अनंत आकाश के रचनाकार हैं

  1. पैदा होते ही अरबों
  2. अनंत नाम का मतलब और राशि
  3. अनंत कुशवाहा : बाल कहानियों के अद्भुत जादूगर।
  4. अनंत
  5. सेस गनेस महेस दिनेस


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पैदा होते ही अरबों

भारत के सबसे बड़े उद्योगपति रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी कुछ दिन पहले ही दादा बने हैं। यानि कि उनके बड़े बेटे आकाश अंबानी और उनकी पत्नी का श्लोका मेहता दूसरी बार माता-पिता बने हैं। पहली बार श्लोका मेहता ने साल 2020 में बेटे को जन्म दिया था, जिसका नाम पृथ्वी रखा गया था और अब दूसरी बार उनके घर नन्हीं एंजेल आई है। ऐसे में सोशल मीडिया पर खूब खबरें चल रही हैं कि ये नन्हीं परी पैदा होते ही अरबों-खरबों की मालकिन बन गई है। Also Read: सबसे पहले जान लीजिए कि जिस नए मेहमान के आने से अंबानी परिवार झूम रहा है उसका नाम क्या है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में आकाश अंबानी और श्लोका मेहता ने अपनी बेटी का नाम का खुलासा कर दिया है। इन्होंने अपने बेटी का नाम वेदा रखा है। सोशल मीडिया यूजर्स को ये नाम बहुत भा रहा है। आपको बता दें कि वेदा का मतलब होता है बहुत खूबसूरत। अब आपको बताते हैं कि वेदा ने जिस घराने में जन्म लिया है, वो पैदा होते ही कितनी संपत्ति की मालकिन बन गई हैं? Also Read: आपको याद होगा कि मुकेश अंबानी की पोती वेदा जब पैदा हुईं थीं, तो उसे अस्पताल से घर लेने जाने के लिए जो गाड़ियों को काफिला गया था, उन कारों की कीमत ही करीब 50 करोड़ रुपये थी। इस काफिले में Rolls-Royce से लेकर Lamborghini और Mercedes शामिल थी। अब आप खुद अंदाजा ला सकते हैं कि वेदा आने वाले दिनों में कितनी बड़ी एम्पायर की मालकिन बनने जा रही हैं। Also Read: जैसा कि आप जानते हैं कि मुकेश और नीता अंबानी के तीन बच्चे हैं। आकाश, अनंत और ईशा अंबानी। मुकेश अंबानी ने तीनों बच्चों को अलग-अलग बिजनेस संभालने की जिम्मेदारी दी हुई है। 23 अक्टूबर 1991 को जन्मे आकाश अंबानी के पास टेलीकॉम और डिजिटल बिजनेस क...

अनंत नाम का मतलब और राशि

हर माता-पिता को अपने बच्चे का नाम चुनने से पहले उसकी अच्छी तरह से जानकारी लेनी चाहिए ताकि भविष्य में बच्चे को नाम से जुड़ी कोई समस्या उत्पन्न न हो। बच्चे को बड़े ही नाजों के साथ पाला जाता है और उनका बेहद ख्याल रखा जाता है। ऐसे में सबसे जिम्मेदारी वाला काम बच्चे का नाम चुनने का होता है। पेरेंट्स को ऐसा नाम ढूंढना पड़ता है जो अच्छा भी हो और उनके व्यक्तित्व को बेहतर तरीके से निखारे भी। हम इस लेख के जरिए लड़कों के ऑल टाइम फेवरिट नाम अनंत के बारे में विस्तार में बात करेंगे। इस नाम से जुड़े व्यक्ति का कैसा स्वभाव होता है और इनकी राशि का इन पर कितना असर पड़ता है सभी जानकारी आपको नीचे इस लेख द्वारा मिल जाएगी। अनंत नाम का मतलब और राशि अनत लड़कों का बेहद ही लोकप्रिय और अच्छा नाम है। किसी भी नाम को रखने से पहले माता-पिता एक बार सोचते जरूर हैं। लेकिन नाम के बारे में अच्छे से जानकारी हासिल करने बाद वह संतुष्ट होकर नाम चुन सकते हैं। बता दें कि अनंत नाम का मतलब असीम, जिसका कोई अंत न हो, शाश्वत होता है। माता-पिता हमेशा ही अपने लाडले को जीवन में हर मुकाम हासिल करते हुए देखना चाहते हैं। अनंत नाम की राशि की बात करें तो अ अक्षर से शुरू होने वाला यह नाम मेष राशि के अंदर आता है। इस नाम के व्यक्ति के व्यवहार और स्वभाव के बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें। नाम अनंत अर्थ असीम, जिसका कोई अंत न हो, शाश्वत लिंग लड़का अंक ज्योतिष 5 धर्म हिन्दू राशि मेष नक्षत्र कृतिका (अ, ई, ऊ, ए, इ) शुभ दिन मंगलवार शुभ रंग पीला, लाल और सफेद शुभ रत्न मूंगा अनंत नाम का अर्थ क्या है? अनंत नाम का मतलब जिसका कोई अंत न हो, शाश्वत आदि है। हर पेरेंट्स का यही सपना होता है कि उनका बच्चा हर कार्य में जीत हासिल करे और सफलता उसके कदम चू...

अनंत कुशवाहा : बाल कहानियों के अद्भुत जादूगर।

हिन्‍दी साहित्‍य की गलियों से गुजरते हुए न जाने कब और कैसे मेरे जेहन में यह धारणा बनती चली गयी कि एक सृजनशील रचनाकार ही अच्‍छा सम्‍पादक भी हो सकता है। मेरी इस धारणा को पुष्‍ट होने और बल प्रदान करने में बाल साहित्‍य के उन तमाम संग्रहों ने भी मदद की, जो बाल साहित्‍य की प्रतिनिधि रचनाओं के नाम पर तैयार किये गये हैं। इनमें से ज्‍यादातर को देखने पर यह शीशे की तरह साफ हो जाता है कि इनका रचनाकार कितनेपानी में होगा, बशर्ते देखने वाला स्‍वयं एक समर्थ और उर्वरा शक्ति सम्‍पन्‍न रचनाकार हो। मुझे यह भी लगता है कि मेरी इस धारणा को पुष्पित और पल्लवित होने में 'बालहंस' का बहुत बड़ा हाथ रहा है। हिन्‍दी बाल साहित्‍य के इतिहास में दो पत्रिकाओं ने जो मानदण्‍ड स्‍थापित किये हैं, वे अद्भुत हैं। इनमें से पहला नाम 'पराग' का है और दूसरा 'बालहंस' का। बाल कहानियों को परियों, राक्षसों और जिन्‍नातों के मायावी लोक से निकालकर वर्तमान तक लाने में नि:संदेह 'पराग' का बड़ा योगदान है। यह एक ऐतिहासिक और अतुलनीय कार्य है। किन्‍तु यदि 'पराग' की रचनाओं का हम सूक्ष्‍मता से अध्‍ययन करें, तो यह पता चलता है कि बच्‍चों की बाल सुलभ मनोवृत्तियां, उनकी चंचलता, निश्‍क्षलता, उनकी कोमल आकांक्षाएं वहां पर अपनी जगह बनाने में पूरी तरह से सफल नहीं रहीं। इन कोमल बिन्‍दुओं को अगर किसी ने प्रमुखता से स्‍थान दिया, तो वह है 'बालहंस'। बाल कहानी को रहस्‍य-रोमांच और कैशोर्य मानसिकता से निकाल कर बालपन की गहराइयों तक पहुंचाने में 'बालहंस' का अप्रतिम योगदान है। यह बात ' बालहंस' में प्रकाशित होने वाली अधिसंख्‍य कहानियों में साफतौर पर देखी जा सकती है। लेकिन आश्‍चर्य का विषय यह है कि हिन्‍दी बाल साहित्‍य की आलोचनात्‍मक दुनिया में इस बात की ...

अनंत

अनंत (Infinity) का अर्थ होता है जिसका कोई अंत न हो। इसको ∞ से निरूपित करते हैं। यह अनंत शब्द का अंग्रेजी पर्याय "इनफिनिटी" लैटिन भाषा के 'इन्' (अन्) और 'फिनिस' (अंत) की संधि है। यह शब्द उन राशियों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जिनकी माप अथवा गणना उनके परिमित न रहने के कारण असंभव है। अपरिमित सरल रेखा की लंबाई सीमाविहीन और इसलिए अनंत होती है। परिचय [ ] गणितीय विश्लेषण में प्रचलित "अनंत" इस प्रकार व्यक्त किया गया है: यदि y कोई चर है और f(y) कोई y का फलन है और यदि अब चर y किसी संख्या k की ओर अग्रसर होता है तब f(y) इस प्रकार बढ़ता ही चला जाता है कि वह प्रत्येक दी हुई संख्या n से बड़ा हो जाता है और बड़ा ही बना रहता है चाहे n कितना भी बड़ा हो, तो कहा जाता है कि y=k के लिए f(y) की सीमा अनंत है। भिन्नों की परिभाषा से स्पष्ट है कि भिन्न व/स वह संख्या है जो स से गुणा करने पर गुणनफल व देती है। यदि व, स में से कोई भी शून्य न हो तो व/स एक अद्वितीय राशि का निरूपण करता है। फिर स्पष्ट है कि 0/स सदैव समान रहता है, चाहे स कोई भी सांत संख्या हो। इसे परिमेय (रैशनल) संख्याओं को शून्य कहा जाता है और गणनात्मक (कार्डिनल) संख्या 0 के समान है। विपरीतत:, व/0 एक अर्थहीन पद है। इसे अनंत समझना भूल है। यदि क/य में क अचर रहता है और य घटता जाता है और क, य दोनों धनात्मक हैं, तो क/य का मान बढ़ता जाएगा। यदि य शून्य की ओर अग्रसर होता है तो अंततोगत्वा क/य किसी बड़ी से बड़ी संख्या से भी बड़ा हो जाएगा। प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में अनन्त [ ] लगता है कि भारतीयों को अनन्त की संकल्पना ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥ ॐ शांतिः शांतिः शांतिः॥ ॐ वह (परब्रह्म) पूर्ण है और ...

सेस गनेस महेस दिनेस

रसखान कहते हैं कि जिस कृष्ण के गुणों का शेषनाग, गणेश, शिव, सूर्य, इंद्र निरंतर स्मरण करते हैं। वेद जिसके स्वरूप का निश्चित ज्ञान प्राप्त न करके उसे अनादि, अनंत, अखंड अछेद्य आदि विशेषणों से युक्त करते हैं। नारद, शुकदेव और व्यास जैसे प्रकांड पंडित भी अपनी पूरी कोशिश करके जिसके स्वरूप का पता न लगा सके और हार मानकर बैठ गए, उन्हीं कृष्ण को अहीर की लड़कियाँ छाछिया-भर छाछ के लिए नाच नचाती हैं।