अमरनाथ मंदिर कहा है

  1. History of Amarnath temple
  2. अमरनाथ मंदिर
  3. अमरनाथ मंदिर गुफा का इतिहास
  4. Amarnath Mandir Ngt Clarification Restriction Only In Front Of Shivling
  5. Amarnath Cave
  6. बुड्ढा अमरनाथ
  7. अमरनाथ गुफा का इतिहास और कहानी
  8. Amarnath Yatra 2022: दो साल बाद शुरू हो रहे अमरनाथ यात्रा में क्या है खास, पूरी DetailsAmarnath Yatra 2022: What is special in Amarnath Yatra starting after two years, complete details


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History of Amarnath temple

अमरनाथ गुफा एक हिन्दू तीर्थ स्थान है जो भारत के जम्मू कश्मीर में स्थित है। अमरनाथ गुफा जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से लगभग 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिन्दू धर्म में इस तीर्थ स्थान का काफी महत्व है और हिन्दुओ में तीर्थ स्थान को सबसे पवित्र माना जाता है। इस गुफा के चारो तरफ बर्फीली पहाड़ियाँ है। बल्कि यह गुफा भी ज्यादातर समय पूरी तरह से बर्फ से ढकी होती है और साल में एक बार इस गुफा को श्रद्धालुओ के लिये खोला भी जाता है। हजारो लोग रोज़ अमरनाथ बाबा के दर्शन के लिये जाते है । इतिहास में इस बात का भी जिक्र किया जाता है की, महान शासक आर्यराजा कश्मीर में बर्फ से बने शिवलिंग की पूजा करते थे। रजतरंगिनी किताब में भी इसे अमरनाथ या अमरेश्वर का नाम दिया गया है। कहा जाता है कि 11 वी शताब्दी में रानी सुर्यमठी ने त्रिशूल, बना लिंग और दुसरे पवित्र चिन्हों को मंदिर में भेट स्वरुप दिये थे। अमरनाथ गुफा की यात्रा की शुरुवात प्रजाभट्ट द्वारा की गयी थी। इसके साथ-साथ इतिहास में इस गुफा को लेकर कई दुसरे कथाए भी मौजूद है। कहा जाता है की मध्य कालीन समय के बाद, 15वी शताब्दी में दोबारा धर्मगुरूओ द्वारा इसे खोजने से पहले लोग इस गुफा को भूलने लगे थे। इस गुफा से संबंधित एक और कहानी भृगु मुनि की है। बहुत समय पहले, कहा जाता था की कश्मीर की घाटी जल मग्न है और कश्यप मुनि ने कुई नदियों का बहाव किया था। इसीलिए जब पानी सूखने लगा तब सबसे पहले भृगु मुनि ने ही सबसे पहले भगवान अमरनाथ जी के दर्शन किये थे। इसके बाद जब लोगो ने अमरनाथ लिंग के बारे में सुना तब यह लिंग भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग कहलाने लगा और अब हर साल लाखो श्रद्धालु भगवान अमरनाथ के दर्शन के लिए जाते है। If you are facing problems in your carrier, ...

अमरनाथ मंदिर

यहाँ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस जगह पर हर वर्ष बर्फ द्वारा स्वतः एक बेहद अमरनाथ मंदिर (Amarnath Dham Mandir) के ऐतिहासिक महत्त्व और चमत्कारों की भी अनेक किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं। अलग-अलग लोगों द्वारा यहाँ के बारे में अलग-अलग कथायें कही जाती हैं। बर्फ से अपने आप शिवलिंग का बनना भी अपने आप में एक चमत्कारिक अनुभव है। आइये जानते हैं आज इस तीर्थ स्थल के बारे में प्रचलित किंवदंतियां, ऐतिहासिक महत्त्व, और अन्य आवश्यक जानकारियों के साथ-साथ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में। अमरनाथ मंदिर का महत्व (Significance of Amarnath Mandir) बर्फ की चादर से ढके होने की वजह से बारह महीने यह अमरनाथ धाम भक्तों के लिए खुला रहना संभव नहीं है। इसीलिए मंदिर के पट केवल सावन के महीने में ही भक्तों के लिए खुले रहते हैं, जब बर्फानी बाबा अपने भक्तों को अपने अद्भुत एवं चमत्कारी स्वरूप के दर्शन देते हैं। यह पवित्र अमरनाथ यात्रा साल भर में 45 दिन ही होती है जो आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर कुछ लोगों के अनुसार हिन्दुओं का यह पवित्र मंदिर 18 महाशक्तिपीठों में से एक माना जाता है। अमरनाथ मंदिर की भौगोलिक स्थिति (Geographical Location of Amarnath Temple) अमरनाथ मंदिर, ऐतिहासिक महत्त्व (Historical Significance) इस पवित्र तीर्थ के निर्माण के पीछे एक ऐतिहासिक और दिलचस्प कहानी प्रचलित है। पुराणों की अनुसार यहाँ पर भगवान भोले शंकर ने देवी पार्वती को ब्रह्मांड के निर्माण और अमरत्व की कहानी सुनाई थी। कहते हैं कि एक बार परन्तु इस अमर रहस्य को सुनाने के लिए शिवजी को एक ऐसे एकांत स्थान की तलाश थी जहाँ कोई भी जीव उसे सुन न सके और उनकी यह तलाश अमरनाथ गुफा में ख़तम हुई। इसी प्रयोजन से उन्होंने अपने वाहन नंदी को पहलगाम में छोड़ दिय...

अमरनाथ मंदिर गुफा का इतिहास

अमरनाथ मंदिर गुफा का इतिहास | हिमालय की गोदी में स्थित भगवान शिव को समर्पित अमरनाथ का मंदिर हिंदुओं के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जिससे लाखों-करोड़ों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। यह पवित्र तीर्थराज श्रीनगर के उत्तर-पूर्व में 135 किलोमीटर दूर स्थित है, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई करीब 13 हजार, 600 फुट है। इस पवित्र गुफा की लंबाई 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर है। भगवान शिव के इस प्रमुख अमरनाथ गुफा में भगवान शंकर और माता पार्वती के अमरत्व का रहस्य बताया गया था, इसलिए इस पवित्र स्थल को तीर्थों का तीर्थ भी कहा जाता है। इस पवित्र गुफा के दर्शन करने से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं, हालांकि इसके दर्शन बेहद दुर्लभ हैं, बड़ी मुश्किलों के बाद भक्तगण इसके दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं। इस पवित्र मंदिर का अपना एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। हिन्दुओं के इस पवित्र गुफा की यह विशेषता है कि यहां हर साल बर्फ से बेहद सुंदर शिवलिंग बनता है, इसलिए इसे बर्फानी वाले बाबा, स्वयंभू‘हिमानी शिवलिंग’ आदि के नाम से भी जाना जाता है। इस पवित्र हिमलिंग के दर्शन करने दूर-दूर से भक्त जन यहां पहुंचते हैं। अमरनाथ की यात्रा पूरे साल में करीब 45 दिन की होती है, जो ज्यादातर जुलाई और अगस्त के बीच में होती है। आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर भाई-बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन तक होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए दुनिया के कोने-कोने से शिव भक्त अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं। तो चलिए जानते हैं इस पवित्र तीर्थस्थल के बारे में– अमरनाथ मंदिर गुफा का इतिहास –Lord Amarnath temple history in Hindi इस गुफा के चारो तरफ बर्फीली पहाड़ियाँ है। बल्कि यह गुफा भी ज्यादातर समय पूरी तरह से बर्फ से ढंकी हुई होत...

Amarnath Mandir Ngt Clarification Restriction Only In Front Of Shivling

एनजीटी ने पर अपने निर्देशों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि अमरनाथ को 'शांत क्षेत्र' घोषित नहीं किया गया है. एनजीटी ने कहा कि प्रतिबंध केवल शिवलिंग के सामने खड़े भक्तों पर लगाया गया है ताकि वे उस जगह पर शांति बनाए रखें. ये प्रतिबंध और किसी जगह पर लागू नहीं होगा. NGT issues clarification on Amarnath matter, says its not declared silent zone. Only restriction that devotees will maintain silence in front of Shivling. Not applicable to any other part. One way queue will be maintained — ANI (@ANI) साथ ही एनजीटी ने ये भी कहा कि ये प्रतिबंध आरती और अन्य पूजा की रस्मों में लागू नहीं होगा. निर्देश केवल गुफा की पवित्रता बनाए रखने और शिवलिंग पर कोई प्रतिकूल शोर का प्रभाव ना पड़े, ये सुनिश्चित करने के लिए हैं NGT on Amarnath matter: These directions are to maintain sanctity of the cave and to ensure no adverse noise impact on shivling. Silence restrictions will not apply on Arti and other rituals — ANI (@ANI) एनजीटी का ये स्पष्टीकरण बुधवार को जारी किए गए उस निर्देश के बाद आया है जिसमें ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्याओं को रोकने के लिए अमरनाथ मंदिर को शांत क्षेत्र घोषित कर दिया गया था और मंदिर के पास के क्षेत्र में घंटी बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. एनजीटी का ये फैसला पिछली सुनवाई के बाद आया था जिसमें ये सुझाव दिया गया था. हिमस्खलन और ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए अमरनाथ मंदिर को शांत क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए. • Sri Lanka vs Ireland Sri Lanka beat Ireland by an innings and 10 runs • England vs Ireland England beat Ireland by 10 wickets • Australia vs India Australia beat India by 209 runs...

Amarnath Cave

अमरनाथ ( Amarnath Cave ) भारत के जम्मू एवं कश्मीर राज्य में स्थित एक हिंदू तीर्थस्थल है, जो भगवान शिव को समर्पित है। शिवजी की मान्यता हिन्दू धर्म में सबसे अधिक है। यह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है तथा वार्षिक अमरनाथ यात्रा के दौरान हर साल हजारों तीर्थयात्री यहाँ भगवान शिव की आराधना करने आते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा सुंदर हिमालय श्रृंखला से घिरा हुआ है। मंदिर का मुख्य आकर्षण प्राकृतिक रूप से निर्मित बर्फ का शिवलिंग है। Table of Contents • • • • • • Where is Amarnath Shivling located? | अमरनाथ शिवलिंग कहाँ स्थित है? मंदिर सुंदर हिमालय पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है तथा पहलगाम या बालटाल से पैदल या घोड़े की सवारी से पहुँचा जा सकता है, अमरनाथ यात्रा तीर्थयात्रा के लिए यह दो लोकप्रिय शुरुआती बिंदु हैं। Source: अमरनाथ मंदिर भारतीय राज्य जम्मू एवं कश्मीर की कश्मीर घाटी में स्थित है। यह पहलगाम शहर के पास 3,888 मीटर की ऊंचाई पर एक संकरी घाटी में स्थित है। How to reach | अमरनाथ कैसे पहुंचे भारत के अलग-अलग स्थानों से परिवहन के विभिन्न साधनों द्वाराअमरनाथ मंदिर तक पहुँचना संभव है। आप अपनी सुविधा अनुसार इनका चयन कर सकते हैं। वायु मार्ग द्वारा पहुँचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वहां से आप अपनी सुविधा के अनुसार टैक्सी किराए पर ले सकते है या पहलगाम या बालटाल तक पहुंचने के लिए बस ले सकते है। रेल मार्ग द्वारा जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी रेलवे स्टेशन है, जो भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वहां से कोई टैक्सी किराए पर लेक...

बुड्ढा अमरनाथ

पाकिस्तानी क्षेत्र से तीन ओर से घिरी सीमावर्ती पुंछ घाटी के उत्तरी भाग में पुंछ कस्बे से 23 किमी की दूरी पर स्थित बुड्ढा अमरनाथ मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द की कथा भी सुनाता है जो इस क्षेत्र में है। वैसे यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने कश्मीर में स्थित अमरनाथ की गुफा में माता पार्वती को जो अमरता की कथा सुनाई थी उसकी शुरुआत बुड्ढा अमरनाथ के स्थान से ही हुई थी और अब यह मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शनों के बिना अमरनाथ की कथा ही नहीं, बल्कि अमरनाथ यात्रा भी अधूरी है। कितने आश्चर्य की बात है कि हिन्दुओं का धार्मिक स्थल होने के बावजूद इसके आसपास कोई हिन्दू घर नहीं है और इस मंदिर की देखभाल आसपास रहने वाले मुस्लिम परिवार तथा सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं। मंदिरों की नगरी जम्मू से 246 किमी दूरी पर स्थित पुंछ घाटी के राजपुरा मंडी क्षेत्र, जहाँ तक पहुँचने के लिए किसी प्रकार की पैदल यात्रा नहीं करनी पड़ती है और जिसके साथ ही कश्मीर का क्षेत्र तथा बहुत ही खूबसूरत लोरन घाटी लगती है, में स्थित बुड्ढा अमरनाथ का मंदिर चकमक पत्थर से बना हुआ है। यह सभी अन्य शिव मंदिरों से पूरी तरह से भिन्न है। मंदिर की चारदीवारी पर लकड़ी के काम की नक्काशी की गई है जो सदियों पुरानी बताई जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिव द्वारा सुनाई जाने वाली अमरता की कथा की शुरुआत भी यहीं से हुई थी। पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के कदमों में ही स्थित मंदिर के आसपास के पहाड़ सालभर बर्फ की सफेद चादर से ढँके रहते हैं जो हमेशा ही एक अद्भुत नजारा प्रस्तुत करते हैं। मंदिर के एक ओर लोरन दरिया भी बहता है जिसे 'पुलस्त्य दरिया' भी कहा जाता है और उसका पानी बर्फ से भी अधिक ठंडक लिए रहता है। सनद रहे कि पुंछ कस्बे का पहला नाम पुलस्त्य ही थ...

अमरनाथ गुफा का इतिहास और कहानी

5/5 - (2 votes) Amarnath Cave In Hindi : अमरनाथ मंदिर या अमरनाथ गुफा भगवान शिव के भक्तों के लिए सबसे प्रमुख तीर्थ स्थान है जो भगवान शिव की प्राकृतिक रूप से बर्फ से निर्मित शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। इस धार्मिक स्थल की यात्रा करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक जाते हैं जिसे अमरनाथ यात्रा के नाम से जाना जाता है। यहां पर स्थित अमरनाथ गुफा को तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है जिसकें बारे पौराणिक कथा है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन और अनंत काल का रहस्य बताया था। आपको बता दें कि इस गुफा में देवी पार्वती शक्ति पीठ भी स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह माता यदि आप अमरनाथ मंदिर या अमरनाथ गुफा से जुड़े सभी रोचक तथ्यों के बारे में जानने की दिलचस्पी रखते है तो हमारे इस लेख को पूरा जरूर पढ़े जिसमे हम आपको अमरनाथ गुफा का इतिहास ,कहानी सहित अन्य जरूरी बातों को बताने वाले है – • • • • • • • • • 1. अमरनाथ गुफा का इतिहास – Amarnath Cave History In Hindi अमरनाथ हिंदू धर्म के लोगों की तीर्थ यात्रा के लिए सबसे लोकप्रिय और धार्मिक स्थान है। यहां की यात्रा करने का अपना एक अलग महत्व हैं और इस पवित्र को लेकर कई पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां हैं। अमरनाथ गुफा के इतिहास की बात करें तो एक बार भगवान शिव की पत्नी पार्वती ने उनसे यह सवाल किया कि वे मुंड की माला क्यों पहनते हैं, तो इसको लेकर भगवान शिव ने उन्हें जवाब दिया कि जिनती बार आपने जन्म लिया है उतने ही मुंड मैंने धारण करें हुए हैं। बताया जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने पार्वती को अमर कथा सुनाई थी और अपने अमर रहने का राज बताया था, इसलिए इस स्थान को अमरनाथ कहा जाता है। इस कथा को सुनाते हुए...

Amarnath Yatra 2022: दो साल बाद शुरू हो रहे अमरनाथ यात्रा में क्या है खास, पूरी DetailsAmarnath Yatra 2022: What is special in Amarnath Yatra starting after two years, complete details

नई दिल्ली: अमरनाथ गुफा 51 शक्ति पीठों में से एक है, पौराणिक मान्यता के अनुसार देवी सती के शरीर के गिरे हुए अंगों के स्थान का हिंदू धर्म में बहुत सम्मान है. अमरनाथ मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर में स्थित है. गुफा 3,888 मीटर (12,756 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है, जम्मू और कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से लगभग 141 किमी (88 मील), पहलगाम शहर से आगे है. लिद्दर घाटी में स्थित गुफा, ग्लेशियरों, बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई है और वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से ढकी रहती है, सिवाय गर्मियों में थोड़े समय के लिए जब यह तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है. 1989 में, तीर्थयात्रियों की संख्या 12,000 से 30,000 के बीच थी. 2011 में, संख्या 6.3 लाख (630,000) तीर्थयात्रियों को पार करते हुए चरम पर पहुंच गई. 2018 में तीर्थयात्रियों की संख्या 2.85 लाख (285,000) थी. वार्षिक तीर्थयात्रा 20 से 60 दिनों के बीच होती है. कब से शुरू हो रही है अमरनाथ यात्रा कश्मीर के हिमालयवर्ती क्षेत्र में स्थित बाबा अमरनाथ धाम के दर्शन श्रद्धालु 30 जून से कर पाएंगे. इस वर्ष अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त यानी रक्षाबंधन तक रहेगी. बाबा बर्फानी के नाम से मशहूर अमरनाथ धाम का इतिहास सदियों पुराना है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में ही माता पार्वती को अमर होने का रहस्य बताया था. बाबा अमरनाथ धाम के दर्शन करने हर साल श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं. बाबा अमरनाथ धाम की यात्र दो साल बाद 30 जून से शुरू होने जा रही है. ऐसे में शिवभक्त बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए काफी उत्साहित हैं. श्राइन बोर्ड को उम्मीद है कि इस साल भारी संख्या में श्रद्धालु बाबा अमरनाथ के दर्शन करने पहुंचेंगे. इसे लेकर प्रशासन भी तै...