Rashtrapati ke aapatkalin shaktiyon ka varnan karen

  1. भारत का संविधान
  2. भारतीय संसद की संरचना का वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।
  3. भारतीय संविधान के अनुच्छेद, अनुसूचियां, भाग और विशेषताएं
  4. संसदात्मक शासन अर्थ, विशेषताएं, गुण एवं दोष
  5. राष्ट्रपति की शक्तियां एवं कार्य


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भारत का संविधान

52. bharat ka rashtrapati- 53. sangh ki karyapalika shakti- • (1) sangh ki karyapalika shakti rashtrapati mean nihit hogi aur vah isaka prayog is sanvidhan ke anusar svayan ya apane adhinasth adhikariyoan ke dvara karega. • (2) poorvagami upabandh ki vyapakata par pratikool prabhav dale bina, sangh ke raksha baloan ka sarvochch samadesh rashtrapati mean nihit hoga aur usaka prayog vidhi dvara viniyamit hoga. • (3) is anuchchhed ki koee bat- • (k) kisi vidyaman vidhi dvara kisi rajy ki sarakar ya any pradhikari ko pradan kie ge krity rashtrapati ko aantarit karane vali nahian samajhi jaegi; ya • (kh) rashtrapati se bhinn any pradhikariyoan ko vidhi dvara krity pradan karane se 54. rashtrapati ka nirvachan- rashtrapati ka nirvachan aise nirvachakagan ke sadasy kareange jisamean- • • (k) sansad ke donoan sadanoan ke nirvachit sadasy; aur • (kh) rajyoan ki vidhan sabhaoan ke nirvachit sadasy hoange. spashtikaran- is anuchchhed aur anuchchhed 55 mean, "rajy" ke aantargat 55. rashtrapati ke nirvachan ki riti- • (1) jahaan tak sadhy ho, • (2) rajyoan mean apas mean aisi ekaroopata tatha samast rajyoan aur sangh mean samatulyata prapt karane ke lie sansad aur pratyek rajy ki vidhan sabha ka pratyek nirvachit sadasy aise nirvachan mean jitane mat dene ka hakadar hai, unaki sankhya nimnalikhit riti se avadharit ki jaegi, arthat:- • (k) kisi rajy ki vidhan sabha ke pratyek nirvachit sadasy ke utane mat hoange, jitane ki ek hazar ke gunit us bhagaphal mean hoan jo rajy ki janasankhya ...

भारतीय संसद की संरचना का वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।

भारतीय संसद की संरचना का वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये। सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न • भारतीय संसद की संरचना से आप क्या समझते हैं ? • भारतीय संसद की शक्तियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। • क्या भारत का राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है, टिप्पणी कीजिए ? • संसद की विधायी शक्तियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। • संसद की कार्यपालिका शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए। • संसद की वित्तीय शक्तियों पर संक्षेप में प्रकाश डालें। • संसद की संविधान संशोधन की शक्ति का वर्णन कीजिए! संसद की संरचना भारतीय संसद की संरचना द्विसदनीय है। भारत की संघीय विधायिका को संसद कहा जाता है। जब विधायिका के दो सदन होते हैं तो ऐसी विधायिका को द्विसदनीय विधायिका कहा जाता है। भारतीय संसद भी द्विसदनीय विधायिका का उदाहरण है क्योंकि इसके भी दो सदन है। एक - राज्यसभा, जिसे उच्च सदन कहते हैं। यह राज्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं। दूसरा, लोकसभा, जिसे निम्न सदन कहते हैं। लोकसभा को प्रतिनिधि सदन या लोकप्रिय सदन भी कहा जाता है क्योंकि यह जनता का प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय संसद के कार्य एवं शक्तियाँ भारतीय संसद को अत्यन्त व्यापक शक्तियाँ प्राप्त हैं। अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए संसद द्वारा निम्नलिखित कार्य किये जाते हैं - • विधायी कार्य • कार्यपालिकीय शक्तियाँ • वित्तीय शक्तियाँ • संविधान संशोधन की शक्तियाँ • विदेशी मामलों से सम्बद्ध कार्य • अन्य कार्य 1. विधायी कार्य - संसद का सर्वप्रमुख कार्य कानून का निर्माण करना है। संसद को सातवीं अनुसूची में वर्णित संघ सूची एवं समवर्ती सूची में उल्लिखित विषयों पर कानून निर्माण का अधिकार है तथा संघ राज्य क्षेत्रों के लिए विधि निर्माण कार्य भी संसद द्वारा ही किय...

भारतीय संविधान के अनुच्छेद, अनुसूचियां, भाग और विशेषताएं

✕ • जीके हिंदी में • इतिहास • भूगोल • राजनीति • अर्थशास्त्र • विज्ञान • खेल • पुरस्कार और सम्मान • संगठन • भारत • विश्व • महत्वपूर्ण दिवस • सरकारी योजनाएं • आज का इतिहास • करेंट अफेयर्स • जीवनी • प्रसिद्ध आकर्षण • देशों की जानकारी • इतिहास वर्षवार • अंग्रेजी शब्दावली • एसएससी प्रश्नोत्तरी • मौखिक तर्क प्रश्नोत्तरी • गैर-मौखिक तर्क प्रश्नोत्तरी • प्रसिद्ध व्यक्तियों के जन्मदिन • सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी • About us • Privacy Policy • YoDiary भारतीय संविधान के 22 भाग, 465 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ: भारत, संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। यह गणराज्य भारत के संविधान के अनुसार शासित है। संविधान बनाने वाली कमिटी के अध्यक्ष डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को बनाया गया था। भारतीय संविधानका निर्माण डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन में किया। भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 जनवरी का इतिहास दिसम्बर 1929 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ और इसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने "पूर्ण स्वराज्य" के प्रस्ताव को पेश करके संपूर्ण भारत में क्रान्ति ला दी थी, उन्होने 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया जिसके बाद 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में अलग-अलग जगाहों पर सभाओं का आयोजन किया गया, जिनमें सभी लोगों ने सामूहिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त करने की शपथ ली और झंडा फहराया गया...

संसदात्मक शासन अर्थ, विशेषताएं, गुण एवं दोष

प्रश्न; संसदात्मक शासन प्रणाली का अर्थ बताइए। अथवाय" संसदीय शासन प्रणाली की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। अथवा" संसदीय सरकार का अर्थ बताइए? संसदात्मक शासन के गुण-दोषों का वर्णन कीजिए। अथवा" संसदात्मक शासन प्रणाली से आप क्या समझते है? संसदात्मक शासन व्यवस्था के लक्षण बताइए। अथवा" संसदीय शासन प्रणाली की विशेषताएं तथा गुण-दोषों का विवेचन कीजिए। अथवा" संसदीय शासन व्यवस्था की सफलता की शर्तें क्या हैं? उत्तर-- लोकतंत्र मे दो प्रकार की शासन प्रणालियाँ सर्वाधिक प्रसिद्ध और प्रचलित है, एक संसदात्मक शासन प्रणाली और दूसरी अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली। इन दोनों प्रणालियों मे अंतर कार्यपालिका और व्यवस्थापिका के पारस्परिक संबंधों के कारण है। जहाँ कार्यपालिका और संसदात्मक सरकार है तथा जहाँ कार्यपालिका और व्यवस्थापिका पृथक है और एक-दूसरे को परस्पर नियंत्रण करती है तथा कार्यपालिका प्रमुख वास्तविक शासक है वहां अध्यक्षात्मक सरकार है। यहाँ हम संसदात्मक शासन व्यवस्था का अर्थ, संघात्मक शासन प्रणाली की विशेषताएं या लक्षण और गुण दोष जानेंगे। संसदात्मक शासन व्यवस्था का अर्थ (sansdatmak shasan pranali ka arth) संसदात्मक शासन प्रणाली उस शासन प्रणाली को कहते है जिसमे कार्य पालिका का प्रधान (मुख्य कार्य पालिका) प्रधानमंत्री होता है। वही वास्तविक कार्य पालिका होती है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व मे संगठित कार्य पालिका संसद के प्रति उत्तरदायी होती है। वास्तव मे इस शासन व्यवस्था मे दो प्रकार की कार्य पालिकायें होती है-- (अ) नाममात्र की कार्यपालिका (प्रायः राष्ट्रपति) और वास्तविक कार्य पालिका (प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल), यह उत्तरदायित्व के सिद्धांत पर संगठित होती है। मंत्री-परिषद् तभी तक अपने पदों पर रहती है जब तक ...

राष्ट्रपति की शक्तियां एवं कार्य

प्रिय पाठकों! प्रथम नागरिक के बारे बात करने जा रहे हैं यानी देश के राष्ट्रपति केे बारे में, आज इस लेख में राष्ट्रपति की शक्तियांं एवं कार्य का वर्णन करने वाले है। आपकेेे मन राष्ट्रपति के बारे में कुछ सवाल हो रहे होंगे जैसे राष्ट्रपति की सैलरीकितनी है? | राष्ट्रपति की नियुक्ति कौन करता है? | राष्ट्रपति के लिए योग्यताएं क्या होनी चाहिए | राष्ट्रपति की शक्तियां क्या है? | राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां क्या है? | राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्तियांआदि इन सबका उत्तर यहां मिलने वाला हूं साथ में राष्ट्रपति की शक्तियां एवंं कार्य PDF भी उपलब्ध कराया गया है। जो निम्नलिखित इस प्रकार है :- • राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिकएवं देश का संविधान प्रधान होता है। भारतीय संघ की कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। जिसका प्रयोग वह स्वयं अथवा अपने अधीन अधिकारियों के माध्यम से करता है। • राष्ट्रपति की संविधान की स्थिति की बात करें तो अनुच्छेद 52 में राष्ट्रपति पद का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रपति का पद सर्वाधिक सम्मान, गरिमा तथा प्रतिष्ठा वाला पद है। राष्ट्रपति राष्ट्र का अध्यक्ष होता है। • भारत में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है क्योंकि मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदाई हैं अतः राष्ट्रपति नाम मात्र की कार्यपालिका है तथा प्रधानमंत्री एवं उसका मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका है। भारत के राष्ट्रपति की योग्यताएं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार कोई व्यक्ति राष्ट्रपति होने योग्य तब होगा, जब वह - • भारत का नागरिक हो • 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो • लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने योग्य हो। • चुनाव के समय लाभ का पद पर न हो, लेकिन राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति राज्यपाल संघ व राज्...