्र- ‘ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:’ 10. देवी कमला:- मंत्र- ‘ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:’ • भक्तों को 9 दिनों तक ब्रह्मचर्य नियम का पालन करना चाहिए. • सबसे पहला नियम यह है कि गुप्त नवरात्रि में देवी की साधना पूरी तरह से गुप्त तरीके से करना चाहिए. भूलकर भी की जाने वाली साधना-आराधना का प्रचार या महिमामंडन नहीं करना चाहिए. • इन दिनों तामसिक भोजन का परित्याग करें. • शक्ति की साधना में देवी की साधना हमेशा एक निश्चित समय और एक निश्चित स्थान पर करनी चाहिए. साधना करने के लिए हमेशा अपने आसन का ही प्रयोग करें. कभी भी दूसरे के आसन का प्रयोग बैठने के लिए नहीं करना चाहिए. • शक्ति ...

10 महाविद्या

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • माँ यह 10 महाविद्या माता सती ने 10 महाविद्या नाम इन 10 महाविद्याओं के नाम है : • काली महाविद्या • महाविद्या तारा • त्रिपुर सुंदरी महाविद्या • महाविद्या भुवनेश्वरी • महाविद्या भैरवी • महाविद्या छिन्नमस्ता • महाविद्या धूमावती • महाविद्या बगलामुखी • महाविद्या मातंगी • महाविद्या कमला इन दस महाविद्याओं के रूप की साधना मुख्य रूप से तांत्रिक विद्या व शक्तियां प्राप्त करने के लिए की जाती हैं। इसलिए इन्हें तांत्रिक महाविद्या या शक्तियां भी कहा जाता हैं। तंत्र क्रिया या सिद्धि प्राप्ति के लिए इन 10 महाविद्याओं का विशेष महत्व होता है। इन 10 विद्याओं की साधना और उपासना से मनुष्य को विशेष फल की प्राप्ति होती है। इन महाविद्याओं को दशावतार माना गया है। 10 महाविद्याएं मां दुर्गा के ही रूप है जिसे सिद्धि देने वाली माना जाता है। मां दुर्गा के इन दस महाविद्याओं की साधना करने वाला व्यक्ति को सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। प्रकृति के कण-कण में ये दस महाविद्या समाहित हैं। सारे ब्रह्मांड का मूल भी इन्ही महाविद्याओं में विराजमान है। 10 महाविद्या के प्राकट्य की कहानी शिव का अनादर करने के उद्देश्य से राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया, जिसमें उन्होंने शिवजी के अतिरिक्त अन्य सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया। राजा दक्ष ने अपनी अन्य पुत्रिओं और दामाद चंद्र देव को भी यज्ञ में आमंत्रित किया था। माता सती को इस यज्ञ के बारे में पता चला तो सती भगवान शिव से यज्ञ में जाने की हठ करने लगीं, परन्तु शिव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। इस पर सती ने क्रोधवश एक भयंकर स्वरूप धारण कर लिया। सती का ऐसा रूप देखकर भगवान 10 महाविद्या का रू...

10 MahaVidhya Mantra महाविद्या मंत्र साधना – Das Maha Vidhaya 10 Great Goddess

दस महाविद्या यंत्र तथा मंत्र साधना दश महाविद्या मंत्र | दश महाविद्या मंत्र – दश महाविद्या मंत्र दस महाविद्याओं की उच्च आवृत्तियों के साथ स्वयं को अभ्यस्त करने का एक शक्तिशाली मंत्र है। मंत्र का जाप मंत्र सिद्ध करने से ही प्राप्त की जा सकती है। मंत्र की सिद्धि 125000 माला 21 दिन में सम्पूर्ण करनी चाहिए| दश महाविद्या मंत्र दस महाविद्याओं की उच्च आवृत्तियों के साथ स्वयं को अभ्यस्त करने का एक शक्तिशाली मंत्र है। दश महाविद्या शक्ति के दस दिव्य तत्वों का एक समूह है। प्रत्येक महाविद्या का एक विशिष्ट पहलू और उससे संबंधित शक्ति है। महाविद्या का अर्थ केवल समझ, रहस्योद्घाटन या अभिव्यक्ति है। महाविद्याओं को प्रकृति में तांत्रिक माना जाता है और आमतौर पर काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भैरवी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, बगलामुखी, धूमावती, मातंगी और कमला के रूप में पहचानी जाती हैं। हालाँकि, महाविद्या ग्रंथ यह स्पष्ट करते हैं कि महाविद्या वास्तव में एक समूह हैं; और, वे सभी देवी के अवतरण हैं। यह कहा जाता है; कि उसकी प्रत्येक विद्या अपने आप में महान है। उनमें श्रेष्ठता और हीनता की भावना को कभी भी आड़े नहीं आने देना चाहिए। सभी का समान रूप से सम्मान किया जाना चाहिए। उनके बीच का अंतर केवल उनके दिखावे और स्वभाव में है। और फिर भी वे सभी देवी के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं। काली की शक्ति; तारा की ध्वनि शक्ति; सुंदरी की सुंदरता और आनंद; भुवनेश्वरी की विशाल दृष्टि; भैरवी का दीप्तिमान आकर्षण; छिन्नमस्ता की मारक शक्ति; धूमावती की मूक जड़ता; बगलामुखी की पंगु बनाने वाली शक्ति; मातंगी का अभिव्यंजक नाटक; और कमलात्मिका का सामंजस्य और सामंजस्य विभिन्न विशेषताएं हैं, ब्रह्मांड में व्याप्त देवी की सर्वोच्च चेतना क...

10 महाविद्या के नाम, पूजा से लाभ और मंत्र, 10 महाविद्या स्तोत्र

मां दुर्गा के दसो रूपों को दसमहाविद्या के रूप में जाना जाता है प्रत्येक रूप का अपना नाम, कहानी,गुंण, और मंत्र हैं। इनके नाम हैं – काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला। तंत्र क्रिया या सिद्धि प्राप्ति के लिए इन 10 महाविद्याओं का विशेष महत्व होता है। मां काली 10 महाविद्याओं में से पहली देवी है। माता सती ने भगवान शिव पर क्रोधित हो उन्हें दिखाने के लिए कि वह वास्तव में क्या है उन्होंने ये अलग रूप ग्रहण किया था। 10 महाविद्या की उत्पत्ति Table of Contents • • • • • • • • • • • • • माता सती भगवान शिव की पत्नी और दक्ष प्रजापति की पुत्री थी, जो ब्रह्मा जी के वंशज थे। माता सती ने अपने पिता की इक्षा के विरुद्ध भगवान शिव से विवाह किया था। राजा दक्ष ने एक महान यज्ञ किया जिसका एकमात्र उद्देश्य भगवान शिव का अपमान करना ही था जिसमें उन्होंने भगवान शिव को छोड़कर सभी देवी देवताओं को आमंत्रित किया। माता सती ने नारद मुनि से अपने पिता के यज्ञ के बारे में सुना तो उन्होंने भगवान शिव जी से यज्ञ में भाग लेने की अनुमति मांगी उन्होंने कहा कि एक बेटी को अपने पिता के निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है पर भगवान शिव ने उन्हें यज्ञ में ना जाने की सलाह दी यह सुनते ही माता सती उग्र हो गई उन्हें लगा कि शिवजी उनके साथ एक अज्ञानी महिला की तरह व्यवहार कर रहे हैं ना कि ब्रह्मांड की मां के रूप में। भगवान शिव को दिखाने के लिए कि वह वास्तव में क्या है उन्होंने एक अलग रूप ग्रहण किया एक दिव्य मां का ऐसा होते ही समुद्रों में विशालकाय तूफान उठने लगे पहाड़ हिल गए और उनके रूप ने संपूर्ण वातावरण को अविश्वसनीय कर दिया। ALSO READ : यह रूप देखकर भगवान शिव संन रह गए और स्थिति को...

Dasa Mahavidya Mantras Yantras

Dasa Mahavidyas The Dasa(Ten) Mahavidyas In Tantra, worship concerning Devi-Shakti is transferred to as a Vidya. Of the hundreds of tannic practiced, the worship of the teen major Devis is called the Dasa Mahavidya. These major forms by the goddess are described into aforementioned Todala Tantra. They are Kali, Tara, Maha Tripura Sundari (or Shodasi-Sri Vidya), Bhuvaneshvari, Chinnamasta, Bhairavi, Dhumavati, Bagalamukhi, Matangi, and Kamal. These ten aspects of Shakti are of epitome of the entire making. Chapter 10 or outlines their consorts, although Dhumavati, the relict form, is not allocated a consort. There are several “levels” at which these Devis can be praised with the prescribed Mantra and Yantra. Like a simple pray of the yantra with one motto recitation, as a remedial astrological measurement, elaborate worship with all tantrak services for attaining various siddhis associated with these tantras and used spiritual salvation. Successful sadhana of these Vidyas gives several boons to the practitioner. Aforementioned Tantrik-Yogi anyone has check over you senses and posative inclined uses to boons to guide people and for which benefit from mankind. This one whose headpiece starts spinning with success use them for the gratification regarding that senses, gather an bunch of disciples around them also become fake gurus. Todala Tantra equates Vishnu‟s ten inbegriff with the to Mahavidyas like chases: “Shri Devi said: Lord of Gods, Guru of the universe, tell me of the...

10 महाविद्या कौन कौन से हैं?

• Das Mahavidya: 10 महाविद्या के नाम, उत्पत्ति , पूजा, मंत्रसे लाभ | Ten Mahavidya In Hindi • Das Mahavidya: विभिन्न दिशाओं की विभिन्न शक्तियों के नाम • Das Mahavidya: पुराणों में प्रचलित कथा (महत्व) • Das Mahavidya: समस्त कामनाओं को प्रदान करने वाली 10 महाविद्यायें • माता काली – • माता काली बीज मंत्र- • मां तारा – • मां तारा बीज मंत्र – • त्रिपुरसुन्दरी – • माता त्रिपुरसुन्दरी बीज मंत्र – • भुवनेश्वरी – • मॉं भुवनेश्वरी बीज मंत्र – • छिन्नमस्ता – • छिन्नमस्ता माता बीज मंत्र – • त्रिपुरभैरवी – • त्रिपुरभैरवी देवी बीज मंत्र – • धूमावती – • धूमावती माता बीज मंत्र – • बगलामुखी – • मॉं बगलामुखी बीज मंत्र – • मातंगी – • मातंगी माता बीज मंत्र – • कमला – • मॉं कमला बीज मंत्र – • Das Mahavidya : महाविद्या पाठ के लाभ विषयसूची Show • • • • • • • • • • • • • • • • • • Das Mahavidya प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में तरह-तरह की अभिलाषायें तथा आकांक्षायें रखता है कुछ लोगों की मनोकामनायें पूर्ण हो जाती हैं तो कुछ की अपूर्ण रहती हैं। आज हम आपको उन Dash Mahavidya महाविद्याओं के संबंध में जानकारी देने वाले हैं जिनकी साधना से मनुष्य अपनी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकता है। प्रकृति की समस्त शक्तियों में तथा परमपिता द्वारा रचित इस ब्रह्मांण्ड के मूल में यह महाविद्यायें समाहित हैं इनकी साधना करके मनुष्य अपने इस लोक को तो सुधारता ही है साथ ही वह परलोक को भी सुधार सकता है। सनातन धर्म में दस के अंक का अपना ही एक महत्व है। जैसा कि हम जानते हैं कि दिशाओं की कुल संख्या भी 10 ही है तथा यह महाविद्यायें प्रत्येक दिशा की शक्तियां हैं। ये 10 Mahavidya महाविद्यायें माता आदिशक्ति का ही अवतार हैं। Das Mahavidya:...