भोपाल गैस त्रासदी में किस गैस का रिसाव हुआ था

  1. भोपाल गैस त्रासदी:क्या हुआ था भोपाल में उस रात?
  2. [Solved] भोपाल गैस त्रासदी किसके रिसाव के कारण हुआ था:
  3. आज भी झेल रहे भोपाल गैस त्रासदी का दंश; बोले
  4. जानिए भोपाल गैस त्रासदी से जुडी एक
  5. Bhopal gas tragedy 5 unknown facts
  6. भोपाल गैस त्रासदी
  7. भोपाल गैस त्रासदी: पीड़ितों ने मनाया काला दिन, निकाली रैली
  8. Bhopal gas tragedy 5 unknown facts
  9. आज भी झेल रहे भोपाल गैस त्रासदी का दंश; बोले
  10. जानिए भोपाल गैस त्रासदी से जुडी एक


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भोपाल गैस त्रासदी:क्या हुआ था भोपाल में उस रात?

भोपाल गैस त्रासदी: क्या हुआ था भोपाल में उस रात? उस सुबह यूनियन कार्बाइड के प्लांट नंबर 'सी' में हुए रिसाव से बने गैस के बादल को हवा के झोंके अपने साथ बहाकर ले जा रहे थे. और लोग मौत की नींद सोते जा रहे थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर तीन हजार लोग मारे गए थे। हालांकि गैरसरकारी स्रोत मानते हैं कि ये संख्या करीब तीन गुना जयादा थी। गैस का रिसाव यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से करीब 40 टन गैस का रिसाव हुआ था। इसकी वजह थी टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का पानी से मिल जाना। इससे हुई रासायनिक प्रक्रिया की वजह से टैंक में दबाव पैदा हो गया और टैंक खुल गया और उससे रिसी गैस ने हजारों लोगों की जान ले ली। सबसे बुरी तरह कारखाने के पास स्थित झुग्गी बस्ती प्रभावित हुई। वहां हादसे का शिकार हुए वे लोग जो रोजीरोटी की तलाश में दूर-दूर के गांवों से आ कर वहां रह रहे थे। अधिकांश व्यक्ति निंद्रावस्था में ही मौत का शिकार बने। लोगों को मौत की नींद सुलाने में विषैली गैस को औसत तीन मिनट लगे। ऐसे किसी हादसे के लिए कोई तैयार नहीं था। यहां तक कि कारखाने का अलार्म सिस्टम भी घंटों तक बेअसर रहा, जबकि उसे बिना किसी देरी के चेतावनी देना था। हांफते और आंखों में जलन लिए जब प्रभावित लोग अस्पताल पहुंचे तो ऐसी स्थिति में उनका क्या इलाज किया जाना चाहिए, ये डॉक्टरों को मालूम ही नहीं था। डॉक्टरों की मुश्किलें शहर के दो अस्पतालों में इलाज के लिए आए लोगों के लिए जगह नहीं थी। वहां आए लोगों में कुछ अस्थाई अंधेपन का शिकार थे, कुछ का सिर चकरा रहा था और सांंस की तकलीफ तो सबको थी। एक अनुमान के अनुसार पहले दो दिनों में करीब 50 हजार लोगों का इलाज किया गया। शुरू में डॉक्टरों को ठी...

[Solved] भोपाल गैस त्रासदी किसके रिसाव के कारण हुआ था:

सही उत्तर मिथाइल आइसोसाइनेट है। Key Points • भोपाल गैस त्रासदीमिथाइल आइसोसाइनेट के रिसाव के कारण हुई थी। • एक यूनियन कार्बाइड संयंत्र में विषाक्त मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव भोपाल गैस त्रासदी का कारण है। • 3 दिसंबर 1984 को, कीटनाशक संयंत्र से लगभग 45 टन घातकगैस मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव हुआ। • इसका स्वामित्व अमेरिकी फर्म यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की भारतीय सहायक कंपनी के पास था। • मृत्यु का अंतिम अनुमान 15,000 और 20,000 के बीच था। • बचे हुए कुछ मिलियन लोगों को सांस की समस्या, आंखों में जलन या अंधापन और अन्य विकृतियों का सामना करना पड़ा। Additional Information • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैसों का एक समूह है जिसे नाइट्रोजन या नाइट्रोजन के ऑक्साइड के रूप में जाना जाता है। • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड सड़क यातायात और अन्य जीवाश्म ईंधन दहन प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न गैसीय वायु प्रदूषकों के एक समूह का हिस्सा है। • वायु में इसकी उपस्थिति अन्य वायु प्रदूषकों के गठन और संशोधन में योगदान देती है, जैसे ओजोन और कण पदार्थ, और अम्ल वर्षा के लिए। • सल्फर डाइऑक्साइड एक रंगहीन गैस है जिसमें तीखी गंध होती है। • यह एक तरल होता है जब दबाव में होता है, और यह बहुत आसानी से पानी में घुल जाता है। • वायु में सल्फर डाइऑक्साइड मुख्य रूप से बिजली संयंत्रों में कोयले और तेल के जलने या तांबा गलाने जैसी गतिविधियों से आता है। • कार्बन मोनोऑक्साइड एक गंधहीन, स्वादहीन, जहरीली गैस है जो कार्बन के अधूरे दहन से उत्पन्न होती है। • निश्वास केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की क्षति और श्वासावरोध का कारण बनता है।

आज भी झेल रहे भोपाल गैस त्रासदी का दंश; बोले

भोपाल के इंद्रानगर की रहने वाली फूलवती साहू आज 62 साल की हो चुकी हैं। 37 साल पहले हुए गैस कांड का वो मंजर आज भी नहीं भुला पाईं। उनके हाथ-पैर में पैरालिसिस (लकवा) है। भोपाल गैस कांड की पीड़ितों में से एक हैं। उन्होंने गैस हादसे को बहुत करीब से देखा। अपने सामने कई अपनों को तड़प-तड़पकर मरते देखा। सास-ससुर और पति की एक के बाद एक मौत हो गई।एक बेटा भी चल बसा। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी गैस त्रासदी को भले ही 37 साल बीत गए हों, लेकिन जख्म आज भी ताजा हैं। फूलवती की चौथी पीढ़ी गैस त्रासदी का दंश भोग रही है। दैनिक भास्कर से फूलवती ने उस मंजर को याद करते हुए जो कुछ बताया, उन्हीं के शब्दों में... 'मेरा नाम फूलवती साहू है। गैस हादसे के दौरान मेरी उम्र 24 साल थी। शादी जल्दी हो गई थी। तब तक 3 बच्चे हो गए थे। बड़ा सुनील, फिर मनोज और सबसे छोटा दीपक। गैस कांड के वक्त दीपक गोद में ही था, तब उसकी उम्र 2-3 महीने थी। सबसे बड़ा बेटा सुनील 3 और मनोज डेढ़ साल का था। गैस की वजह से ससुर जय किशन और सास जमनाबाई की कुछ साल बाद ही मौत हो गई। पति शिवप्रसाद भी गैस की जद में आ गए थे। उन्हें गंभीर बीमारियां हो गई थीं। इलाज के दौरान ही 15 साल पहले पति की भी मौत हो गई। बड़े बेटे सुनील ने 3 साल पहले दम तोड़ दिया। वह भी गैस पीड़ित था। सुनील का 25 साल का बेटा प्रियांश भी प्रभावित है। उसकी ग्रोथ रुक गई है। संभावना ट्रस्ट के अस्पताल में पैरालिसिस का इलाज करवा रही हूं। बेटा मनोज और दीपक भी प्रभावित हैं। उनका भी समय-समय पर इलाज चलता है। प्रियांश का कहना है- जी तो रहे हैं, लेकिन ये जिंदगी मौत जैसी है। फूलवती बाई अपने पोते प्रियांश के साथ। प्रियांश के पिता की 3 साल पहले ही मौत हुई है। 25 साल के प्रियांश भी प्रभावित हैं। उनकी ग्रोथ...

जानिए भोपाल गैस त्रासदी से जुडी एक

Bhopal Gas Tragedy Information in Hindi आज हम आपको भारत के इतिहास की ऐसी त्रासदी के बारे में आपको रूबरू करवाएंगे जिसने पूरी दुनिया को एक ही रात में पूरी दुनिया को हिलाकर हजारों लोगों को मौत के आगोश में ले लिया. हम बात कर रहे हैं भोपाल गैस त्रासदी के बारे में. भोपाल गैस त्रासदी या फिर कहे भोपाल गैस कांड ऐसी घटना थी जिसके निशान आज तक लोगों में देखे जाते हैं और उस मंजर को याद करके लोगों की नीद उड़ जाती हैं. आज हम आपको उस घटना के बारें में विस्तार से जानकारी देंगे आखिर क्या हुआ था उस त्रासदी के पहले और बाद में. भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी हैं भोपाल को राज्य का प्रशासनिक मुख्यालय भी हैं. इस शहर को झीलों की नगरी भी कहा जाता हैं. इतना खुबसूरत शहर होने के बाद भी इस शहर को गैस त्रासदी से जूझना पड़ा. इसके पीछे की वजह बनी जय प्रकाश नगर जिसे जेपी नगर भी कहा जाता हैं में स्थित एक फैक्ट्री “यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड”. जिसमे 33 साल पहले अचानक 2-3 दिसम्बर ही मध्य रात्रि प्लाट नंबर सी में फिट मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) लीक होने लग गयी. जैसे जैसे यह रसायन हवा में मिल रहा था वैसे वैसे जहर बनता जा रहा था. एक रिपोर्ट के अनुसार 2 दिसम्बर तक टैंक में कुल 40 टन मिथाइल आइसो साइनाइट भरी हुयी थी. जो कि तय मानकों से 10 गुना थी. यह रिसाव आधी रात को होना शुरू हुआ. रात का समय होने के साथ शहर के अधिकांश लोग घरों के अन्दर सो रहे थे. जैसे जैसे मिथाइल आइसो साइनाइट हवा में मिलते जा रहा था हवा के झोंके उसे लोगों के घरों तक पहुँच रहे थे. एकाएक लोग मौत की नीद में सोते जा रहे थे. जैसे जैसे यह गैस लोगों के फेफड़ों में जा रही थी लोगों को को साँस लेने और आँखों में तीव्र जलन होने लग गयी. जब बड़ी संख्‍या में लोग गैस...

Bhopal gas tragedy 5 unknown facts

धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वाल्व उड़ गया। उस समय 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 3,787 की मौत हुई। कई एनजीओ का दावा है कि मौत का आंकड़ा 10 से 15 हजार के बीच था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही गैस से करीब 5,58,125 लोग प्रभावित हुए थे। इनमें से करीब 4000 लोग ऐसे थे जो गैस के प्रभाव से परमानेंट डिसेबल हो गए थे जबकि 38,478 को सांस से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। दिसंबर 1984 में हुआ भोपाल गैस कांड दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी थी। उस वक्त एंडरसन यूनियन कार्बाइड का प्रमुख था। उसे घटना के चार दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। लेकिन जमानत मिलने के बाद वह छुपकर अमेरिका लौट गया। फिर कभी भारतीय कानूनों के शिकंजे में नहीं आया। उसे भगोड़ा घोषित किया गया। अमेरिका से प्रत्यर्पण के प्रयास भी हुए। लेकिन कोशिशें नाकाम रहीं। आसपास के पेड़ हो गए थे बंजर • 1981 से 84 के बीच यूनियन कार्बइड की फैक्ट्री में कई बार हुआ था रिसाव। इसमें एक वर्कर की मौत हो गई थी, जबकि अन्य अलग-अलग मामलों में कई वर्कर घायल हो गए थे। • इन रिसाव का मुख्य कारण दोषपूर्ण सिस्टम का होना था। दरअसल 1980 के शुरुआती सालों में कीटनाशक की मांग कम हो गई थी। इससे कंपनी ने सिस्टम के रखरखाव पर सही से ध्यान नहीं दिया। कंपनी ने एमआईसी का उत्पादन भी नहीं रोका और अप्रयुक्त एमआईसी का ढेर लगता गया। • हादसे से ठीक पहले प्लांट काफी घटिया स्थिति में था। प्लांट में मौजूद टैंक ई 610 में एमआईसी 42 टन थी, जबकि यह 40 टन से अधिक नहीं होना चाहिए था। टैंक की सुरक्षा पर भी ध्यान नहीं दिया गया था। • हादसे में मारे गए लोगों को सामूहिक रूप से दफनाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। तकरीबन 2000 जानवरों के शवों को विसर्जित करना...

भोपाल गैस त्रासदी

Bhopal Gas Tragedy Information In Hindi / भोपाल गैस कांड हिंदी में – साल 1984 भारत के इतिहास में बेहद बुरा और दिल दहला देने वाला साल रहा है। इसके पीछे दो कारण हैं, एक कारण तो सभी देशवासी भली-भांति जानते हैं, जो कि सिख विरोधी दंगे (Anti-Sikh Riot) हैं। और इसकी दूसरी वजह शायद बहुत कम लोग जानते होंगे वो है भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy In Hindi)। आज के इस लेख में हम बात करेंगे भोपाल शहर में हुए देश के सबसे बड़े दर्दनाक हादसे के बारे में। भारत देश का हृदय मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) राज्य है और इस राज्य का हृदय राज्य की राजधानी भोपाल शहर (Bhopal City) है। दो दशक पहले इस दिल पर एक बहुत बड़ा आघात हुआ था, जो आज तक भरा नहीं है, वह घाव ऐसा था कि उसे भुलाना या उससे उभरना आज भी उतना ही मुश्किल है। इस लेख में हम भोपाल गैस त्रासदी के बारे में आगे जानेंगे की भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Kand In Hindi) कब हुई थी? भोपाल गैस कांड का मुख्य आरोपी कौन था?, भोपाल गैस त्रासदी के वकील कौन थे, भोपाल गैस त्रासदी के प्रभाव, भोपाल गैस त्रासदी के कारण आदि पर विस्तार से चर्चा की जायेगी। भोपाल गैस कांड की पूरी कहानी हिंदी में – Bhopal Gas Tragedy Full Story In Hindi प्रस्तावना इस हृदय विदारक अप्रिय घटना का वर्ष था 1984 और महीना था दिसम्बर, तारीख थी 2 और घड़ी में लगभग बारह बज रहे थे। इस दिन जो हुआ वो भोपाल की जनता के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था और आज तक देश की जनता भी इस अप्रिय घटना को भुला नहीं पाई है। भोपाल स्थित एक फैक्ट्री से निकली जहरीली गैस ने भोपाल के आधे से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया और लाशों का ढेर लगा दिया था। शहर के किसी भी अस्पताल में मरीजों के लिए जगह नहीं बची थी औ...

भोपाल गैस त्रासदी: पीड़ितों ने मनाया काला दिन, निकाली रैली

भोपाल गैस त्रासदी के 34 साल पूरे हो गए हैं. इतने सालों बाद भी यहां सैकड़ों परिवारों के जख्म आज भी हरे हैं, क्योंकि आज भी उनके बच्चे उस दर्द के साथ पैदा हो रहे हैं जो 34 साल पहले उन्होंने झेला था. 2 से 3 दिसम्बर 1984 की रात भोपाल की सड़को पर मौत ने तांडव मचाया था. यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से हुए गैस रिसाव ने हजारों लोगों की ज़िंदगी छीन ली थी. इस भयावह कांड को 34 साल तो बीत गए लेकिन आज भी इसके जख्म ताज़ा हैं. इसी क्रम में राजधानी भोपाल गैस पीड़ितों ने 'काली रैली' निकाली और डाउ केमिकल का पुतलाभी जलाया. इसके अलावा गैस कांड की 34वीं बरसी पर श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन हुआ. बरकतउल्ला भवन में गैस पीड़ितों को श्रद्दांजलि दी गई. इसमें सभी धर्मों के धर्मगुरूओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में गैस राहत एवं पुर्नवास मंत्री विश्वास सारंग भी शामिल हुए. कैसे हुआ था हादसा भोपाल गैस कांड में मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था. अधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2,259 बताई गई थी. हालांकि एमपी की तत्कालीन सरकार ने 3,787 लोगों के मरने की पुष्टि की थी, जबकि अन्य अनुमान बताते हैं कि 8000 से ज्यादा लोगों की मौत तो दो सप्ताह के अंदर ही हो गई थी और लगभग अन्य 8000 लोग रिसी हुई गैस से फैली बीमारियों के कारण मारे गए थे. यह पढ़ें- . Tags: , , ,

Bhopal gas tragedy 5 unknown facts

धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वाल्व उड़ गया। उस समय 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 3,787 की मौत हुई। कई एनजीओ का दावा है कि मौत का आंकड़ा 10 से 15 हजार के बीच था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही गैस से करीब 5,58,125 लोग प्रभावित हुए थे। इनमें से करीब 4000 लोग ऐसे थे जो गैस के प्रभाव से परमानेंट डिसेबल हो गए थे जबकि 38,478 को सांस से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। दिसंबर 1984 में हुआ भोपाल गैस कांड दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी थी। उस वक्त एंडरसन यूनियन कार्बाइड का प्रमुख था। उसे घटना के चार दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। लेकिन जमानत मिलने के बाद वह छुपकर अमेरिका लौट गया। फिर कभी भारतीय कानूनों के शिकंजे में नहीं आया। उसे भगोड़ा घोषित किया गया। अमेरिका से प्रत्यर्पण के प्रयास भी हुए। लेकिन कोशिशें नाकाम रहीं। आसपास के पेड़ हो गए थे बंजर • 1981 से 84 के बीच यूनियन कार्बइड की फैक्ट्री में कई बार हुआ था रिसाव। इसमें एक वर्कर की मौत हो गई थी, जबकि अन्य अलग-अलग मामलों में कई वर्कर घायल हो गए थे। • इन रिसाव का मुख्य कारण दोषपूर्ण सिस्टम का होना था। दरअसल 1980 के शुरुआती सालों में कीटनाशक की मांग कम हो गई थी। इससे कंपनी ने सिस्टम के रखरखाव पर सही से ध्यान नहीं दिया। कंपनी ने एमआईसी का उत्पादन भी नहीं रोका और अप्रयुक्त एमआईसी का ढेर लगता गया। • हादसे से ठीक पहले प्लांट काफी घटिया स्थिति में था। प्लांट में मौजूद टैंक ई 610 में एमआईसी 42 टन थी, जबकि यह 40 टन से अधिक नहीं होना चाहिए था। टैंक की सुरक्षा पर भी ध्यान नहीं दिया गया था। • हादसे में मारे गए लोगों को सामूहिक रूप से दफनाया गया और अंतिम संस्कार किया गया। तकरीबन 2000 जानवरों के शवों को विसर्जित करना...

आज भी झेल रहे भोपाल गैस त्रासदी का दंश; बोले

भोपाल के इंद्रानगर की रहने वाली फूलवती साहू आज 62 साल की हो चुकी हैं। 37 साल पहले हुए गैस कांड का वो मंजर आज भी नहीं भुला पाईं। उनके हाथ-पैर में पैरालिसिस (लकवा) है। भोपाल गैस कांड की पीड़ितों में से एक हैं। उन्होंने गैस हादसे को बहुत करीब से देखा। अपने सामने कई अपनों को तड़प-तड़पकर मरते देखा। सास-ससुर और पति की एक के बाद एक मौत हो गई।एक बेटा भी चल बसा। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी गैस त्रासदी को भले ही 37 साल बीत गए हों, लेकिन जख्म आज भी ताजा हैं। फूलवती की चौथी पीढ़ी गैस त्रासदी का दंश भोग रही है। दैनिक भास्कर से फूलवती ने उस मंजर को याद करते हुए जो कुछ बताया, उन्हीं के शब्दों में... 'मेरा नाम फूलवती साहू है। गैस हादसे के दौरान मेरी उम्र 24 साल थी। शादी जल्दी हो गई थी। तब तक 3 बच्चे हो गए थे। बड़ा सुनील, फिर मनोज और सबसे छोटा दीपक। गैस कांड के वक्त दीपक गोद में ही था, तब उसकी उम्र 2-3 महीने थी। सबसे बड़ा बेटा सुनील 3 और मनोज डेढ़ साल का था। गैस की वजह से ससुर जय किशन और सास जमनाबाई की कुछ साल बाद ही मौत हो गई। पति शिवप्रसाद भी गैस की जद में आ गए थे। उन्हें गंभीर बीमारियां हो गई थीं। इलाज के दौरान ही 15 साल पहले पति की भी मौत हो गई। बड़े बेटे सुनील ने 3 साल पहले दम तोड़ दिया। वह भी गैस पीड़ित था। सुनील का 25 साल का बेटा प्रियांश भी प्रभावित है। उसकी ग्रोथ रुक गई है। संभावना ट्रस्ट के अस्पताल में पैरालिसिस का इलाज करवा रही हूं। बेटा मनोज और दीपक भी प्रभावित हैं। उनका भी समय-समय पर इलाज चलता है। प्रियांश का कहना है- जी तो रहे हैं, लेकिन ये जिंदगी मौत जैसी है। फूलवती बाई अपने पोते प्रियांश के साथ। प्रियांश के पिता की 3 साल पहले ही मौत हुई है। 25 साल के प्रियांश भी प्रभावित हैं। उनकी ग्रोथ...

जानिए भोपाल गैस त्रासदी से जुडी एक

Bhopal Gas Tragedy Information in Hindi आज हम आपको भारत के इतिहास की ऐसी त्रासदी के बारे में आपको रूबरू करवाएंगे जिसने पूरी दुनिया को एक ही रात में पूरी दुनिया को हिलाकर हजारों लोगों को मौत के आगोश में ले लिया. हम बात कर रहे हैं भोपाल गैस त्रासदी के बारे में. भोपाल गैस त्रासदी या फिर कहे भोपाल गैस कांड ऐसी घटना थी जिसके निशान आज तक लोगों में देखे जाते हैं और उस मंजर को याद करके लोगों की नीद उड़ जाती हैं. आज हम आपको उस घटना के बारें में विस्तार से जानकारी देंगे आखिर क्या हुआ था उस त्रासदी के पहले और बाद में. भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी हैं भोपाल को राज्य का प्रशासनिक मुख्यालय भी हैं. इस शहर को झीलों की नगरी भी कहा जाता हैं. इतना खुबसूरत शहर होने के बाद भी इस शहर को गैस त्रासदी से जूझना पड़ा. इसके पीछे की वजह बनी जय प्रकाश नगर जिसे जेपी नगर भी कहा जाता हैं में स्थित एक फैक्ट्री “यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड”. जिसमे 33 साल पहले अचानक 2-3 दिसम्बर ही मध्य रात्रि प्लाट नंबर सी में फिट मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) लीक होने लग गयी. जैसे जैसे यह रसायन हवा में मिल रहा था वैसे वैसे जहर बनता जा रहा था. एक रिपोर्ट के अनुसार 2 दिसम्बर तक टैंक में कुल 40 टन मिथाइल आइसो साइनाइट भरी हुयी थी. जो कि तय मानकों से 10 गुना थी. यह रिसाव आधी रात को होना शुरू हुआ. रात का समय होने के साथ शहर के अधिकांश लोग घरों के अन्दर सो रहे थे. जैसे जैसे मिथाइल आइसो साइनाइट हवा में मिलते जा रहा था हवा के झोंके उसे लोगों के घरों तक पहुँच रहे थे. एकाएक लोग मौत की नीद में सोते जा रहे थे. जैसे जैसे यह गैस लोगों के फेफड़ों में जा रही थी लोगों को को साँस लेने और आँखों में तीव्र जलन होने लग गयी. जब बड़ी संख्‍या में लोग गैस...