कावड़ जल कब चढ़ेगा 2023

  1. 2022 में नाग पंचमी कब है व नाग पंचमी का महत्व
  2. Kanwar Yatra 2022 will start on 14th July, Kanwar Yatri should not make these mistakes
  3. कावड़ का जल कब चढ़ेगा? – ElegantAnswer.com
  4. कांवड़ क्या होती है? क्यों चढ़ाते हैं व कितने प्रकार की होती है ?


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2022 में नाग पंचमी कब है व नाग पंचमी का महत्व

हिन्दू धर्म में देवताओं के अतिरिक्त पेड़, पशु, पक्षियों और ग्रहों की भी पूजा की जाती है। शाश्त्रों में प्रत्येक पूजा के नियम, विधि एवं व्रत बताये गए है। गाय को माता समान मान कर उसकी पूजा की जाती जाती है। कोकिला-व्रत में कोयल के दर्शन या उसके स्वर सुनने पर ही भोजन ग्रहण करने का भी व्रत है। बैल का पूजन वृषभोत्सव के दिन किया जाता है। इसके अलावा बरगद की पूजा वट-सवित्री व्रत में की जाती है। नागों के पूजन के लिए भी दिन निर्धारित किया गया है। जिसे नागपंचमी कहा जाता है। 2022 में नाग पंचमी कब है व नाग पंचमी का महत्व क्या है यह हम आगे देखते है। नाग पंचमी कब है? नागों का हिदू धर्म में एक विशिष्ट स्थान है, क्योकि वे भगवान शिव के गले में विराजमान है और श्री हरी विष्णु भी नाग पर ही विराजमान है। सावन माह बहुत ही शुभ माह माना जाता है इसी माह के शुक्ल पक्षकी पंचमीको नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2022 में 13 अगस्त, शुक्रवार के दिन नाग पंचमी है। इस दिननागदेवता की पूजा की जाती है और उन्हेंदूधसे स्नान कराया जाता है। शास्त्रों के अनुसार नागों को दूध से स्नान कराना चाहिए ना की उन्हें दूध पिलाना चाहिए।नागपंचमी के पावन पर्व पर वाराणसी (काशी) में बहुत बड़ा मेला लगता है। इस दिन बहुत से गांवों में कुश्ती का आयोजन किया जाता है। नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है? हिन्दू धर्म में नाग पंचमी मनाने के पीछे बहुत सी कहानियाँ है आज हम आपको मुख्य तीन कहानियों के बारे में बताने वाले जो नाग पांचवी मनाने की मुख्य कहानिया है। एक बार की बात है जब एक किसान अपने खेत में हल जोत रहा था तभी गलती से उसके द्वारा सांप के कुछ बच्चे मर जाते है जिस कारण उन बच्चो के माता पिता नाराज़ हो जाते है और बदला लेने की भावना से उस क...

Kanwar Yatra 2022 will start on 14th July, Kanwar Yatri should not make these mistakes

Sawan Kanwar Yatra 2022: हर साल जब भी सावन महीने की शुरुआत होती है, तो पूरा देश भगवान भोले की भक्ति में रंगा हुआ नजर आता है। दरअसल, सावन महीने में लाखों-करोडों शिवभक्त अपने इष्ट भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर या वाहनों के जरिये गंगा नदी से जल भरकर शिव मंदिर पहुंचते हैं। ख़ास बात तो यह है कि कावड़ियों के पैर में पड़े छालों और दर्द के बाद भी भगवान भोले के प्रति उनकी निष्ठां और आस्था उन्हें जल चढ़ाने से रुकने नहीं देती। अगले महीने देशभर में फिर गूजेंगा हर हर भोले वहीं, इस साल अगले महीने की 14 तारीख (14 जुलाई) से सावन महीने की शुरुआत हो रही है, ऐसे में एक बार फिर देशभर में लाखों कावड़ियां हर साल की तरह भोलेनाथ को जल चढ़ाते हुए नजर आयेंगे। हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा का आरंभिक समय से ही विशेष महत्व रहा है और इस जलाभिषेक से जुड़ी ऐसी कई कथाएं भी प्रचलित है, जिन्हें आपने भी कई बार सुनी होगी। इन कथाओं में एक कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है, जिसके अनुसार भगवान शंकर के भक्त भगवान परशुराम ने बागपत स्थित पूरा महादेव मन्दिर में भगवान भोले को जल चढ़ाया था। मान्यता है कि भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए भगवान परशुराम गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लाए थे। नियमों का पालन करना है बेहद जरूरी दूसरी ओर, अगर आप भी इस बार कांवड़ लाने और भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने की सोच रहे है, तो आपको यह जानना बेहद ही जरूरी है कि कांवड़ ले जाते समय कुछ न‌ियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता हैं, इन नियमों का पालन करके ही जलाभिषेक को सम्पूर्ण माना जाता है। कांवड़ यात्रा के कुछ महत्वपूर्ण नियम (Kanwar Yatra some Importants Rules) • यदि कोई व्यक्ति कांवड़ यात्रा शुरू कर लेता है या जलाभिषेक करने के लिए निकल लेता है...

कावड़ का जल कब चढ़ेगा? – ElegantAnswer.com

कावड़ का जल कब चढ़ेगा? इसे सुनेंरोकेंसावन में जलाभिषेक से शिव की कृपा सावन मास के आरंभ के साथ ही कांवड़ यात्रा भी शुरू हो जाती है और पूरे मास में शिव को जलाभिषेक किया जाता है। शिव जलाभिषेक से हर पीड़ा, कष्ट और बीमारी का नाश होता है। हिंदू पंचाग के अनुसार आषाढ़ मास की गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से सावन महीने की शुरुआत होती है। 2021 में कांवर कब उठेगा? इसे सुनेंरोकें25 जुलाई से शिवभक्तों की कांवड़ यात्रा शुरू होगी. UP Kanwar Yatra 2021: 25 जुलाई से शिवभक्तों की कांवड़ यात्रा शुरू होगी. कांवड़ यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब चारों तरफ जानलेवा कोरोना वायरस का खतरा है. जल चढ़ाने का शुभ मुहूर्त कब है? इसे सुनेंरोकेंभगवान शिव के भक्त तीर्थ क्षेत्रों एवं गंगा आदि पवित्र नदियों से जल लाकर अपने निकटतम शिवालयों के शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। इस वर्ष श्रावण शिवरात्रि छह अगस्त को है। छह अगस्त को शाम 6:28 बजे से चतुर्दशी तिथि आरंभ हो जाएगी जो सात अगस्त की शाम 7:11 बजे तक रहेगी। क्या अब की बार कावड़ यात्रा होगी? इसे सुनेंरोकेंसमर्थ श्रीवास्तव/अभिषेक मिश्रा/संजय शर्मा पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में कांवड़ यात्रा को लेकर सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने योगी सरकार को पुनर्विचार करने का मौका दिया था. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया था कि प्रदेश में कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह रोक नहीं रहेगी, सांकेतिक रूप से कांवड़ यात्रा जारी रहेगी. क्या इस बार कांवड़ यात्रा होगी? इसे सुनेंरोकेंKanwar Yatra 2021 in UP: यूपी के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने बैठक बुलाई. सभी कांवड़ संघ यात्रा स्थगित करने को तैयार हैं. इसलिए इस साल यात्रा नहीं होगी. कावड़ का क्या अर्थ है? इसे सुनेंरो...

कांवड़ क्या होती है? क्यों चढ़ाते हैं व कितने प्रकार की होती है ?

कांवड़ क्या होती है ? क्यों चढ़ाते हैं व कितने प्रकार की होती है? सावन के महीने में हजारों की संख्या में लाल कपड़े पहने भोले बाबा के भक्त हर सड़क पर दिख जाएंगे । यदि उन्हें देखकर आपके भी मन में यह सवाल आता है कि ये लाल कपड़ा पहनने वाले लोग कौन से हैं तथा ये कहां जा रहे हैं तो आपके बताते चलें इन्हें कावडिंया कहा जाता है और ये भगवान शिव के भक्त मां गंगा का जल लाकर भोले बाबा के मंदिर में चढ़ाते हैं। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कांवड़ चढ़ाने से भगवान शिव सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं ‌। यदि आप भी कांवड़ यात्रा में जाना चाहते हैं अथवा इससे संबंधित जानकारी चाहते हैं तो हम बने रहिए हमारे साथ इस आर्टिकल में यहां हम आपको बताएंगे कांवड़ यात्रा के बारे में पूरी जानकारी … कांवड़ क्यों चढ़ाते हैं? कांवड़ चढ़ाने को लेकर तमाम विद्वान विभिन्न प्रकार की अलग अलग जानकारी बताते हैं ।‌लेकिन‌ अधिकतर लोगों और विद्वानों के अनुसार कांवड़ यात्रा मनाने का मुख्य कारण समुद्र मंथन में भगवान शिव के विष पीने के बाद उन पर आए नशे और उसके दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए शिव भक्तों द्वारा कांवर चढ़ाई जाती है । कांवर चढ़ाने के पीछे की कहानी क्या है? विभिन्न पौराणिक ग्रंथों व विभिन्न मतों के अनुसार कांवर चढ़ाने के पीछे एक कहानी ‌अत्यंत प्रचलित है। इसके पीछे एक बहुत प्रसिद्ध कथा आती है कि एक समय ऐसा आया जब देवताओं और दैत्यों ने मिलकर समुद्र मंथन किया शुरू किया । समुद्र के मथने से भांति भांति प्रकार की दुर्लभ वस्तुएं देवताओं और दैत्यों को मिलने लगीं । धन , लक्ष्मी और अमृत मिलने के बाद एक समय ऐसा आया जब समुद्र से विष का खतरनाक प्याला निकला ऐसी मान्यता है कि वो विष का प्याला इतना खतरनाक था कि अगर प्रथ्वी ...