जीण माता मंदिर राजस्थान

  1. जीण माता
  2. श्री जीण माता मंदिर में पौधारोपण
  3. जीण माता की कथा इन हिंदी और चमत्कार
  4. jeen mata ki aarti:जीण माता जी आरती,जीण भवानी की आरती,ॐ जय श्री जीण मइया
  5. Jeen Mata Mandir
  6. जीण माता धाम


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जीण माता

देश सीकर जिला भाषा •आधिकारिक ३३२४०६ दूरभाष कोड ०१५७६ Rj-23- निकटतम नगर सीकर सीकर दांतारामगढ़ वेबसाइट .com जीण माता राजस्थान के मंदिर का इतिहास लोक मान्यताओं के अनुसार जीवण का जन्म चौहान वंश के राजपूत परिवार में हुआ। उनके भाई का नाम हर्ष था। जो बहुत खुशी से रहते थे। एक बार जीवण का अपनी भाभी के साथ विवाद हो गया और इसी विवाद के चलते जीवण और हर्ष में नाराजगी हो गयी। इसके बाद जीवण आरावली के 'काजल शिखर' पर पहुँच कर तपस्या करने लगीं। जीण माताजी मंदिर रेवसा गांव से 10 किमी पहाड़ी के पास स्थित है। यह घने जंगल से घिरा हुआ है। उसका पूर्ण और वास्तविक नाम जयंतलाल था। इसके निर्माण का वर्ष ज्ञात नहीं है, लेकिन सर्वमण्डपा और खंभे निश्चित रूप से बहुत पुरानी हैं। जीण माताजी का मंदिर शुरुआती समय से तीर्थ यात्रा का स्थान था और इसकी मरम्मत और कई बार पुनर्निर्माण किया गया था। एक लोकप्रिय मान्यता है जो सदियों से लोगों तक आती है कि चुरु के एक गांव घांघू में राजा गंगोसींघजी ने इस शर्त पर ऊर्वशी (अप्सरा) से शादी कर ली, कि वह अपने महल में पूर्व सूचना के बिना नहीं जाएंगे। राजा गंगोसींघजी को एक पुत्र मिला जिसे हर्ष कहा जाता था और एक बेटी जीवण थी। बाद में उसने फिर से कल्पना की लेकिन मौके के तौर पर यह राजा गंगोसींघजी अपने पूर्वजों को बिना बताए महल में गये और इस तरह उन्होंने अप्सरा से किए गए प्रतिज्ञा का उल्लंघन किया। तुरन्त उसने राजा को छोड़ दिया और अपने बेटे हर्ष और बेटी जीवण को भगा लिया, जिसे वह उस जगह पर छोड़ दिया जहां वर्तमान में मंदिर खड़ा है। यहां दो बच्चों ने अत्यधिक तपस्या का अभ्यास किया । बाद में एक चौहान शासक ने उस जगह पर मंदिर बनाया। इस मंदिर में अनगिनत चमत्कार देखें व महसूस किए जाते हैं। रोज...

श्री जीण माता मंदिर में पौधारोपण

संवाद सूत्र, संबलपुर : अपने चमत्कारों को लेकर प्रसिद्ध राजस्थान शेखावाटी की कुलदेवी श्री जीण माता के स्थानीय दुर्गापाली स्थित मंदिर परिसर में पौधारोपण का कार्यक्रम आयोजित रहा। लायंस क्लब आफ संबलपुर सेंट्रल और श्री जीण माता मंदिर प्रबंधन समिति की साझेदारी में आयोजित इस कार्यक्रम में मंदिर परिसर में विभिन्न प्रकार के 250 से अधिक पौधे रोपे गए, जिसमें माता के अनुयायियों ने भी सहयोग किया। इस कार्यक्रम में लायंस क्लब आफ संबलपुर सेंट्रल के अध्यक्ष नरेश बेदी, सचिव निहालचंद सोनी, आरसी वीणा बेदी, जोन चेयरमैन सत्यनारायण पंडा, जिला संयोजक चरणजीत कौर हुरा समेत मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रेणु कक्कड़ और अन्य सदस्य उपस्थित रहे। : सुंदगरढ़ जिला अंतर्गत बिसरा प्रखंड के झीरपानी क्षेत्र में रविवार को मगधा गौड़ समाज की ओर से पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बिसरा (क) जिला परिषद सदस्य हालु मुंडारी बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के साथ ही शहरी क्षेत्र में भी लोगों को पौधारोपण अभियान से जुड़कर अपने घर व मोहल्ले में पौधे रोपने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पौधारोपण ही एक मात्र विकल्प है जिससे हम हमारे समाज के वातावरण को बेहतर बना सकते है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मगधा गौड़ समाज के सदस्यो के साथ मिलकर दर्जनों की संख्या में पौधारोपण किया।

जीण माता की कथा इन हिंदी और चमत्कार

जीण माता की कथा इन हिंदी और चमत्कार | जीण माता किसकी कुलदेवी है – जीण माता का शक्तिपीठ मंदिर राजस्थान के सीकर शहर के पास ओरण पर्वत में स्थित हैं. जीण माता को भगवती दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता हैं. आज के समय में जीण माता की पूजा अनेक समाज के लोग उनकी कुलदेवी के रूप में करते हैं. जीण माता को लेकर एक कथा हैं. जो आज हम आपको बताने वाले हैं. • • • • • जीण माता की कथा इन हिंदी और चमत्कार पुराने समय की बात है. मारवाड़ की धरती पर घांघूराव नामक एक महाबली हुआ. जिसने घांघूराज्य की स्थापना की और घांघूपूरी नामकी नगरी बसाई. उनका एक पुत्र था जिसका नाम हर्ष और एक पुत्री थी जिसका नाम जीवणकुँवरी था.दोनों भाई बहन में परस्पर अच्छा प्यार था. gaaj mata ki kahani in hindi sunaiye / गाज माता की कहानी हिंदी में जीवण माँ जगदम्बा की बहुत बड़ी भक्त थी. वह माँ जगदम्बा की सच्चे ह्रदय से भक्ति करती थी. जीवण को उनके माता-पिता और भाई हर्ष जीण नाम से ही बुलाते थे. वह जीण नाम से विख्यात हो गई. जीण के भाई हर्ष का सुंदर स्त्री आभलदे के साथ विवाह हुआ. लेकिन दुर्भाग्यवश हर्ष के पिता उसी समय बीमार हुए. और मरते समय उन्होंने हर्ष से कहा की “तुम्हारी बहन जीण बहुत भोली हैं. वह हमेशा ही माँ जगदम्बा की भक्ति करती रहती हैं. उसे दुनियादारी के बारे में कुछ पता नहीं हैं. अगर गलती से तुम्हारी बहन से कोई भूल हो जाए. तो तुम्हारी पत्नी से उसका बचाव करना तुम्हारी जिम्मेदारी है”. Bhagwan Brihaspati dev ji ki aarti lyrics in hindi PDF Download तब हर्ष ने कहा की “पिताजी आप चिंता न करे मैं जीण का ख्याल रखुगा. आपकी कमी उसे कभी महसूस होने नही दूंगा”. घांघूराव के मरने के बाद उनकी पत्नी क्षय रोग से पीड़ित हो गई. उसने भी मरते हुए हर्ष से...

jeen mata ki aarti:जीण माता जी आरती,जीण भवानी की आरती,ॐ जय श्री जीण मइया

jeen mata ki aarti जीण माता जी आरती, जीण भवानी की आरती, ॐ जय श्री जीण मइया राजस्थान के शेखावाटी आंचल सीकर जिले में गोरिया गावं में श्री जीण माता का विशाल मंदिर हैं ! मंदिर में रोज पराशर परिवार द्वारा jeen mata ki aarti : जीण माता जी आरती, जीण भवानी की आरती, ॐ जय श्री जीण मइया.. की दोनों समय की जाती हैं ! जीणमाता का यह पवित्र मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर सेेेे 1110 कि.मी. व सीकर से 30 कि.मी. दक्षिण में स्थित है ! माँ भवानी का यह पवित्र मंदिर सैकड़ों साल पुराना है ! माता जीण भवानी के भाई का नाम हर्ष था ! जीण माता मंदिर के करीब पहाड़ी की चोटी पर उसके भाई हर्ष नाथ भैरव का मंदिर है ! हर्ष नाथ भैरव मंदिर का निर्माण गुवक प्रथम ने करवाया था ! ग्रहण में भी जीण माताजी मंदिर के पट कभी बंद नहीं होते हैं। जहाँ के पुजारी पराशर परिवार माँ जीण भवानी की सेवा पूजा करते है ! चेत्र और अश्वनी नवरात्रों में माता का विशाल मैला लगता हैं ! -: अन्य आरती संग्रह :- गणेश जी की आरती दुर्गा जी की आरती लक्ष्मी जी की आरती कुबेर जी की आरती ************************** श्री जीण माता जी आरती (jeen mata ki aarti ) ॐ जय श्री जीण मइया, ओ बोलो जय श्री जीण मइया I सच्चे मन से सुमिरे , सब दुःख दूर भया II ओम जय श्री जीण मइया.. (१) ऊंचे-ऊंचे पर्वत मंदिर, शोभा अति भारी I दिखत रूप मनोहर, असुरन भयकारी II ॐ जय श्री जीण मइया..(२) महासिंगार सुहावन, ऊपर छत्र फिरे I सिंह की सवारी सोहे , कर में खड़ग धरे II ॐ जय श्री जीण मइया..(३) बाजत नौबत द्वारे , अरु मृदंग डैरु I चौसठ जोगन नाचत , नृत्य करे भैरू II ॐ जय श्री जीण मइया..(४) बड़े-बड़े बलशाली , तेरा ध्यान धरे I ऋषि मुनि नर देवाये , चरणो में आन पड़े II ॐ जय श्री जीण मइया..(५) जी...

Jeen Mata Mandir

Jeen Mata Mandir जीण माता (शक्ति की देवी) मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में अरावली पहाड़ियों, रायवासा में स्थित है, जयपुर से 115 किमी दूर है। नवरात्रि में यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं। बड़ी संख्या में आगंतुकों को समायोजित करने के लिए कई सारी धर्मशालाएँ हैं। यह घने जंगलों से घिरा हुआ है। मंदिर का निर्माण लगभग 1200 साल पहले हुआ था। जीण माता दुर्गा का अवतार हैं। जीण माता स्थान को शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है और इसका पूरा और वास्तविक नाम जयंतीमाला था। माना जाता है कि जीण माता का पवित्र मंदिर एक हजार साल पुराना है। इसके निर्माण का वर्ष ज्ञात नहीं है, ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने हस्तिनापुर से अपने निर्वासन के दौरान वर्तमान शैली में मंदिर का पुनर्निर्माण किया था। Jeen Mata Mandir के चारों ओर हरे-भरे वनस्पतियों और समृद्ध वनस्पतियों, जीवों द्वारा शांति की एक प्राकृतिक कृपा प्रदान की जाती है। मंदिर की वास्तुकला बहुत अच्छी है। मुख्य हॉल में खंभे ऊपर से नीचे तक उत्कीर्ण वनस्पतियों और जीवों, नर्तकियों और देवताओं के साथ हैं। चुरू के गाँव घोघू में, राजा घंघ ने एक अप्सरा से प्रेम करते थे और इसी शर्त पर उन्होने विवाह किया कि वह पहले सूचना दिए बिना उसके महल में नहीं राजा को एक पुत्र हुआ जिसका नाम हर्ष और एक पुत्री जीन थी। दोनों बच्चों ने अत्यधिक तपस्या की और समय के साथ जीन ने अपने अवतार के रूप में दुर्गा और भैरों के अवतार के रूप में हर्ष का दर्जा प्राप्त किया। Jeen Mata Mandir जीण माता को आठ भुजाओं वाली महिषासुर मर्दिनी दुर्गा भी कहा जाता है। Jeen Mata Mandir के पास ही पहाड़ी की चोटी पर उनके भाई हर्ष भैरव नाथ का मंदिर है। यह मंदिर पूरे भारत और विदेश से बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित...

जीण माता धाम

जीणमाता मंदिर एक प्राचीन जीणमाता शक्ति की देवी को समर्पित मंदिर है। जीणमाता का पूर्ण और वास्तविक नाम जयन्तीमाता है। माता दुर्गा की अवतार है। जीण माता धाम जीण माता का निवास है। यह चौहानों की कुल देवी है। ये भव्य धाम चरों तरफ़ से ऊँची ऊँची पहाडियों से घिरा हुआ है। बरसात या सावन के महीने में इन पहाडो की छटा देखाने लायक़ होती है। कलयुग में शक्ति का अवतार माता जीण भवानी का भव्य धाम जयपुर से से लगभग 115 किलोमीटर दूर सीकर ज़िले (Sikar District) के सुरम्य अरावली पहाड़ियों (रेवासा पहाडियों) में स्थित है। जीण माता मंदिर सीकर से लगभग 15 कि.मी. दूर दक्षिण में जयपुर बीकानेर राजमार्ग पर गोरियां रेलवे स्टेशन से 15 कि.मी. पश्चिम व दक्षिण के मध्य खोस नामक गाँव के पास स्थित है। (राष्ट्रिये राजमार्ग 11 से ये लगभग 10 किलोमीटर की दुरी पर) 17 कि.मी. लम्बा यह मार्ग पहले अत्यंत दुर्गम व रेतीला था किन्तु विकास के दौर में आज यह काफ़ी सुगम हो गया है। सकरा व जीर्ण शीर्ण मार्ग चोडा व काफ़ी हद चिकना हो चुका है। रानोली से माता के दर्शन के लिए अच्छी सड़क बनाई गयी है। यानी की गौरियाँ (यहाँ से सीधी रोड आती है) या रानोली (यहाँ से कोछौर देकर आना पड़ता है) स्टैंड द्वारा यहाँ पहुंचा जा सकता है। जीण माता मन्दिर जीण माता (Jeen Mata) के बारे में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी मौजूद नहीं है फिर भी कहते है की माता का मन्दिर कम से कम 1000 साल पुराना है। जीणमाता मंदिर घने जंगल से घिरा हुआ है। यह मंदिर तीन छोटी पहाडों के संगम में 20 - 25 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। जीण माता मंदिर के ऊपर 17 कि.मी. सीधी चढ़ाई बाले हर्ष पर्वत पर स्थित 10वी शताब्दी का यह मंदिर, अनेक लोक श्रुतियों का जन्म दाता है। ओरंगजेब द्वारा किये गए विध्वंस क...