सामाजिक आंदोलन

  1. सामाजिक आंदोलन के महत्व
  2. प्रमुख समाज और उनके संस्थापक, सामाजिक आंदोलन/संगठन और उनके संस्थापक, Pramukh Samaj Ke Sansthapak Trick
  3. कक्षा 12 समाज शास्त्र सामाजिक आंदोलन नोट्स (PDF) – Class 12 Sociology Social Movements Notes in Hindi
  4. सामाजिक आंदोलन की परिभाषा, प्रकृति तथा प्रकार बताइये
  5. महिलाओं के ख़िलाफ़ चिरकालिक पूर्वाग्रह बरक़रार: यूएन रिपोर्ट
  6. सामाजिक आन्दोलन, अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं


Download: सामाजिक आंदोलन
Size: 37.16 MB

सामाजिक आंदोलन के महत्व

राजनीतिक भागीदारी के संस्थागत दायरों के बाहर परिवर्तनकामी राजनीति करने वाले आंदोलनों को सामाजिक आंदोलनों की संज्ञा दी जाती है। लम्बे समय तक सामूहिक राजनीतिक कार्रवाई करने वाली ये आंदोलनकारी संरचनाएँ नागर समाज और राजनीतिक तंत्र के बीच अनौपचारिक सूत्र का काम भी करती हैं। हालाँकि ज़्यादातर सामाजिक आंदोलन सरकारी नीति या आचरण के ख़िलाफ़ कार्यरत रहते हैं, लेकिन स्वतःस्पूर्त या असंगठित प्रतिरोध या कार्रवाई को सामाजिक आंदोलन नहीं माना जाता। इसके लिए किसी स्पष्ट नेतृत्व और एक निर्णयकारी ढाँचे का होना ज़रूरी है। आंदोलन में भाग लेने वालों के लिए किसी साझा मकसद और विचारधारा का होना भी आवश्यक है। क्या ये ख़ूबियाँ राजनीति के औपचारिक दायरों में काम करने वाले किसी राजनीतिक दल या दबाव समूह में नहीं होतीं? दरअसल, सामाजिक आंदोलन अपने बुनियादी चरित्र में अनौपचारिक नेटवर्कों की अन्योन्यक्रिया से बनते हैं। वे ऐसे मुद्दे चुनते हैं जिन्हें औपचारिक राजनीति अपनाने से इनकार कर देती है। साथ ही वे प्रतिरोध और गोलबंदी के ग़ैर-परम्परागत रूपों का इस्तेमाल करते हैं। सामाजिक आंदोलनों ने अल्पसंख्यकों, हाशियाग्रस्त समूहों और अधिकार-वंचित तबकों की राजनीति को बढ़ावा दिया है। इसी कारण से यह भी माना जाता है कि समकालीन लोकतंत्र अपने विस्तार और गहराई के लिए सामाजिक आंदोलनों का ऋणी है। द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद ग्लोबल और राष्ट्रीय राजनीतिक प्रणालियों में इस परिघटना का उदय हुआ। इनके पीछे ऐसी शख्सियतें, नेटवर्क, समूह और संगठन थे जिनका उद्देश्य औपचारिक राजनीति के दायरों के बाहर समाज, राज्य, सार्वजनिक नीतियों को जन-हित के लिहाज़ से प्रभावित करना था। पिछले साठ वर्षों में सामाजिक आंदोलनों ने राजनीतिक प्रणालियों और लोकतं...

प्रमुख समाज और उनके संस्थापक, सामाजिक आंदोलन/संगठन और उनके संस्थापक, Pramukh Samaj Ke Sansthapak Trick

• (62) • (33) • (33) • (29) • (29) • (28) • (22) • (22) • (21) • (20) • (11) • (10) • (10) • (6) • (5) • (5) • (4) • (4) • (3) • (2) • (2) • (2) • (2) • (2) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1) • (1)

कक्षा 12 समाज शास्त्र सामाजिक आंदोलन नोट्स (PDF) – Class 12 Sociology Social Movements Notes in Hindi

कक्षा 12 समाज शास्त्र सामाजिक आंदोलन नोट्स को यहा publish कर दिया गया है। यहा इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके साथ सामाजिक आंदोलन (Social Movements)के नोट्स के pdf शेयर करेंगे। सामाजिक आंदोलन नामक अध्याय को कक्षा 12 मे समाज शास्त्र की पुस्तक से पढ़ाया जाता है। Class 12 Sociology Social Movements notes in hindi मे हम सामाजिक आंदोलन के बारे मे पढ़ेंगे। इस कक्षा 12 समाज शास्त्र सामाजिक आंदोलन नोट्स कक्षा 12 समाज शास्त्र के नोट्स - सामाजिक आंदोलन कक्षा 12 समाज शास्त्र सामाजिक आंदोलन नोट्स PDF “सामाजिक आंदोलन” इस पाठ के टिप्पणी को डाउनलोड करने के लिए यह रहा लिंक। कक्षा 12 समाज शास्त्र सामाजिक आंदोलन नोट्स pdf download– कक्षा 12 समाज शास्त्र नोट्स समाज शास्त्र के इस topic सामाजिक आंदोलन के अलावा भी अन्य chapters के नोट्स है। Class 12 Sociology notes in hindi pdf यह रहे: • • • • • • • • • • • • • कक्षा 12 नोट्स हमने समाज शास्त्र के अलावा अन्य विषयों की टिप्पणियाँ भी पीडीएफ़ बना के शेयर करी है। • • • • • • • • नोट्स अन्य कक्षाओं के नोट्स पाने के लिए इन्हे देखे: • • • अध्ययन सामग्री सामाजिक आंदोलन के नोट्स के अलावा आप पुस्तक एवं समाधान भी प्राप्त कर सकते है। कक्षा 12 समाज शास्त्र सामाजिक आंदोलन नोट्स का overview इस अध्ययन सामग्री की जरूरी बातें जान ले। पहलू जानकारी कक्षा कक्षा 12वीं विषय समाज शास्त्र अध्याय सामाजिक आंदोलन अध्ययन सामग्री कक्षा 12वीं के नोट्स समाज शास्त्र विषय के सामाजिक आंदोलन अध्याय के लिए इस विषय के और नोट्स एवं टिप्पणियाँ इस कक्षा के और नोट्स एवं टिप्पणियाँ 12वीं कक्षा की पुस्तकें 12वीं कक्षा के NCERT Solutions यदि आप कक्षा 12 समाज शास्त्र सामाजिक आंदोलन नोट्स के बार...

सामाजिक आंदोलन की परिभाषा, प्रकृति तथा प्रकार बताइये

विषय सूची सामाजिक आंदोलन की परिभाषा सामाजिक आंदोलनों का आधुनिक लोकतांत्रिक राज्यों में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। सामाजिक आंदोलन एक प्रकार से वह प्रक्रिया है जिसमें बहुत सारे लोग कोई सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए या किसी सामाजिक प्रथा या प्रवृत्ति को रोकने के लिए एकजुट और सक्रिय हो जाते हैं या वे किसी सामाजिक लक्ष्य की सिद्धि के लिए एक ही दिशा में चल पड़ते हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि सामाजिक आंदोलन सकारात्मक परिवर्तनों के बहुत बड़े वाहक हैं। सामाजिक आंदोलनों को भलीभाँति समझने हेतु इनकी प्रकृति व प्रकारों का विश्लेषण अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जोकि निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत उल्लिखित है सामाजिक आंदोलन की प्रकृति सामाजिक आंदोलन की प्रकृति व सुनिश्चित विश्लेषण तो नहीं किया जा सकता परन्तु काफी हद तक सटीक विश्लेषण अवश्य ही किया जा सकता है सामाजिक आंदोलन की प्रकृति के निम्नलिखित प्रमुख रूप परिलक्षित होते हैं - (1) सामाजिक हितों की व्यापकता -सामाजिक आंदोलन समाज के विस्तृत हित को ध्यान में रखकर किसी विशेष दिशा में सामाजिक परिवर्तन लाने के ध्येय से चलाए जाते हैं। इस प्रकार सामाजिक आंदोलनों में प्रकृति से सामाजिक हितों की व्यापकता का दिग्दर्शन होता है। (2) औपचारिक सदस्यता की अनिवार्यता का न होना- सामाजिक आंदोलनों की एक अन्य महत्वपूर्ण प्रकृति यह है कि इनमें सहभागिता हेतु इनकी औपचारिक सदस्यता ग्रहण करने की कोई अनिवार्यता नहीं होती। कोई भी व्यक्ति अथवा नागरिक जो किसी विशेष दिशा में सामाजिक परिवर्तन लाने को तत्पर हो वह स्वेच्छा से सामाजिक आंदोलन में सम्मिलित हो सकता है। इस प्रकार इसमें अनिवार्य व औपचारिक सदस्यता जैसे प्रावधान आम तौर पर नहीं पाये जाते हैं। (3) व्यवस्थित संगठन की अनिवा...

महिलाओं के ख़िलाफ़ चिरकालिक पूर्वाग्रह बरक़रार: यूएन रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ( यूएनडीपी के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय के प्रमुख पेड्रो कॉन्सेइकाओ ने कहा, "महिलाओं के अधिकारों को ध्वस्त करते ये सामाजिक मानदंड, व्यापक तौर पर समाज के लिए हानिकारक हैं, और मानव विकास का विस्तार होने से रोकते हैं." बदलाव की दरकार रिपोर्ट में, विश्व मूल्य सर्वेक्षण के नवीनतम आँकड़े प्रस्तुत करते हुए, ये आश्चर्यजनक तथ्य भी सामने लाया गया है कि 25 प्रतिशत लोग, पुरुषों द्वारा अपनी पत्नी को पीटना जायज़ ठहराते हैं. रिपोर्ट का तर्क है कि ऐसे पूर्वाग्रह, महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं को बढ़ाते हैं, जो दुनिया के कई हिस्सों में, महिला अधिकारों के हनन के उदाहरणों से स्पष्ट हैं, और जिनके विरोध में लैंगिक समानता के कई आन्दोलन उठ खड़े हुए हैं. वहीं कई अन्य देशों में, मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में वृद्धि हुई है. नेतृत्व के पदों पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व में भारी कमी भी, उनके ख़िलाफ़ व्याप्त पूर्वाग्रहों को उजागर करती है. औसतन, 1995 के बाद से देश अध्यक्षों या सरकार प्रमुखों के रूप में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 10 प्रतिशत रही है, और श्रम बाज़ार में प्रबन्धकीय पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी, एक तिहाई से भी कम है. टूटी कड़ियाँ इस रिपोर्ट में, शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की प्रगति और उनके आर्थिक सशक्तिकरण के बीच एक टूटी कड़ी पर भी प्रकाश डाला गया है. महिलाएँ पहले से कहीं अधिक कुशल और शिक्षित तो हैं, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं के अधिक शिक्षित होने वाले 59 देशों में, औसत लिंग आय अन्तर. पुरुषों के पक्ष में 39 प्रतिशत बना हुआ है. पेड्रो कॉन्सेइकाओ ने कहा कि वैश्विक मानव विकास सूचकांक (HDI) में, 2020 में, पहली बार गिरावट दर्ज की गई और अगले वर्ष भ...

सामाजिक आन्दोलन, अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं

सामाजिक आन्दोलन का अर्थ (samajik andolan ka arth) सामाजिक आन्दोलन सामाजिक परिवर्तन लाने अथवा सामाजिक परिवर्तन को रोकने की दृष्टि से किया जाने वाला एक सामूहिक प्रयास है। अतः स्पष्ट से की सामाजिक आन्दोलन योजनाबद्ध तरीके से किया जाने वाला सामूहिक प्रयास है। जब किसी समाज की संस्थाएं प्रभावपूर्ण तरीके से अपनी भूमिका नही निभा पाती तब समाज मे संबंधित संस्थाओं की भूमिका को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से सामूहिक एवं शांतिपूर्ण तरीके से सामाजिक आन्दोलन अस्तित्व मे आते हैं। सामाजिक आन्दोलन क्या हैं? इसे जानने के बाद अब हम सामाजिक आन्दोलन की विभिन्न विद्वानों द्धारा दी गई परिभाषाओं को जानेंगे साथ ही सामाजिक आन्दोलन की विशेषताएं भी जानेंगे। सामाजिक आन्दोलन की परिभाषा (samajik andolan ki paribhasha) हार्टन एवं हण्ट के अनुसार " सामाजिक आन्दोलन समाज अथवा उसके सदस्यों मे परिवर्तन लाने अथवा उसका विरोध करने का एक सामूहिक प्रयास हैं। योगेन्द्र सिंह के शब्दों में " वैचारिकी द्वारा परिभाषित सामाजिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक व्यक्ति या सामूहिक नेतृत्व के अधीन सामाजिक आन्दोलन संगठित ढंग से जनता मे सामूहिक जुटाव की प्रक्रिया है। हाबर्ट ब्लूमर के शब्दों में" सामाजिक आन्दोलन जीवन की एक नयी व्यवस्था को स्थापित करने का सामूहिक प्रयास हैं। एम.एस.ए.राव के शब्दों में" एक सामाजिक आन्दोलन समाज के एक भाग द्वारा समाज मे आंशिक या पूर्ण परिवर्तन लाने के लिए किया गया सामूहिक प्रयास है। कैमरोन के शब्दों मे " जब बहुत से व्यक्ति अपने साहूमिक प्रयत्नों द्वारा संस्कृति के किसी भाग अथवा सामाजिक व्यवस्था मे परिवर्तन लाते है तब इसको सामाजिक आन्दोलन कहा जाता है। योगेन्द्र सिंह " वैचारिकी द्वारा पारिभाषित सामाजिक उद्द...