राजस्थान विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर कौन है

  1. वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष कौन है? – ElegantAnswer.com
  2. Know what is protem speaker his functions and appointment
  3. हंग असेंबली में गठबंधन की सरकार बनाने में प्रोटेम स्पीकर का रोल सबसे अहम, जानिए कौन होता है ये?
  4. जानें क्‍या होता है प्रोटेम स्‍पीकर और इसकी शक्तियां इस पद के लिए इन नामों की है चर्चा
  5. सीपी जोशी होंगे राजस्थान विधानसभा के नए अध्यक्ष, महेश जोशी को बनाया गया चीफ व्हिप
  6. [Solved] राजस्थान विधान सभा के प्रथम प्रोटेम स्पीकर क�
  7. Know What is Protem Speaker, What are its Rights and Duties
  8. सीपी जोशी होंगे राजस्थान विधानसभा के नए अध्यक्ष, महेश जोशी को बनाया गया चीफ व्हिप
  9. जानें क्‍या होता है प्रोटेम स्‍पीकर और इसकी शक्तियां इस पद के लिए इन नामों की है चर्चा
  10. [Solved] राजस्थान विधान सभा के प्रथम प्रोटेम स्पीकर क�


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वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष कौन है? – ElegantAnswer.com

S.No. Name Period 6. Sh. Ram Singh Yadav 25-03-1972 to 30-04-1977 7. Sh. Ram Chandra 08-09-1977 to 17-02-1980 8. Sh. Ahmad Bakhsh Sindhi 28-03-1981 to 14-10-1982 9. Sh. Giriraj Prasad Tiwari 29-03-1985 to 31-01-1986 छत्तीसगढ़ की विधानसभा का अध्यक्ष कौन है? माननीय अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ विधानसभा पिता का नाम स्व. श्री बिसाहू दास महंत जन्मतिथि 13 दिसंबर 1954 वैवाहिक स्थिति विवाहित विवाह की तिथि – 23 नवंबर 1980 वर्तमान में कितने राज्य में विधान परिषद है? इसे सुनेंरोकेंविधान परिषद विधानमण्डल का अंग है। आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के रूप में, (भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश)(इकतीस में से) छः राज्यों में विधान परिषद है। Rajasthan विधानसभा उपाध्यक्ष कौन है 2021? इसे सुनेंरोकेंजयपुर. राजस्थान की 15वीं विधानसभा के लिए कांग्रेस नेता सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया गया है। महेश जोशी मुख्य सचेतक और महेंद्र चौधरी को उप मुख्य सचेतक बनाए गए हैं। प्रोटेम स्पीकर क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंप्रोटेम स्पीकर वह व्यक्ति होता है जो विधानसभा और लोकसभा के स्पीकर के पद पर कुछ समय के लिए कार्य करता है. यह अस्थायी होता है. प्रोटेम स्‍पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है. आमतौर पर इसकी नियुक्ति तब तक के लिए होती है, जब तक स्‍थायी विधानसभा अध्‍यक्ष ना चुन लिया जाए. छत्तीसगढ़ विधानसभा में कितने सदस्य हैं? इसे सुनेंरोकेंपंचम विधानसभा में 90 निर्वाचित सदस्य है । छत्तीसगढ़ में कुल कितने जिले हैं? इसे सुनेंरोकेंभारत के एक राज्य छत्तीसगढ़ में 33 प्रशासनिक जिले हैं। मध्य प्रदेश से अलग होने के समय, छत्तीसगढ़ में मूल रूप से 16 जिले थे। दो नए जिले: बीजापुर और नारायणपुर को 11 मई, ...

Know what is protem speaker his functions and appointment

नई दिल्ली: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद अब नये मंत्रीमंडल के गठन की कवायद भी शुरू हो गई है. उत्तराखंड में भाजपा के वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है, तो वहीं उत्तर प्रदेश में प्रोटेम स्पीकर के लिए विधानसभा के वरिष्ठ सदस्यों के नाम की सूची राज्यपाल को भेजी गई है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि प्रोटेम स्पीकर के रूप में किसके नाम पर मुहर लगती है. आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यों को शपथ दिलाना और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष ) का चुनाव कराना होता है. अब आप लोगों में से कई लोगों को थोड़ा सा कनफ्यूजन होगा कि प्रोटेम स्पीकर कौन होता है? विधानसभा अध्यक्ष को वो क्यों चुनेगा? इस आर्टिकल में हम आपको इसकी पूरी जानकारी देने जा रहे हैं. प्रोटेम स्पीकर क्या होता है? प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्‍द प्रो टैम्‍पोर(Pro Tempore) का संक्षिप्‍त रूप है. इसका शाब्दिक अर्थ होता है-'कुछ समय के लिए'. प्रोटेम स्पीकर कुछ समय के लिए राज्यसभा और विधानसभा में काम करता है. प्रोटेम स्पीकर वह व्यक्ति होता है जो विधानसभा और लोकसभा के स्पीकर के पद पर कुछ समय के लिए कार्य करता है. यह अस्थायी होता है. प्रोटेम स्‍पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है. आमतौर पर इसकी नियुक्ति तब तक के लिए होती है, जब तक स्‍थायी विधानसभा अध्‍यक्ष ना चुन लिया जाए. प्रोटेम स्पीकर ही नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ दिलाता है. शपथ ग्रहण का पूरा कार्यक्रम प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में होता है. प्रोटेम स्पीकर के कार्य 1. नए सदस्यों को शपथ दिलाना. 2. विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराना. 3. फ्लोर टेस्ट करने का काम करना. 4. स्थायी स्पीकर चुने जाने तक सदन की गतिविधियों को चलाना. 4. सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने ...

हंग असेंबली में गठबंधन की सरकार बनाने में प्रोटेम स्पीकर का रोल सबसे अहम, जानिए कौन होता है ये?

वहीं अगर किसी राज्य में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला यानी हंग असेंबली हो गई। ऐसे में प्रोटेम स्पीकर का रोल काफी अहम होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि प्रोटेम स्पीकर कौन होता है? इसका काम क्या होता है? इन्हें चुना कैसे जाता है? नंबर करीबी होने पर इनका कितना खास रोल होता है? कौन होता है प्रोटेम स्पीकर? प्रोटेम लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर से आया है। इसका मतलब होता है- कुछ समय के लिए। प्रोटेम स्पीकर अस्थायी स्पीकर होता है। विधानसभा चुनाव होने के बाद सदन को चलाने के लिए प्रोटेम स्पीकर को चुना जाता है। • विधानसभा चुनाव होने के बाद विधानसभा सचिवालय की तरफ से सीनियर मोस्ट विधायकों यानी जो सबसे ज्यादा बार चुनाव जीतकर आए हों उसका नाम राज्यपाल के पास भेजते हैं। • ज्यादातर मामलों में परंपरा रही है कि राज्यपाल सीनियर मोस्ट विधायक को ही प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते हैं। हालांकि कई मामलों में राज्यपाल पर ही निर्भर होता है कि वह किसे प्रोटेम स्पीकर चुने। • इसका उदाहरण 2018 का कर्नाटक विधानसभा चुनाव है। यहां चुनाव होने के बाद कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई ने बीजेपी नेता केजी बोपैय्या को प्रोटेम स्पीकर बनाया। जबकि कांग्रेस नेता आर वी देशपांड़े सबसे सीनियर मोस्ट विधायक थे। प्रोटेम स्पीकर का काम क्या होता है? • जब किसी चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता यानी हंग असेंबली होती है। उस स्थिति में प्रोटेम स्पीकर की भूमिका काफी अहम हो जाती है। • आर्टिकल 100 (1) में कहा गया है कि किसी भी सदन की बैठक में सभी प्रश्नों का हल वहां उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से किया जाएगा। इसमें स्पीकर या कार्यवाहक स्पीकर शामिल नहीं होते हैं। • हालांकि जब बहुमत सिद्ध करने के दौरान मामला...

जानें क्‍या होता है प्रोटेम स्‍पीकर और इसकी शक्तियां इस पद के लिए इन नामों की है चर्चा

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री के तौर पर कमान संभाल ली है। राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में हजारों लोगों व अनेक खास मेहमानों की मौजूदगी में उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। पीएम मोदी के अलावा कुल 57 मंत्री बनाए गए हैं। अब सबसे अहम काम 17वीं लोकसभा में चुनकर आए सभी सदस्‍यों को शपथ दिलाने का है। इसके लिए राष्‍ट्रपति से मंजूरी ली जाएगी, जिसके बाद लोकसभा का सत्र बुलाया जाएगा जिसमें प्रोटेम स्‍पीकर सांसदों को शपथ दिलवाएंगे। आपको बता दें कि जब भी कोई नई लोकसभा गठित होती है तो संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में सबसे अधिक समय गुजारने वाले सदस्य या निर्वाचित सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। संसदीय मामलों के मंत्रालय के माध्यम से सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन प्रोटेम स्पीकर का नाम राष्ट्रपति के पास भेजता है। इसके बाद राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करते हैं, जो नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाता है। नए सांसदों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए सरकार दो-तीन नामों की सिफारिश करती है। करीब दो दिनों तक सदस्यों को शपथ दिलाने का काम चलता है और इसके बाद सदस्य अपने लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। अध्यक्ष के चुनाव के बाद राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करते हैं। प्रोटेम स्पीकर सामान्य चुनाव के बाद संसद के निचले सदन की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है, इसके अलावा बैठक में अध्यक्ष और उपसभापति का चुनाव होता है, यदि यह एक नया गठित सदन है। इस बार संतोष गंगवार को प्रोटेम स्पीकर बनाया जा सकता है। संतोष गंगवार 8वीं बार सांसद बने हैं। इस बार भी वह यूपी की ब...

सीपी जोशी होंगे राजस्थान विधानसभा के नए अध्यक्ष, महेश जोशी को बनाया गया चीफ व्हिप

जयपुर. राजस्थान की 15वीं विधानसभा के लिए कांग्रेसनेता सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया गया है। महेश जोशी मुख्य सचेतक और महेंद्र चौधरी को उप मुख्य सचेतकबनाए गए हैं। राहुल गांधी के आदेश के बाद ही तीनों का नाम फाइनल किया गया। 15वीं विधानसभा का पहला सत्र मंगलवार से शुरू हो रहा है। सबसे पहले प्रोटेम स्पीकर गुलाबचंद कटारियानवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे।सोमवार को राज्यपाल कल्याण सिंह ने राजभवन में कटारिया को विधानसभा के सदस्य पद की शपथ दिलाई। राज्यपाल ने कटारिया को प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को मंजूरी भी दी। कटारिया ही होंगे नेता प्रतिपक्ष राजस्थान के पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी होंगे। भाजपा विधायक कटारिया 15वीं विधानसभा में आठवीं बार विधायक बनकर पहंचेहैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विधायक दल की बैठक के बाद कटारिया को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का ऐलान किया। सीपी जोशी : चार बार विधायक रहे हैं • सीपी जोशी नाथद्वारा से 4 बार विधायक बन चुके हैं। इसके साथ ही मनमोहन सरकार में केंद्र मंत्री भी रह चुके हैं। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के भी अध्यक्ष रहे। • 2008विधानसभा चुनाव में जोशी सिर्फ 1 वोट से हार गए थे। बाद में 2009 लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। इस दौरान वे पंचायतीराज, ग्रामीण विकास, भूतल परिवहन एवं राजमार्ग और रेल मंत्रालय के मंत्री रहे। • यूपीए सरकार जाने के बाद उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर बंगाल, बिहार एवं असम का प्रभारी बनाया गया। एक समय ऐसा आया जब कांग्रेस ने सभी पूर्वोत्तर राज्यों का प्रभार जोशी को दे दिया। बिहार में महा गठबंधन जीता। लेकिन, बाद में लगातार पार्टी पूर्वोत्तर राज्यों में हारती गई। महे...

[Solved] राजस्थान विधान सभा के प्रथम प्रोटेम स्पीकर क�

सही उत्तर महाराव संग्राम सिंहहै। Key Points • महाराव संग्राम सिंह राजस्थान विधानसभा के पहले अस्थायी वक्ता थे। • अस्थायी वक्ता: • लोकसभा/राज्य विधान सभा के अध्यक्ष नवनिर्वाचित विधानसभा की पहली बैठक से ठीक पहले पद छोड़ देते हैं। • इसलिए राष्ट्रपति या राज्यपाल सदन की बैठकों का नेतृत्व करने के लिए अस्थायी वक्ता की नियुक्ति करते हैं। • जब सदन नए स्पीकर का चुनाव करता है, तो अस्थायी वक्ता का कार्यालय बंद हो जाता है। • अस्थायी वक्ता का पद अल्पकालिक होता है, जो कुछ दिनों तक बना रहता है। Additional Information अस्थायी वक्ता राजस्थान विधानसभा

Know What is Protem Speaker, What are its Rights and Duties

मुंबई: महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजों के करीब एक महीने बाद बीजेपी ने एनसीपी नेता अजित पवार के समर्थन से 23 नवंबर को सरकार बना ली. लेकिन इस सरकार के खिलाफ शिवसेना और कांग्रेस के साथ साथ एनसीपी भी सुप्रीम कोर्ट चली गई. एनसीपी का दावा था कि अजित पवार ने बिना पार्टी विधायकों से राय लिए बीजेपी को समर्थन देने का फैसला किया है. इसके अलावा राज्यपाल द्वारा शनिवार 23 नवंबर को अचानक से राष्ट्रपति शासन हटाए जाने का ऐलान करना और तुरंत फडणवीस को शपथ दिलवाने के फैसले के खिलाफ भी अपील की. क्या होता है प्रोटेम स्पीकर आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यो को शपथ दिलाना और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष ) का चुनाव कराना होता हैं. लेकिन जब प्रोटेम स्पीकर के जरिए फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही गई है तो उसका रोल काफी महत्वपूर्ण हो जाता हैं. आमतौर पर सबसे सीनियर मोस्ट विधायक यानि जो सबसे ज्यादा बार चुनाव जीतकर आया हो , उसे प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है लेकिन राज्यपाल इसे माने ये जरूरी नहीं है... यह भी पढ़ें- ...विधानसभा सचिवालय की तरफ से राज्यपाल को सीनियर मोस्ट विधायकों के नाम भेजे जाते है और राज्यपाल उनसे से एक सीनियर मोस्ट विधायक को चुनता है, ये राज्यपाल के विशेषाधिकार है कि वो किसे चुने. जैसा कि साल 2018 में कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई ने बीजेपी नेता के.जी. बोपाया को प्रोटेम स्पीकर बनाया कांग्रेस पार्टी की आर. वी देशपांड़े की जगह. प्रोटेम स्पीकर का कर्तव्य प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्‍द प्रो टैम्‍पोर(Pro Tempore) का संक्षिप्‍त रूप है. इसका शाब्दिक आशय होता है-'कुछ समय के लिए.' प्रोटेम स्‍पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब ...

सीपी जोशी होंगे राजस्थान विधानसभा के नए अध्यक्ष, महेश जोशी को बनाया गया चीफ व्हिप

जयपुर. राजस्थान की 15वीं विधानसभा के लिए कांग्रेसनेता सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया गया है। महेश जोशी मुख्य सचेतक और महेंद्र चौधरी को उप मुख्य सचेतकबनाए गए हैं। राहुल गांधी के आदेश के बाद ही तीनों का नाम फाइनल किया गया। 15वीं विधानसभा का पहला सत्र मंगलवार से शुरू हो रहा है। सबसे पहले प्रोटेम स्पीकर गुलाबचंद कटारियानवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएंगे।सोमवार को राज्यपाल कल्याण सिंह ने राजभवन में कटारिया को विधानसभा के सदस्य पद की शपथ दिलाई। राज्यपाल ने कटारिया को प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को मंजूरी भी दी। कटारिया ही होंगे नेता प्रतिपक्ष राजस्थान के पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी होंगे। भाजपा विधायक कटारिया 15वीं विधानसभा में आठवीं बार विधायक बनकर पहंचेहैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विधायक दल की बैठक के बाद कटारिया को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का ऐलान किया। सीपी जोशी : चार बार विधायक रहे हैं • सीपी जोशी नाथद्वारा से 4 बार विधायक बन चुके हैं। इसके साथ ही मनमोहन सरकार में केंद्र मंत्री भी रह चुके हैं। राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के भी अध्यक्ष रहे। • 2008विधानसभा चुनाव में जोशी सिर्फ 1 वोट से हार गए थे। बाद में 2009 लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। इस दौरान वे पंचायतीराज, ग्रामीण विकास, भूतल परिवहन एवं राजमार्ग और रेल मंत्रालय के मंत्री रहे। • यूपीए सरकार जाने के बाद उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाकर बंगाल, बिहार एवं असम का प्रभारी बनाया गया। एक समय ऐसा आया जब कांग्रेस ने सभी पूर्वोत्तर राज्यों का प्रभार जोशी को दे दिया। बिहार में महा गठबंधन जीता। लेकिन, बाद में लगातार पार्टी पूर्वोत्तर राज्यों में हारती गई। महे...

जानें क्‍या होता है प्रोटेम स्‍पीकर और इसकी शक्तियां इस पद के लिए इन नामों की है चर्चा

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री के तौर पर कमान संभाल ली है। राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में हजारों लोगों व अनेक खास मेहमानों की मौजूदगी में उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। पीएम मोदी के अलावा कुल 57 मंत्री बनाए गए हैं। अब सबसे अहम काम 17वीं लोकसभा में चुनकर आए सभी सदस्‍यों को शपथ दिलाने का है। इसके लिए राष्‍ट्रपति से मंजूरी ली जाएगी, जिसके बाद लोकसभा का सत्र बुलाया जाएगा जिसमें प्रोटेम स्‍पीकर सांसदों को शपथ दिलवाएंगे। आपको बता दें कि जब भी कोई नई लोकसभा गठित होती है तो संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में सबसे अधिक समय गुजारने वाले सदस्य या निर्वाचित सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। संसदीय मामलों के मंत्रालय के माध्यम से सत्तारूढ़ पार्टी या गठबंधन प्रोटेम स्पीकर का नाम राष्ट्रपति के पास भेजता है। इसके बाद राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करते हैं, जो नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाता है। नए सांसदों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए सरकार दो-तीन नामों की सिफारिश करती है। करीब दो दिनों तक सदस्यों को शपथ दिलाने का काम चलता है और इसके बाद सदस्य अपने लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं। अध्यक्ष के चुनाव के बाद राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करते हैं। प्रोटेम स्पीकर सामान्य चुनाव के बाद संसद के निचले सदन की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है, इसके अलावा बैठक में अध्यक्ष और उपसभापति का चुनाव होता है, यदि यह एक नया गठित सदन है। इस बार संतोष गंगवार को प्रोटेम स्पीकर बनाया जा सकता है। संतोष गंगवार 8वीं बार सांसद बने हैं। इस बार भी वह यूपी की ब...

[Solved] राजस्थान विधान सभा के प्रथम प्रोटेम स्पीकर क�

सही उत्तर महाराव संग्राम सिंहहै। Key Points • महाराव संग्राम सिंह राजस्थान विधानसभा के पहले अस्थायी वक्ता थे। • अस्थायी वक्ता: • लोकसभा/राज्य विधान सभा के अध्यक्ष नवनिर्वाचित विधानसभा की पहली बैठक से ठीक पहले पद छोड़ देते हैं। • इसलिए राष्ट्रपति या राज्यपाल सदन की बैठकों का नेतृत्व करने के लिए अस्थायी वक्ता की नियुक्ति करते हैं। • जब सदन नए स्पीकर का चुनाव करता है, तो अस्थायी वक्ता का कार्यालय बंद हो जाता है। • अस्थायी वक्ता का पद अल्पकालिक होता है, जो कुछ दिनों तक बना रहता है। Additional Information अस्थायी वक्ता राजस्थान विधानसभा