हड़प्पा सभ्यता का विस्तार बताइए ।

  1. हड़प्पा संस्कृति
  2. अध्याय
  3. हड़प्पा या सिंधु सभ्यता क्या है? खोज, विस्तार क्षेत्र
  4. हड़प्पा सभ्यता
  5. हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता, वर्णन, नगर व्यवस्था GK pdf download
  6. हड़प्पा सभ्यता का कालानुक्रम, भौगोलिक विस्तार और पतन
  7. पूर्वएनसीआरटी सारांश: हड़प्पा संस्कृति (सिंधु घाटी सभ्यता)
  8. हड़प्पा सभ्यता


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हड़प्पा संस्कृति

भारत की पहली मानी हुई सभ्यता है हड़प्पा सभ्यता। इसमें दो नामों का प्रयोग है: “सिंधु-सभ्यता” या “सिंधु घाटी की सम्यता” और हड़प्पा संस्कृति, लेकिन इनका मतलब एक है। भारत में यह कई हज़ार वर्षों पहले मौजूद थी। इस सभ्यता में आज के ज़माने जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल था। तो आइए, परिचय करवाते हैं आपका हड़प्पा संस्कृति से। Source – Vivasepanorma 1921 में जब जॉन मार्शल भारत के पुरातात्विक विभाग के निर्देशक थे तब पुरातत्वविद् दयाराम साहनी ने इस जगह पर सर्वप्रथम खुदाई करवाई थी। 1922 में सिंध में मोहेनजोदड़ो की खुदाई हुई तो विद्वानों ने सोचा कि यह सभ्यता पूर्णतया सिंधु घाटी तक ही सीमित थी। अतः इस सभ्यता के लिए “सिंधु-सभ्यता” या “सिंधु घाटी की सभ्यता” संज्ञाओं का ही प्रयोग उचित समझा गया। धीरे-धीरे नए स्थलों की खुदाई हुई। पता चला कि यह सभ्यता दूर तक फैली थी। विद्वानों ने इसे “सिंधु सभ्यता” या “सिंधु-घाटी की सभ्यता कहना उचित नहीं समझा तथा इसके लिए हड़प्पा संस्कृति जैसी गैर-भौगोलिक शब्द के प्रयोग का निर्णय किया गया। हड़प्पा इस सभ्यता से सम्बन्धित सर्वप्रथम ज्ञात स्थल होने के साथ-साथ इसका सबसे बड़ा नगर है। इस नगर के सर्वाधिक विशाल आकार के कारण विद्वान इसे इस संस्कृति के क्षेत्र की राजधानी होने का अनुमान भी लगाते हैं। इसलिए सिन्धु सभ्यता को हड़प्पा संस्कृति कहना सही है। Check out: एक महान साम्राज्य का इतिहास: विजयनगर साम्राज्य भौगोलिक विस्तार Source – Manojkiawaaz हड़प्पा संस्कृति का उदय भारतीय उपमहाखण्ड के पश्चिमोत्तर भाग में हुआ। इसका विस्तार पंजाब, सिंध, राजस्थान, हरियाणा, जम्मू, गुजरात, बलूचिस्तान, उत्तरी-पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी अफगानिस्तान तक था। यह समूचा क्षेत्र एक त्रिभुजाकार द...

अध्याय

(हड़प्पा सभ्यता, उसकी प्रमुख विशेषताएं, नगर नियोजन तथा पतन के विशेष संदर्भ में) सिन्धु-घाटी सिन्धु नदी हिमालय पर्वत से निकलकर पंजाब तथा सिन्धु प्रदेश (अब पाकिस्तान में) से होती हुई अरब सागर में जाकर मिलती है। इस नदी के दोनों ओर के क्षेत्र को सिंधु घाटी कहते हैं। इस घाटी से एक अत्यंत विकसित सभ्यता का पता लगा है। इसे सर्वप्रथम 1921 ई. में पश्चिमी पंजाब प्रांत के हड़प्पा नामक स्थान पर खोजा गया था। हड़प्पा सभ्यता हड़प्पा संस्कृति ताम्र-पाषाणिक संस्कृतियों से पुरानी थी फिर भी ताम्र-पाषाणिक संस्कृतियों की अपेक्षा अधिक विकसित थी। इस संस्कृति का उदय भारतीय उप-महाखंड के पश्चिमोत्तर भाग में हुआ। इस बात का अभी ठीक-ठीक निश्चय नहीं हो पाया है कि इस सभ्यता को जन्म देने वाले कौन लोग थे। इसलिये इस सभ्यता को किसी जाति-विशेष की सभ्यता अथवा काल विशेष की सभ्यता न कहकर, सिन्धु-घाटी की सभ्यता के नाम से पुकारा गया है। कुछ विद्वान इसे प्रमुख नगरों हड़प्पा तथा मोहेन-जोदड़ो के नाम पर हड़प्पा तथा मोहेन-जोदड़ो की सभ्यता भी कहते हैं। इस सभ्यता के बारे में सर्वप्रथम जानकारी हड़प्पा नगर से प्राप्त हुई थी। इसलिये इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। हड़प्पा पश्चिमी पंजाब के मान्टगोमरी जिले और मोहेनजोदड़ो सिन्धु के लरकाना जिले में स्थित है। वर्तमान में ये दोनों नगर पाकिस्तान में हैं। भौगोलिक विस्तार हड़प्पा संस्कृति का विस्तार हरियाणा, पंजाब, सिन्ध, राजस्थान, गुजरात तथा बिलोचिस्तान के हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती भाग तक था। इसका प्रसार उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने तक और पश्चिम में बिलोचिस्तान के मकरान समुद्रतट से लेकर उत्तर-पूर्व में मेरठ तक था। यह सम्पूर्ण क्...

हड़प्पा या सिंधु सभ्यता क्या है? खोज, विस्तार क्षेत्र

हड़प्पा या सिन्धु सभ्यता क्या है? (sindhu sabhyata kise kahte hai) sindhu sabhyata in hindi;हड़प्पा या सिंधु सभ्यता को प्रायः तीन नामों से जाना जाता है। सिंधु सभ्यता, सिन्धु घाटी की सभ्यता और हड़प्पा सभ्यता। यह तीनो नाम उसके क्षेत्र विस्तार और प्रारंभिक उदाहरण के आधार पर पड़े है। हड़प्पा संस्कृति नाम पड़ने का मुख्य कारण है कि इस विस्तृत सभ्यता को सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थान पर पहचाना गया था। सिंधु घाटी की सभ्यता इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस सभ्यता के जितने स्थल अभी तक खोजे गये है, वे अधिकांश सिंधु नदी घाटी के क्षेत्र मे है। सिन्धु या हड़प्पा सभ्यता उत्खनन एवं खोज सिन्धु नदी के किनारे हड़प्पा मे सर्वप्रथम सन् 1921 मे रायबहादुर साहनी ने उत्खनन कार्य करके इस सभ्यता के अवशेषों को प्राप्त किया। इसके पश्चात सन् 1922 ई. मे राखोलदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो जो हड़प्पा से 640 कि. मी. दूर है, मे खुदाई कराकर एक बौद्ध स्तूप प्राप्त किया। इसी समय गहराई मे उत्खनन कार्य के कालण मोहनजोदड़ो नगर मे सात स्तर (तहें) प्राप्त हुए। इनके अतिरिक्त दयाराम साहनी, जाॅन मार्शल, अर्नेस्ट, व्हीलर, डाॅ. ई. मैके, सर अरिलस्टाइन, एच. हारग्रीव्ज, पिगट, काशीनाथ दीक्षित, एन. जी. मजूमदार आदि ने सिन्धु घाटी क्षेत्र मे एक विकसित सभ्यता के हाजारों अवशेष प्राप्त किये। मार्शल ने इसे सिन्धु सभ्यता का नाम दिया। यह उत्खनन कार्य सन् 1935 तक चलता रहा। सिंधु या हड़प्पा सभ्यता का विस्तार सर जान मार्शल ने यह स्वीकार किया है कि हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो के उत्खनन से प्राप्त सिंधु घाटी की सभ्यता प्रारंभिक सभ्यता नही थी बल्कि सभी युगों सभ्यता से प्राचीन हो चुकी थी। विश्व मे इस सभ्यता के स्थापित होने पर अन्य प्राचीन सभ्यताओं की तुलन...

हड़प्पा सभ्यता

इस इकाई में हड़प्पा-सभ्यता के भौगोलिक विस्तार और भौतिक विशेषताओं का विवरण है। इसमें हड़प्पा-सभ्यता की मुख्य बस्तियों और उन भौतिक अवशेषों के बारे में बताया गया है जो इन बस्तियों की विशेषताओं को उजागर करते हैं। इस इकाई को पढ़ने के बाद आप : • यह समझ पाएंगे कि प्रारंभिक हड़प्पा और हड़प्पा-सभ्यता के बीच जनसंख्या और भौतिक परम्पराओं की निरंतरता कायम थी, हड़प्पा-सभ्यता की बस्तियों के क्रमिक विकास के भौगोलिक तथा जलवायु संबंधी पहलुओं से परिचित हो सकेंगे, • हड़प्पा-सभ्यता के महत्वपूर्ण केन्द्रों की विशिष्ट भौगोलिक, • जलवायु और जीवन-निर्वाह संबंधी विशेषताओं का उल्लेख कर पाएंगे, • यह जान सकेंगे कि हड़प्पा-सभ्यता की मुख्य बस्तियों की भौतिक विशेषताएं क्या थीं और विशेषकर यह कि इन बस्तियों की भौतिक विशेषताओं में किस तरह की एकरूपताएं पाई गई हैं। इस इकाई में हम चरागाही और खेतिहर जातियों तथा छोटे-छोटे कस्बों की नींव पर पनपी हड़प्पा सभ्यता के भौगोलिक विस्तार और इसकी भौतिक विशेषताओं की चर्चा करेंगे। प्रारम्भिक हड़प्पा और हड़प्पा-सभ्यता के बीच जनंसख्या और भौतिक परम्पराओं की निरंतरता बनी हुई थी। इसमें हड़प्पा-सभ्यता के भौगोलिक विस्तार के अलावा कुछ महत्वपूर्ण केन्द्रों के संबंध में भी विशेष चर्चा की गई है। इस इकाई में आपको हड़प्पा-सभ्यता की नगर योजना, महत्वपूर्ण इमारतों, कला एवं शिल्प, घरों की बनावट, मिट्टी के बर्तन, औजार तथा उपकरण और जीवन-निर्वाह के तरीकों आदि की जानकारी देने का प्रयास किया गया है। अन्त में, हड़प्पा की बस्तियों की भौतिक विशेषताओं में पाई गई एकरूपताओं पर भी प्रकाश डाला गया है। आप पढ़ोगे • 1 गांवों से कस्बों और नगरों की ओर • 2 हड़प्पा-सभ्यता : स्रोत • 3 भौगोलिक विस्तार • 4 महत्वपूर...

हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता, वर्णन, नगर व्यवस्था GK pdf download

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हड़प्पा सभ्यता का कालानुक्रम, भौगोलिक विस्तार और पतन

इस पेज की पाठ्यक्रम 1 प्रस्तावना 2 एक प्राचीन शहर की खोज 3 हड़प्पा की सभ्यता का युग 4 इसे हड़प्पा की सभ्यता क्यों कहा जाता है? 5 पूर्ववर्ती इतिहास 6 भौगोलिक विशेषताएँ 7 कृषि की शुरुआत और बसे हुए गाँव 8. आरंभिक हड़प्पा काल 8.1 दक्षिणी अफगानिस्तान 8 . 2 क्वे टा घाटी 8.3 मध्य और दक्षिण बलूचिस्तान 8 .4 सिंधु क्षेत्र 8.5 पंजाब और बहावलपुर 8.6 कालीबंगन 9 हड़ प्पा की स भ्यता का अभ्युदय 10 हड़प्पा का हास : पुरातात्विक साक्ष्य 11 आकस्मिक हास के सिद्धांत 11.1 बाढ़ और भूकम्प 11 . 2 सिं धु नदी का मार्ग बदलना 11.3 शुष्कता में वृद्धि और घग्घर का सूख जाना 11.4 बर्बर आक्रमण 12 पारिस्थितिक असन्तुलन 13 परंपरा बाद में भी जी वित रही 13.1 सिंध 13.2 भारत-ईरानी सीमांत प्रदेश 13.3 पंजाब, हरियाणा और राजस्थान 13.4 कच्छ और सौराष्ट्र 1 4 हड़ प्पा परंपरा का प्रसार 15 हड़प्पा सभ्यता के अवशेष 1. प्रस्तावना पहले की इकाई में आपने पढ़ा कि किस प्रकार मानव समाज शिकारी संग्रहकर्ता से कृषि समाज की ओर अग्रसर हुआ। कृषि की शुरुआत के कारण ही मानव समाज में व्यापक परिवर्तन हुए । कृषि की शु रु आत का एक महत्वपूर्ण परिणाम था नगरों और सभ्यताओं का अभ्युदय । इस इकाई में आप एक ऐसी ही सभ्यता के उद्भव से परिचित होंगे , जिसे हड़प्पा की स भ्यता कहते हैं। हम इस बात को भी जानेंगे कि हड़प्पा सभ्यता का उद्भव व विकास के क्या पहलू हैं । तथापि इसकी परिपक्वता के विभिन्न पहलुओं जैसे लेखन , नगर नियोजन आदि का प्राचीन भारत के बाद के चरणों में लुप्त हो जाना एक रहस्य ही है । हम इस इकाई में इस रहस्य को सुलझाने की दिशा में प्रस्तुत विभिन्न तर्कों की परीक्षा भी करेंगे । 5.2 एक प्राचीन शहर की खोज 1826 में चार्ल्स मोसन नामक एक अंग्रेज पश्चिमी पं...

पूर्वएनसीआरटी सारांश: हड़प्पा संस्कृति (सिंधु घाटी सभ्यता)

परिचय • सिंधु या हड़प्पा संस्कृति ताम्रपाषाण संस्कृतियों से पुरानी है, जिनका इलाज पहले किया जा चुका है, लेकिन यह इन संस्कृतियों की तुलना में कहीं अधिक विकसित है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में उत्पन्न हुआ। सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस सभ्यता की खोज सबसे पहले 1921 में पाकिस्तान के पश्चिमी पंजाब प्रांत में स्थित हड़प्पा के आधुनिक स्थल पर हुई थी। • यह उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा मुहाने तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान तट से लेकर उत्तर-पूर्व में मेरठ तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र ने एक त्रिकोण का गठन किया और लगभग 1,299,600 वर्ग किलोमीटर का हिसाब लगाया। • उपमहाद्वीप में अब तक लगभग 1500 हड़प्पा स्थल ज्ञात हैं। इनमें से दो सबसे महत्वपूर्ण शहर पंजाब में हड़प्पाऔर सिंध में मोहनजोदड़ो(शाब्दिक रूप से मृतकों का टीला) थे, दोनों पाकिस्तान के हिस्से हैं। 483 किलोमीटर की दूरी पर स्थित वे सिंधु द्वारा आपस में जुड़े हुए थे। • तीसरा शहर सिंध में मोहनजोदड़ो से लगभग 130 किलोमीटर दक्षिण में चन्हुदड़ो में और चौथा गुजरात में कैम्बे की खाड़ी के मुहाने पर लोथल में स्थित है। पाँचवाँ शहर कालीबंगन में स्थित है, जिसका अर्थ है उत्तरी राजस्थान में काली चूड़ियाँ। बनावली नामक छठा हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है। इसने कालीबंगन के समान दो सांस्कृतिक चरणों, पूर्व-हड़प्पा और हड़प्पा को देखा। • हड़प्पा संस्कृति सभी छह स्थानों पर अपने परिपक्व और समृद्ध चरण में है। यह अपने परिपक्व चरण में सुत्कागेंडोर और सुरकोटदा के तटीय शहरों में भी पाया जाता है, जिनमें से प्रत्येक को एक गढ़ द्वारा चिह्नित किया गया है। • बाद में हड़प्पा का चरण रंगपुर और रोजड़ी में गुज...

हड़प्पा सभ्यता

जानकारी– हड़प्पा में ध्वंशावशेषों के विषय में सबसे पहले जानकारी 1826 ई. में ‘चार्ल्स मैन्सर्न’ ने दी । सर्वप्रथम 1921 ई. में हड़प्पा नामक स्थान से ही इस संस्कृति के सम्बन्ध में जानकारी मिली थी। हड़प्पा सभ्यता का पुरातात्विक महत्त्व– 1856 ई. में ‘व्रण्टन बन्धुओं’ ने हड़प्पा के महत्व को स्पष्ट किया । हड़प्पा सभ्यता का उद्धभव– भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में हुआ था, जो वर्तमान में भारत, पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान के कुछ क्षेत्रों में अवस्थित है। यह सभ्यता लगभग 2500-1750 ई. पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग में फैली हुई थी हड़प्पा सभ्यता की काल अवधि– यह सभ्यता लगभग 2500-1750 ई. पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग में फैली हुई थी हड़प्पा सभ्यता का महत्व– सिंधु घाटी सभ्यता मिस्र,मेसोपोटामिया, भारत और चीन की चार सबसे बड़ी प्राचीन नगरीय सभ्यताओं से भी अधिक उन्नत थी। यह कांस्य युग की सभ्यता थी. हड़प्पा के समकालीन संस्कृतियाँ – बनास / आहड़ संस्कृति – • कालक्रम 2100 से 1800 ई.पू. • ताम्र पुरातात्विक संस्कृति है। • अवस्थिति दक्षिणपूर्व राजस्थान • साक्ष्य तांबे के अयस्कों, कपड़ो पर छपाई के ठप्पे आदि कायथा संस्कृति • ताम्रपाषाणिक संस्कृति • अवस्थिति मध्य प्रदेश के उज्जैन में • खोज का श्रेय विष्णु श्रीधर वाकणकर • साक्ष्य कच्ची ईटो के बने गोलाकार मकान मालवा संस्कृति- • ताम्रपाषाणिक संस्कृति • काल 1800 से 1400 ईसा पूर्व • अवस्थिति- मध्य प्रदेश • साक्ष्य – उत्कृष्ट प्रकार के मृदभांड जोरवे संस्कृति • ताम्रपाषाणिक संस्कृति • अवस्थिति महाराष्ट्रमें गोदावरी नदी के किनारे • प्रमुख स्थल इनामाबाद, नवदाटोली • साक्ष्य मातृदेवी की पूजा, विविध प्रकार की फसले बालाथल संस्कृति • अवस्थिति उदयपुर (र...