2025 में सरस्वती पूजा कब है

  1. Basant panchami 2023: इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती
  2. Basant Panchami 2022: सरस्वती पूजन से मिलेगी करियर में सफलता, जानें शुभ मुहूर्त और इसका महत्व
  3. Basant Panchami Kab Hai Today Or Tomorrow Remove Confusion Know Saraswati Puja 2023 Time Vidhi Upay In Hindi
  4. 2022 में सरस्वती पूजा कब है New Delhi, India में


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Basant panchami 2023: इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से प्रसन्न होंगी मां सरस्वती

साल की शुरुआत में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है बसंत पंचमी 2023 (Basant Panchami 2023)। वसंत पंचमी (Vasant Panchami) के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) की जाती है। यह त्योहार पूरे भारत वर्ष में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है। प्राचीन परंपराओं के अनुशार वेदों में जिन 6 ऋतुओं वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर और बसंत का वर्णन किया गया है, उनमें से बसंत ऋतु का आगमन का प्रतीक यह त्योहार है। वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही फूलों पर बहार, खेतों में चमकता सरसों का सोना, जौ और गेहूँ की बालियाँ, आमों के पेड़ पर बौर और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियां मंडराती दिखाई देने लगती है। वसंत पंचमी (Basant Panchami 2023) को हिंदू माह माघ के पांचवे दिन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल बसंत पंचमी जनवरी के अंतिम सप्ताह में मनाया जाएगा। आइए इस त्योहार के विषय में विस्तृत रूप से जानते हैं…. 2023 में सिर्फ सकारात्मकता पर रहे आपका फोकस, इसीलिए बसंत पंचमी 2023 का महत्व हिंदू परंपराओं और शास्त्रों में बसंत पंचमी (Basant Panchami 2023) को ऋषि पंचमी के नाम से भी उल्लेखित किया गया है। माघ माह की शुक्ल पंचमी को मनाए जाने वाले इस महत्वपूर्ण त्योहार “बसंत पंचमी” को और भी कई नामों से जाना जाता है है। जिसमें श्री पंचमी, ऋषि पंचमी, वागीश्वरी जयंती, मदनोत्सव और सरस्वती पूजा (saraswati puja) उत्सव शामिल है। बसंत पंचमी 2023 (Basant panchami 2023) के दिन ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती की उपासना की जाती है, यह मां सरस्वती का आविर्भाव दिवस है। मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की प्रदाता कहा गया है। वहीं इनकी उत्पत्ती के दौरान इनके हाथों में वीणा ...

Basant Panchami 2022: सरस्वती पूजन से मिलेगी करियर में सफलता, जानें शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

• • Faith Hindi • Basant Panchami 2022: सरस्वती पूजन से मिलेगी करियर में सफलता, जानें शुभ मुहूर्त और इसका महत्व Basant Panchami 2022: सरस्वती पूजन से मिलेगी करियर में सफलता, जानें शुभ मुहूर्त और इसका महत्व Basant Panchami 2022: वसंत पंचमी के दिन घर में सरस्वती माता की पूजा करने से करियर में सफलता मिलती है. अगर आप कला में रुचि रखते हैं, तो मां सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए. Basant Panchami 2022 Date: Know the Shubh Muhurat And Puja Vidhi Details Basant Panchami 2022: माघ के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी कहा जाता है. वसंत पंचमी पर सरस्वती माता की पूजा की जाती है, जिन्हें ज्ञान, वाणी और कला की देवी भी कहा जाता है. बता दें कि इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि जिन बच्चों को ज्ञान, वाणी और कला में रुचि होती है, उन्हें नियमित रूप से सरस्वती माता की पूजी करनी चाहिए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से खास लाभ मिलते हैं? तो चलिए जानते हैं कि इस पर्व की मान्यता क्या है और इसे कैसे मनाया जाता है. Also Read: • • • क्या है सरस्वती पूजा का महत्व? मान्यताओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती का ब्रह्माजी के मुख से अवतरण हुआ था. इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती माता की पूजा इस दिन करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं. जिन लोगों को ज्ञान, वाणी और कला में बेहतर प्रदर्शन करना है, उन्हें मां सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए. सरस्वती पूजा की तिथि पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 05 फरवरी य...

Basant Panchami Kab Hai Today Or Tomorrow Remove Confusion Know Saraswati Puja 2023 Time Vidhi Upay In Hindi

Basant Panchami 2023: खिले हुए सुन्दर रंग-बिरंगें पीले सरसों के फूलों की खेतों पर बिछी चादर, नदियों की कलकल, मौसम की सुहानी हलचल, पंख फैलाए नाचते सुन्दर मोर, ये सब देखकर लगता है कि प्रकृति कह रही हो कि ऋतुराज बसन्त का आगमन हो रहा है. इसी बसंत में बसंत पंचमी को वाणी-विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा-आराधना के लिए विशेष है, जिसका सुखद एहसास सभी देवों, ग्रहों तक को हो, जिसका हर दिन दूध में बताशें की तरह धूल जाए फिर जिस बसंतोत्सव के अधिष्ठाता श्री कृष्ण हो, जिसके प्रमुख देवता कामदेव-रति हो, जिससे यह ऋतु कामदेव की सहचर मानी जाएं, उसके वर्णन में उसके प्रभाव तथा जो प्रकृति को पीले फूलों से श्रृंगारित कर दें अनगिनत शब्द भी कम होंगे. ज्ञान प्राप्ति के लिए मां सरस्वती की ही पूजा क्यों कि जाती हैं? जब देवी सरस्वती, श्रीकृष्ण को देखा तो वो उनके रूप पर मोहित हो गई और पति के रूप में पाने की इच्छा करने लगी और भगवान कृष्ण को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने कहा कि वे तो राधा के प्रर्ति समर्पित है. ऐसे में सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने वरदान दिया कि-विद्या की इच्छा रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को जो तुम्हारा पूजन करेगा, उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी. ऐसा वरदान देने के बाद स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने सर्वप्रथम देवी की पूजा की और तभी से विद्या आरम्भ से माँ सरस्वती की पूजा-उपासना का प्रचलन भी चल रहा है. बंसती पंचमी को लेकर दूर करें कन्फ्यूजन है इस वर्ष बसंत पंचमी को लेकर कई लोगों में कन्फ्यूजन है कि बसंत पंचमी 25 को है या 26 को. बसंत पंचमी गुरुवार 26 जनवरी 2023 को ही है. क्योंकि सनातन धर्म में हर त्यौहार को उदयातिथि के अनुसार ही मनाया जाता है. और...

2022 में सरस्वती पूजा कब है New Delhi, India में

आइए जानते हैं कि 2022 में सरस्वती पूजा कब है व सरस्वती पूजा 2022 की तारीख व मुहूर्त। माघ महीने शुक्ल पक्ष की पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को वसंत पंचमी के तौर पर मनाने की भी परंपरा है। यह दिन ज्ञान, विद्या, बुद्धिमत्ता, कला और संस्कृति की देवी माँ सरस्वती को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि माघ शुक्ल पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा विशेष फलदायी होती है और इस दिन माँ शारदा के पूजन का बहुत महत्व है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है; दरअस्ल मान्यता है कि यह बहुत ही शुभ समय है। यूँ तो इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा के उपरान्त कलश स्थापना कर देवी सरस्वती का पूजन आरंभ करने का विधान है। सरस्वती स्तोत्र का पाठ देवी की प्रसन्नता और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए किया जाना चाहिए। विद्या-दात्री माँ शारदा का निम्न मंत्र से ध्यान करना चाहिए – या कुंदेंदु-तुषार-हार-धवला, या शुभ्रा - वस्त्रावृता, या वीणा - वार - दण्ड - मंडित - करा, या श्वेत - पद्मासना। या ब्रह्माच्युत - शङ्कर - प्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दित, सा मां पातु सरस्वती भगवती नि: शेष - जाड्यापहा।। उपर्युक्त श्लोक का अर्थ है कि जो देवी कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोतियों के हार की तरह श्वेत वर्ण वाली है तथा जो श्वेत वस्त्र धारण करती है; जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभा पा रहा है व जो श्वेत कमल पर विजारमान हैं; ब्रह्मा-विष्णु-शिव आदि देवताओं द्वारा जो हमेशा पूजित हैं तथा जो संपूर्ण जड़ता व अज्ञान को दूर करने वाली है; ऐसी हे माँ सरस्वती! आप हमारी रक्षा करें। सरस्वती-लक्ष्मी-पार्वती की त्रिमूर्ति में से एक देवी सरस्वाती शुद्ध बुद्धि और ज्ञान देने वाली हैं। शास्त्रों के अनुसार वे भगवान ब्रह्मा की अर्धांगिनी ह...