छोटे संस्कृत श्लोक with meaning

  1. Best Sanskrit Shlokas with Hindi Meaning
  2. संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
  3. जीवन पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित
  4. 51+ ज़िन्दगी से जुड़े संस्कृत श्लोक
  5. राजधर्म पर संस्कृत श्लोक
  6. Best 25 Shlok in Sanskrit with Meaning in Hindi [Geeta Karma]


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Best Sanskrit Shlokas with Hindi Meaning

Sanskrit Shlokas संस्कृत विश्व की सब से प्राचीन भाषा होने के साथ-साथ, एक वैज्ञानिक भाषा भी है जो भारत के पूर्वजों द्वारा इस विश्व को भेंट स्वरूप प्रदान की गई है। संस्कृत के श्लोक [Sanskrit Shlokas] गागर में सागर भरने के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों के रूप में देखे जा सकते हैं। इन श्लोकों को समझकर एवं इनमें बताए गए उपदेशों का जीवन में निरंतर अभ्यास कर के जीवन के सत्य, तथा जीवन में आने वाली समस्याओं के समाधान पाए जा सकते हैं। ज्ञान के परम भंडार माने जाने वाले ग्रंथों से लिए गए ऐसे ही कुछ संस्कृत श्लोकों [Sanskrit Shlokas] को यहाँ अर्थ सहित प्रस्तुत किया गया है। Sanskrit Shlokas With Hindi Meaning Sanskrit Shlokas न जायते म्रियते वा कदाचिन् नायं भूत्वा भविता वा न भूयः । अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे ।। अर्थात: श्रीमद्भागवत गीता के इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण कुंती पुत्र अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं कि आत्मा का जन्म नहीं होता, न ही आत्मा मृत्यु को प्राप्त होती है अथवा आत्मा का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता। आत्मा अजर है, अमर है, शाश्वत है। देह के नष्ट होने के बाद भी आत्मा कभी नष्ट नहीं होती। वासांसि जीर्णानि यथा विहाय गृह्णाति नरोऽपराणि । तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही ।। अर्थात: श्रीमद्भागवत गीता के इस श्लोक के माध्यम से कृष्ण कहते हैं कि जिस प्रकार मनुष्य मैले, फटे व पुराने वस्त्रों का त्याग कर नए तथा शुद्ध वस्त्रों को धारण करते हैं, उसी प्रकार मृत्यु के समय आत्मा मैले और पुराने शारीर का त्याग कर नए शरीर में प्रवेश करती है। नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।। अर्थात: अर्जुन को जीवन क...

संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

Sanskrit Shlokas With Meaning in Hindi: हमारे देश में सभी भाषाओं का अपना अलग अलग महत्व माना जाता है। ऐसे में सभी भाषाओं में से एक भाषा संस्कृत भी शामिल है। जो कि काफी शुद्ध और पवित्र मानी जाती है। संस्कृत भाषा का इतना अधिक पवित्र Sanskrit ke slokas के वजह से माना जाता है। साथ ही आपको यह भी बता दूं कि संस्कृत भाषा सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। हमारे देश में संस्कृत भाषा को देवी देवताओं के भाषाओं से तुलना की जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पहले के समय में लोग Sanskrit Shlok के माध्यम से ही एक दूसरे से बात किया करते थे। तो क्या आप भी एक भारतीय हिंदू धर्म से ताल्लुक रखने वालों में से एक है, यदि हां तो आपको भी संस्कृत श्लोक (Sanskrit Shlokas) का ज्ञान होना जरूरी होता है। जी हां एक हिंदी धर्म के व्यक्ति को संस्कृत श्लोक (Sanskrit Shlokas) का थोड़ा भी ज्ञान न हो यह अच्छी बात नहीं होती है। • • • • • क्योंकि आज के लेख में मैं आप सभी को 200+ संस्कृत श्लोक अर्थ सहित (Sanskrit Shlok With Meaning in Hindi) जानकारी साझा करने वाला हूं। आज के लेख में आपको बहुत सारी संस्कृत श्लोक का ज्ञान प्राप्त होने वाला है और वो भी अर्थ के साथ। इसलिए आप सभी से दरख्वास है कि आप हमारे लेख को आधा अधूरा ना पढ़ें। बल्कि आप हमारे पोस्ट के अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़ें। • • • ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम् । ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत आ नः श‍ृण्वन्नूतिभिः सीदसादनम् ॥ ॥ भावार्थ : हे यजमानों के स्वामी, कवियों के कवि, सबसे प्रसिद्ध, आध्यात्मिक ज्ञान के सर्वोच्च राजा, आध्यात्मिक ज्ञान के भगवान। हम आपको पुकारते हैं, कृपा करके हमारी बात सुनें और हमारे स्थान में निवास करें. ओङ्कारं...

जीवन पर संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित

हिंदी अर्थ – जिस मनुष्य की वाणी मीठी हो, जिसका काम परिश्रम से भरा हो, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त हो, उसका जीवन सफ़ल है। परस्वानां च हरणं परदाराभिमर्शनम्। सचह्रदामतिशङ्का च त्रयो दोषाः क्षयावहाः।। हिंदी अर्थ– दूसरों के धन का अपहरण, पर स्त्री के साथ संसर्ग और अपने हितैषी मित्रों के प्रति घोर अविश्वास ये तीनों दोष जीवन का नाश करने वाले हैं। मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च। दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति।। हिंदी अर्थ– मुर्ख शिष्यों को पढ़ाकर, दुष्ट स्त्री के साथ अपना जीवन बिताकर, रोगियों और दुखियों के साथ रहकर विद्वान भी दुखी हो जाता है। सर्वे क्षयान्ता निचयाः पतनान्ताः समुच्छ्रयाः। संयोगा विप्रयोगान्ता मरणान्तं च जीवितम्।। हिंदी अर्थ– सभी प्रकार के संग्रह का अंत क्षय है। बहुत ऊंचे चढ़ने के अंत नीचे गिरना है। संयोग का अंत वियोग है और जीवन का अंत मरण है। अष्टौ गुणाः पुरुषं दीपयन्ति, प्रज्ञा च कौल्यं च दमः श्रुतं च। पराक्रमश्चाबहुभाषिता च, दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च।। हिंदी अर्थ:- बुद्धिमत्ता, अच्छे कुल में जन्म, इंद्रियों पर संयम, शास्त्रों का ज्ञान, वीरता, मितभाषण, यथाशक्ति दान और कृतज्ञता। ये आठ गुण मानव के जीवन को उज्जवल करते हैं। जीवितं क्षणविनाशिशाश्वतं किमपि नात्र। हिंदी अर्थ:- यह जीवन क्षणभंगुर है यहाँ कुछ भी शाश्वत नहीं है। जीवितं बुबुप्रायम् हिंदी अर्थ:- जीवन जल के बुलबुले की तरह क्षणभंगुर है नदाक्षिण्यं न सौशील्यं न कीर्तिः न सेवा नो दया कि जीवनं ते। हिंदी अर्थ:- न दान है। न सुशीलता है। न सेवा है| नदया है। तो तुम्हारा जीवन क्या है? एति जीवन्तमानन्दो नरं वर्षशतादपि। हिंदी अर्थ:- यदि मनुष्य जीवित रहे तो सौ वर्ष के बाद भी उसे आनन्द लाभ होता है। जीविताशा बल...

51+ ज़िन्दगी से जुड़े संस्कृत श्लोक

त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत्। ग्रामं जनपदस्यार्थे आत्मार्थे पृथिवीं त्यजेत्।। भावार्थ: ऐसा कहा जाता है कि अगर परिवार के कल्याण के लिए किसी को जाना है तो उसे छोड़ देना चाहिए। यदि कोई एक परिवार गांव की बेहतरी के लिए कष्ट झेल रहा है तो उसे वहन करना चाहिए। यदि जिले पर आपदा आती है और वह किसी एक गांव को नुकसान होने से बचा सकती है, तो उसे भी इसे सहन करना चाहिए। लेकिन अगर आप पर खतरा आ जाए, तो पूरी दुनिया को छोड़ देना चाहिए। परो अपि हितवान् बन्धुः बन्धुः अपि अहितः परः। अहितः देहजः व्याधिः हितम् आरण्यं औषधम्।। भावार्थ: अगर कोई अजनबी आपकी मदद करता है, तो उसे अपने परिवार का सदस्य मानें और अगर आपके परिवार में कोई आपको चोट पहुँचाता है, तो उसे वही महत्व देना बंद कर दें। इसी प्रकार शरीर के किसी अंग में चोट लगने पर हमें चोट लगती है, हर्बल औषधि हमारे लिए लाभकारी होती है। यह भी पढ़े: यथा ह्यल्पेन यत्नेन च्छिद्यते तरुणस्तरुः। स एवाऽतिप्रवृध्दस्तु च्छिद्यतेऽतिप्रयत्नतः।। एवमेव विकारोऽपि तरुणः साध्यते सुखम्। विवृध्दः साध्यते कृछ्रादसाध्यो वाऽपि जायते।। भावार्थ: जैसे छोटे पौधों को आसानी से तोड़ा जा सकता है और बड़े पेड़ों को काटा जा सकता है, वैसे ही रोग का पता शुरू से ही लगाया जा सकता है। इसका इलाज आसान है, यह आगे बढ़ने पर लाइलाज हो जाता है। यह भी पढ़े:

राजधर्म पर संस्कृत श्लोक

राजधर्म पर संस्कृत श्लोक | Sanskrit Shlokas on ROYAL DUTY काचे मणिः मणौ काचो येषां बिध्दिः प्रवर्तते । न तेषां संनिधौ भृत्यो नाममात्रोSपि तिष्ठति ॥ कांच को मणि और मणि को कांच समझने वाले राजा के पास नौकर तक भी नहीं टिकते । धूर्तः स्त्री वा शिशु र्यस्य मन्त्रिणः स्युर्महीपतेः । अनीति पवनक्षिप्तः कार्याब्धौ स निमज्जति ॥ जिस राजा के सचिव की स्त्री या पुत्र धूर्त हो, उसकी कार्यरुप नौका अनीति के पवन से डूब जाती है ऐसा समझिये । अपृष्टस्तु नरः किंचिद्यो ब्रूते राजसंसदि । न केवलमसंमानं लभते च विडम्बनम् ॥ राजसभा में बिना पूछे ही अपना अभिप्राय व्यक्त करने वाले लोग केवल अपमानित ही नहीं अपितु उपहास के पात्र भी होते हैं । सहसा विदधीत न क्रियाम् अविवेकः परमापदां पदम् । वृणुते हि विमृश्यकारिणम् गुण लुब्धाः स्वयमेव हि संपदः ॥ बिना सोचे कोई काम नहीं करना चाहिए, क्यों कि अविवेक आपत्ति का मूल है । गुण पर लब्ध होने वाला वैभव खुद भी सोचकर मानव को पसंद करता है । आत्मनश्र्च परेषां च यः समीक्ष्य बलाबलम् । अन्तरं नैव जानाति स तिरस्क्रियतेडरिभिः ॥ खुदके और दूसरे के बल का विचार करके जो योग्य अंतर नहीं रखता वह (राजा) शत्रु के तिरस्कार का पात्र बनता है । मन्त्रबीजमिदं गुप्तं रक्षणीयं यथा तथा । मनागपि न भिद्येते तद्बिन्नं न प्ररोहति ॥ मंत्र का मूल गुप्त रखने की चेष्टा करनी चाहिए । क्योंकि मूल बाहर निकले तो बीज उगेगा ही नहीं (याने कि मंत्रणा विफल हो जायेगी) ! उत्तमं प्रणिपातेन शूरं भेदेन योजयेत् । नीचमल्पप्रदानेनेष्टं धर्मेण योजयेत् ॥ अपने से श्रेष्ठ हो उसको प्रणाम करके, शूर को भेद नीति से, निम्न कोटि को कुछ देकर, और जिसकी जरुरत हो उसे न्याय पूर्वक अपना करना चाहिए । अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिश्र्च यः...

Best 25 Shlok in Sanskrit with Meaning in Hindi [Geeta Karma]

संस्कृत भारत की प्राचीनतम भाषायों में से एक है। इसे देवों की भाषा की कहा जाता है, इसलिए चाहे भारतीय इसे बोलने में कठिनाई महसूस करते हो, पर इसे दिल में पूजनीय रखते है। पर आपको संस्कृत से प्यार के अलावा अगर बोलना अच्छा लगता है, हम पेश कर रहे है बेस्ट 25 संस्कृत श्लोक, जिन्हें आप आसानी से उच्चारण कर सकते है, तो शुरू करते है- इस धरती पर तीन रत्न हैं जल, अन्न और शुभ वाणी पर मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को रत्न की संज्ञा देते हैं!!! Shivaji Maharaj Sanskrit Shlok #यानि कानि च मित्राणि कर्तव्यानी शतानि च पश्य मुशीकमित्रण कपोता: मुक्तबंधना:!!! छोटे हो या बड़े, निर्बल हो या सबल, अधिक से अधिक संख्या में मित्र बना लेना चाहिये क्योंकि न जाने किसके द्वारा किस समय कैसा काम निकल जाये!!! #ददाति प्रतिग्रहनाती मुहयमख्याति पृच्छति भुङ्क्ते भोजयते चौव शड़ीवध प्रीति लक्षणम!!! लेना, देना, खाना, खिलाना, रहस्य बताना और उन्हें सुनना ये सभी 6 प्रेम के लक्षण हैं!!! Geeta Shlok in Sanskrit #परान्न च परद्वय तथैव च प्रतिग्रहम्म परस्त्री परनिंदा च मनसा अपि विवर्जयेता!!! पराया अन्न, पराया धन, दान, पराई स्त्री और दूसरे की निंदा इनकी इच्छा मनुष्य को कभी नहीं करनी चाहिये!!! Mahakal Shlok in Sanskrit #सत्येन रक्ष्यते धर्मो विद्याभ्यासने रक्ष्यते मराज्यया रक्ष्यते रूप कुल वर्तेंन रक्ष्यते!!! धर्म की रक्षा सत्य से ज्ञान से अभ्यास से रूप से स्वच्छता से और परिवार की रक्षा आचरण से होती हैं!!! Guru Sanskrit Shlok #अन्ययोपार्जित वित्त दस वर्षाणि तिष्ठति प्राछे चैकदशवर्ष समूल तद विनश्यति!!! अन्याय या गलत तरीके से कमाया हुआ धन दश वर्षों तक रहता हैं लेकिन ग्यारहवें वर्ष वह मूलधन सहित नष्ट हो जाता हैं!!! #स्वस्तिप्रजाभ्य: प...