रामाशीष यादव का बिरहा

  1. श्रमनियोजन व एफसीआई सेंट्रल कमिटी के मेंबर रामाशीष यादव उंटारी रोड के रहनबिगहा के रहनेवाले हैं
  2. स्मृति शेष रामाशीष यादव सच्चे अर्थों में वामपंथी चिंतक व प्रगतिशील विचारक थे – किरण देव यादव
  3. यदुकुल: बिरहा गायन सम्राट राम कैलाश यादव का जाना....
  4. बिरहा
  5. 1325256
  6. यदुकुल: बिरहा गायन सम्राट राम कैलाश यादव का जाना....
  7. बिरहा
  8. 1325256
  9. स्मृति शेष रामाशीष यादव सच्चे अर्थों में वामपंथी चिंतक व प्रगतिशील विचारक थे – किरण देव यादव
  10. श्रमनियोजन व एफसीआई सेंट्रल कमिटी के मेंबर रामाशीष यादव उंटारी रोड के रहनबिगहा के रहनेवाले हैं


Download: रामाशीष यादव का बिरहा
Size: 15.70 MB

श्रमनियोजन व एफसीआई सेंट्रल कमिटी के मेंबर रामाशीष यादव उंटारी रोड के रहनबिगहा के रहनेवाले हैं

भारत सरकार के श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग तथा एफसीआई के सलाहकार समिति के सदस्य तथा प्रदेश यादव समाज के प्रधान महासचिव रामाशीष यादव रविवार को अपने पैतृक प्रखंड उंटारी रोड पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। दरुआ व बिरजा गांव के लोगों के माल्यार्पण कर स्वागत किया ।शाल व बुक्के देकर सम्मानित किया। इसके बाद यादव बसडिया चौक पहुंचे। फिर जोगा के जरही टोला खेल मैदान पहुंचे। यहां उन्होंने सर्व प्रथम डॉ भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। वहीं आजनवन खेल मैदान में वरिष्ठ समाजसेवी उदेश चौधरी की अध्यक्षता में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यादव जोगा देवी धाम होते हुए करकट्टा सूर्य मंदिर पहुंचकर मत्था टेका ।साथ ही प्रखंड की खुशहाली की कामना की। इसके बाद उंटारी बाजार मंदिर,भदुमा ,रहनबिगहा जाने के पूर्व ,शिवसंपतधाम पहुंचकर प्रकट शिवलिंग की-अर्चना की। उन्होंने कहा कि उन्हें हाल ही में मुंबई में सिद्धू कान्हू यंग लीडर अवार्ड से नवाजा गया है । यह पुरस्कार को देश के शहीदों के नाम समर्पित कर रहे हैं। इस मौके पर शिक्षक विजय यादव, लाल बिहारी चौधरी, सांसद प्रतिनिधि सह मुखिया नंदू चौधरी, झामुमो प्रखंड अध्यक्ष अजय गुप्ता,राम इकबाल यादव, अखिलेश राम, रामकृष्ण पाल, रमेश चौधरी,सुखाडी पाल, बैजनाथ राम, पारसनाथ चौधरी ,सहित प्रखंड क्षेत्र के काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

स्मृति शेष रामाशीष यादव सच्चे अर्थों में वामपंथी चिंतक व प्रगतिशील विचारक थे – किरण देव यादव

*समाजसेवी रामाशीष यादव नहीं रहे, चहुंओर शोक व्याप्त, अंतिम दर्शन हेतु उमड़ पड़े हज़ारों लोग* * स्मृति शेष रामाशीष यादव सच्चे अर्थों में वामपंथी चिंतक व प्रगतिशील विचारक थे – किरण देव यादव* *अलौली,खगड़िया।(अमित कुमार)वामपंथी चिंतक एवं प्रगतिशील विचारक तथा सामाजिक संगठन फरकिया मिशन के मार्गदर्शक अलौली प्रखंड के सतघट्टा गांव निवासी 81 वर्षीय समाजसेवी रामाशीष यादव का निधन होने पर शोक का लहर फैल गई। वे कई दिनो से बीमार चल रहे थे, इलाजरत थे। अपने पीछे 4 पुत्र को छोड़ गए। इधर, बिहार प्रदेश पंच सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष सह फरकिया मिशन के संस्थापक अध्यक्ष किरण देव यादव, अलौली सरपंच रंजू कुमारी, रोजगार सेवक विश्वनाथ कुमार, पूर्व सैनिक रुपेंद्र कुमार, वन विभाग के ए एस आई रौशन कुमार, योगेश्वर यादव, कपिलेश्वर यादव, उमेश यादव, ज्ञान सागर, विद्या सागर, कृष्ण चंद्र, हथवन पंचायत समिति सदस्य महेश कुमार, बालेश्वर यादव, हथवन पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि विक्रम कुमार, सरपंच सुनील कुमार, वार्ड सदस्य हलचल यादव आदि ने शोक संतप्त परिवार को सांत्वना व सहानुभूति व्यक्त किया तथा स्मृति शेष रामाशीष यादव के प्रति शोक श्रद्धांजलि व्यक्त किया। फरकिया मिशन के संस्थापक अध्यक्ष किरण देव यादव ने कहा कि स्मृति शेष रामाशीष यादव सच्चे अर्थों में वामपंथी चिंतक एवं प्रगतिशील विचारक थे। वे सिद्धांतवादी आदर्शवादी जनवादी सोच के धनी थे। उन्होंने जीवन पर्यंत समाज सेवा में जिंदगी व्यतीत किए। समाज में उनके निधन से काफी क्षति पहुंची है, निकट भविष्य में इसकी भरपाई संभव नहीं हो पाएगी। उन्होंने फरकिया मिशन के आंदोलन एवं सामाजिक सरोकार में मार्गदर्शक के रुप में महतीं भूमिका निभाये। लोकप्रिय समाजसेवी दिवंगत रामाशीष यादव को अंतिम...

यदुकुल: बिरहा गायन सम्राट राम कैलाश यादव का जाना....

यदुवंशियों पर केन्द्रित प्रथम हिंदी ब्लॉग पर आपका स्वागत है. कृपया इस ब्लॉग की कोई भी पोस्ट बिना पूर्व अनुमति किसी पत्र-पत्रिका या अन्य माध्यमों पर न प्रकाशित करें. यदि ऐसा करना बहुत जरुरी ही है तो साभार ही प्रकाशित करें और तदनुसार सामग्री का विवरण हमें भी प्रेषित करें.'यदुकुल' में प्रकाशनार्थ या अन्य किसी भी जानकारी हेतु [email protected] पर संपर्क करें !! बात हो हल्ले की नहीं है मगर फिर कुछ तो आहट होनी थी उसके जाने पर जो उसके काम को बाकी दुनिया की तरफ से सही आदर हो सकता था.,मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं. गाँव के ठेठपन को आभास कराता एक लोककलाविद हमारे बीच अपने सादेपन और लोक गायकी की खुशबू बिखेरता हुआ ही अचानक चल बसा और मीडिया जगत में आहट तक ना हुई.दिल तब अधिक दु;खता है जब देश का कोई सादगी संपन्न कलाकार ये जहां चुपचाप छोड़ जाता है. उसके मरने के बाद उसके काम को सभी रोते देखें हैं मगर इस बार यूं.पी.के बिरहा गायन को ना केवल ज़िंदा रखने बल्कि अपने और से उसे समृद्ध और संपन्न बनाने में कोइ कसर नहीं छोड़ने वाले उसी दिशा में अपना जीवन फूँक देने वाले राम कैलाश यादव जी को क्या मिला.वैसे जो भी उनके संपर्क में आया वो ही समझ सकता है कि वक्त के साथ बिरहा के कानफोडू होने और बिगड़ जाने की हद तक आने पर उनका काम कितना महत्वपूर्ण है.जो सदा याद आयेगा. देश की कलापरक संस्थाएं ये आभास आज भी करती हैं.खैर भौतिकतावादी इस युग में कलापरक बात करना बीन बजाना लगने लगा है. इनसे अच्छा तो कुछ संस्कृतिप्रेमी मित्रों के साथ एक बैठक कर उन्हें याद कर लें बेहतर लगता है.वो भी बिना प्रेस नोट जारी किए.क्योंकि इस तरह के प्रेस नोट छप जाना कम आश्चर्यजनक बात नहीं है. हमारे अपने जीवन से ही कुछ प्रमुख और जरूरी मूल्यों की बा...

बिरहा

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (जून 2020) स्रोत खोजें: · · · · बिरहा बिरहा अहीरों का लोकप्रिय हृदय गीत है। पूर्वांचल की यह लोकगायकी मनोरंजन के अलावा थकावट मिटाने के साथ ही एकरसता की ऊब मिटाने का उत्तम साधन है। बिरहा गाने वालों में पुरुषों के साथ ही महिलाओं की दिनों-दिन बढ़ती संख्या इसकी लोकप्रियता और प्रसार का स्पष्ट प्रमाण है। आजकल पारम्परिक गीतों के तर्ज और धुनों को आधार बनाकर बिरहा काव्य तैयार किया जाता है। ‘पूर्वी’, ‘कहरवा’, ‘खेमटा’, ‘सोहर’, ‘पचरा’, ‘जटावर’, ‘जटसार’, ‘तिलक गीत’, ‘बिरहा गीत’, ‘विदाई गीत’, ‘निर्गुण’, ‘छपरहिया’, ‘टेरी’, ‘उठान’, ‘टेक’, ‘गजल’, ‘शेर’, ‘विदेशिया’, ‘पहपट’, ‘आल्हा’, और खड़ी खड़ी और फिल्मी धुनों पर अन्य स्थानीय लोक गीतों का बिरहा में समावेश होता है। बिरहा के शुरूआती दौर के कवि ‘जतिरा’, ‘अधर’, ‘हफ्तेजूबान’, ‘शीसा पलट’, ‘कैदबन्द’, ‘सारंगी’, ‘शब्दसोरबा’, ‘डमरू’, ‘छन्द’, ‘कैद बन्द’, ‘चित्रकॉफ’ और ‘अनुप्राश अलंकार’ का प्रयोग करते थे। यह विधा भारत के बाहर अनुक्रम • 1 कुछ प्रसिद्ध बिरहा गायक • 2 बिरहा की उत्पत्ति • 3 बिरहा के अंग • 4 संदर्भ कुछ प्रसिद्ध बिरहा गायक [ ] आदिगुरु बिरहा की उत्पत्ति [ ] बिरहा की उत्पत्ति के सूत्र १९वीं शताब्दी के प्रारम्भ में मिलते हैं जब ब्रिटिश शासनकाल में ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन कर महानगरों में मजदूरी करने की प्रवृत्ति बढ़ गयी थी। ऐसे श्रमिकों को रोजी-रोटी के लिए लम्बी अवधि तक अपने घर-परिवार से दूर रहना पड़ता था। दिन भर के कठोर श्रम के बाद रात्रि में अपने विरह व्यथा को मिटाने के लिए छोटे-छोटे समूह में ये लोग बिरहा को ऊँचे स्वरों में गायन किया करते थे। कालान्तर में ...

1325256

वह राज्य कर्मचारी चयन आयोग (एसएसएससी) में हुए पेपर घोटाले में भी अभियुक्त है और फिलहाल इसी मामले में जेल में बंद है. निगरानी ने उस पर अप्रैल, 2006 में दर्ज किये गये डीए केस में यह कार्रवाई की है. इसके तहत उसकी पटना के राजीव नगर में 17 कट्ठा से ज्यादा क्षेत्र में मौजूद एक बड़े स्कूल समेत चार अन्य संपत्तियों को सरकार अपने कब्जे में ले लेगी. इसका सरकारी मूल्य एक करोड़ 41 लाख से अधिक है, जबकि बाजार मूल्य करीब 12 करोड़ है. इन संपत्तियों को सील करके कब्जा में लेने की प्रक्रिया करीब 10 दिनों में पूरी कर ली जायेगी. इससे पहले निगरानी ब्यूरो डीए केस में नौ सरकारी लोकसेवकों की संपत्ति जब्त कर चुका है, जिनमें बाल निकेतन जैसे कुछ अन्य सरकारी संस्थान खोले जा चुके हैं. रामाशीष सिंह यादव का केस 10वां है.प्राप्त सूचना के अनुसार रामाशीष सिंह यादव विज्ञान ए‌वं प्रावैधिकी विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात था. उसने बीपीएससी में अपनी पदस्थापना करवायी थी. बीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष के साथ उसके अच्छे संबंध थे. इसका फायदा उठाया. इसके बाद इस मामले में विशेष न्यायालय निगरानी-2 के तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने उनकी संपत्ति जब्त करने का आदेश फरवरी, 2018 में दे दिया था. इसके बाद रामाशीष सिंह यादव ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. इससे इस मामले में स्टे लग गया. लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान निगरानी की तरफ से की गयी तमाम आपत्तियों और सवालों का जवाब नहीं दे सका. इस पर हाइकोर्ट ने उनकी सभी दलीलों को खारिज करते हुए निचले अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए उनकी संपत्ति जब्ती का आदेश बरकरार रखा है.

यदुकुल: बिरहा गायन सम्राट राम कैलाश यादव का जाना....

यदुवंशियों पर केन्द्रित प्रथम हिंदी ब्लॉग पर आपका स्वागत है. कृपया इस ब्लॉग की कोई भी पोस्ट बिना पूर्व अनुमति किसी पत्र-पत्रिका या अन्य माध्यमों पर न प्रकाशित करें. यदि ऐसा करना बहुत जरुरी ही है तो साभार ही प्रकाशित करें और तदनुसार सामग्री का विवरण हमें भी प्रेषित करें.'यदुकुल' में प्रकाशनार्थ या अन्य किसी भी जानकारी हेतु [email protected] पर संपर्क करें !! बात हो हल्ले की नहीं है मगर फिर कुछ तो आहट होनी थी उसके जाने पर जो उसके काम को बाकी दुनिया की तरफ से सही आदर हो सकता था.,मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं. गाँव के ठेठपन को आभास कराता एक लोककलाविद हमारे बीच अपने सादेपन और लोक गायकी की खुशबू बिखेरता हुआ ही अचानक चल बसा और मीडिया जगत में आहट तक ना हुई.दिल तब अधिक दु;खता है जब देश का कोई सादगी संपन्न कलाकार ये जहां चुपचाप छोड़ जाता है. उसके मरने के बाद उसके काम को सभी रोते देखें हैं मगर इस बार यूं.पी.के बिरहा गायन को ना केवल ज़िंदा रखने बल्कि अपने और से उसे समृद्ध और संपन्न बनाने में कोइ कसर नहीं छोड़ने वाले उसी दिशा में अपना जीवन फूँक देने वाले राम कैलाश यादव जी को क्या मिला.वैसे जो भी उनके संपर्क में आया वो ही समझ सकता है कि वक्त के साथ बिरहा के कानफोडू होने और बिगड़ जाने की हद तक आने पर उनका काम कितना महत्वपूर्ण है.जो सदा याद आयेगा. देश की कलापरक संस्थाएं ये आभास आज भी करती हैं.खैर भौतिकतावादी इस युग में कलापरक बात करना बीन बजाना लगने लगा है. इनसे अच्छा तो कुछ संस्कृतिप्रेमी मित्रों के साथ एक बैठक कर उन्हें याद कर लें बेहतर लगता है.वो भी बिना प्रेस नोट जारी किए.क्योंकि इस तरह के प्रेस नोट छप जाना कम आश्चर्यजनक बात नहीं है. हमारे अपने जीवन से ही कुछ प्रमुख और जरूरी मूल्यों की बा...

बिरहा

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर (जून 2020) स्रोत खोजें: · · · · बिरहा बिरहा अहीरों का लोकप्रिय हृदय गीत है। पूर्वांचल की यह लोकगायकी मनोरंजन के अलावा थकावट मिटाने के साथ ही एकरसता की ऊब मिटाने का उत्तम साधन है। बिरहा गाने वालों में पुरुषों के साथ ही महिलाओं की दिनों-दिन बढ़ती संख्या इसकी लोकप्रियता और प्रसार का स्पष्ट प्रमाण है। आजकल पारम्परिक गीतों के तर्ज और धुनों को आधार बनाकर बिरहा काव्य तैयार किया जाता है। ‘पूर्वी’, ‘कहरवा’, ‘खेमटा’, ‘सोहर’, ‘पचरा’, ‘जटावर’, ‘जटसार’, ‘तिलक गीत’, ‘बिरहा गीत’, ‘विदाई गीत’, ‘निर्गुण’, ‘छपरहिया’, ‘टेरी’, ‘उठान’, ‘टेक’, ‘गजल’, ‘शेर’, ‘विदेशिया’, ‘पहपट’, ‘आल्हा’, और खड़ी खड़ी और फिल्मी धुनों पर अन्य स्थानीय लोक गीतों का बिरहा में समावेश होता है। बिरहा के शुरूआती दौर के कवि ‘जतिरा’, ‘अधर’, ‘हफ्तेजूबान’, ‘शीसा पलट’, ‘कैदबन्द’, ‘सारंगी’, ‘शब्दसोरबा’, ‘डमरू’, ‘छन्द’, ‘कैद बन्द’, ‘चित्रकॉफ’ और ‘अनुप्राश अलंकार’ का प्रयोग करते थे। यह विधा भारत के बाहर अनुक्रम • 1 कुछ प्रसिद्ध बिरहा गायक • 2 बिरहा की उत्पत्ति • 3 बिरहा के अंग • 4 संदर्भ कुछ प्रसिद्ध बिरहा गायक [ ] आदिगुरु बिरहा की उत्पत्ति [ ] बिरहा की उत्पत्ति के सूत्र १९वीं शताब्दी के प्रारम्भ में मिलते हैं जब ब्रिटिश शासनकाल में ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन कर महानगरों में मजदूरी करने की प्रवृत्ति बढ़ गयी थी। ऐसे श्रमिकों को रोजी-रोटी के लिए लम्बी अवधि तक अपने घर-परिवार से दूर रहना पड़ता था। दिन भर के कठोर श्रम के बाद रात्रि में अपने विरह व्यथा को मिटाने के लिए छोटे-छोटे समूह में ये लोग बिरहा को ऊँचे स्वरों में गायन किया करते थे। कालान्तर में ...

1325256

वह राज्य कर्मचारी चयन आयोग (एसएसएससी) में हुए पेपर घोटाले में भी अभियुक्त है और फिलहाल इसी मामले में जेल में बंद है. निगरानी ने उस पर अप्रैल, 2006 में दर्ज किये गये डीए केस में यह कार्रवाई की है. इसके तहत उसकी पटना के राजीव नगर में 17 कट्ठा से ज्यादा क्षेत्र में मौजूद एक बड़े स्कूल समेत चार अन्य संपत्तियों को सरकार अपने कब्जे में ले लेगी. इसका सरकारी मूल्य एक करोड़ 41 लाख से अधिक है, जबकि बाजार मूल्य करीब 12 करोड़ है. इन संपत्तियों को सील करके कब्जा में लेने की प्रक्रिया करीब 10 दिनों में पूरी कर ली जायेगी. इससे पहले निगरानी ब्यूरो डीए केस में नौ सरकारी लोकसेवकों की संपत्ति जब्त कर चुका है, जिनमें बाल निकेतन जैसे कुछ अन्य सरकारी संस्थान खोले जा चुके हैं. रामाशीष सिंह यादव का केस 10वां है.प्राप्त सूचना के अनुसार रामाशीष सिंह यादव विज्ञान ए‌वं प्रावैधिकी विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात था. उसने बीपीएससी में अपनी पदस्थापना करवायी थी. बीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष के साथ उसके अच्छे संबंध थे. इसका फायदा उठाया. इसके बाद इस मामले में विशेष न्यायालय निगरानी-2 के तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने उनकी संपत्ति जब्त करने का आदेश फरवरी, 2018 में दे दिया था. इसके बाद रामाशीष सिंह यादव ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. इससे इस मामले में स्टे लग गया. लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान निगरानी की तरफ से की गयी तमाम आपत्तियों और सवालों का जवाब नहीं दे सका. इस पर हाइकोर्ट ने उनकी सभी दलीलों को खारिज करते हुए निचले अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए उनकी संपत्ति जब्ती का आदेश बरकरार रखा है.

स्मृति शेष रामाशीष यादव सच्चे अर्थों में वामपंथी चिंतक व प्रगतिशील विचारक थे – किरण देव यादव

*समाजसेवी रामाशीष यादव नहीं रहे, चहुंओर शोक व्याप्त, अंतिम दर्शन हेतु उमड़ पड़े हज़ारों लोग* * स्मृति शेष रामाशीष यादव सच्चे अर्थों में वामपंथी चिंतक व प्रगतिशील विचारक थे – किरण देव यादव* *अलौली,खगड़िया।(अमित कुमार)वामपंथी चिंतक एवं प्रगतिशील विचारक तथा सामाजिक संगठन फरकिया मिशन के मार्गदर्शक अलौली प्रखंड के सतघट्टा गांव निवासी 81 वर्षीय समाजसेवी रामाशीष यादव का निधन होने पर शोक का लहर फैल गई। वे कई दिनो से बीमार चल रहे थे, इलाजरत थे। अपने पीछे 4 पुत्र को छोड़ गए। इधर, बिहार प्रदेश पंच सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष सह फरकिया मिशन के संस्थापक अध्यक्ष किरण देव यादव, अलौली सरपंच रंजू कुमारी, रोजगार सेवक विश्वनाथ कुमार, पूर्व सैनिक रुपेंद्र कुमार, वन विभाग के ए एस आई रौशन कुमार, योगेश्वर यादव, कपिलेश्वर यादव, उमेश यादव, ज्ञान सागर, विद्या सागर, कृष्ण चंद्र, हथवन पंचायत समिति सदस्य महेश कुमार, बालेश्वर यादव, हथवन पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि विक्रम कुमार, सरपंच सुनील कुमार, वार्ड सदस्य हलचल यादव आदि ने शोक संतप्त परिवार को सांत्वना व सहानुभूति व्यक्त किया तथा स्मृति शेष रामाशीष यादव के प्रति शोक श्रद्धांजलि व्यक्त किया। फरकिया मिशन के संस्थापक अध्यक्ष किरण देव यादव ने कहा कि स्मृति शेष रामाशीष यादव सच्चे अर्थों में वामपंथी चिंतक एवं प्रगतिशील विचारक थे। वे सिद्धांतवादी आदर्शवादी जनवादी सोच के धनी थे। उन्होंने जीवन पर्यंत समाज सेवा में जिंदगी व्यतीत किए। समाज में उनके निधन से काफी क्षति पहुंची है, निकट भविष्य में इसकी भरपाई संभव नहीं हो पाएगी। उन्होंने फरकिया मिशन के आंदोलन एवं सामाजिक सरोकार में मार्गदर्शक के रुप में महतीं भूमिका निभाये। लोकप्रिय समाजसेवी दिवंगत रामाशीष यादव को अंतिम...

श्रमनियोजन व एफसीआई सेंट्रल कमिटी के मेंबर रामाशीष यादव उंटारी रोड के रहनबिगहा के रहनेवाले हैं

भारत सरकार के श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग तथा एफसीआई के सलाहकार समिति के सदस्य तथा प्रदेश यादव समाज के प्रधान महासचिव रामाशीष यादव रविवार को अपने पैतृक प्रखंड उंटारी रोड पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। दरुआ व बिरजा गांव के लोगों के माल्यार्पण कर स्वागत किया ।शाल व बुक्के देकर सम्मानित किया। इसके बाद यादव बसडिया चौक पहुंचे। फिर जोगा के जरही टोला खेल मैदान पहुंचे। यहां उन्होंने सर्व प्रथम डॉ भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। वहीं आजनवन खेल मैदान में वरिष्ठ समाजसेवी उदेश चौधरी की अध्यक्षता में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यादव जोगा देवी धाम होते हुए करकट्टा सूर्य मंदिर पहुंचकर मत्था टेका ।साथ ही प्रखंड की खुशहाली की कामना की। इसके बाद उंटारी बाजार मंदिर,भदुमा ,रहनबिगहा जाने के पूर्व ,शिवसंपतधाम पहुंचकर प्रकट शिवलिंग की-अर्चना की। उन्होंने कहा कि उन्हें हाल ही में मुंबई में सिद्धू कान्हू यंग लीडर अवार्ड से नवाजा गया है । यह पुरस्कार को देश के शहीदों के नाम समर्पित कर रहे हैं। इस मौके पर शिक्षक विजय यादव, लाल बिहारी चौधरी, सांसद प्रतिनिधि सह मुखिया नंदू चौधरी, झामुमो प्रखंड अध्यक्ष अजय गुप्ता,राम इकबाल यादव, अखिलेश राम, रामकृष्ण पाल, रमेश चौधरी,सुखाडी पाल, बैजनाथ राम, पारसनाथ चौधरी ,सहित प्रखंड क्षेत्र के काफी संख्या में लोग मौजूद थे।