श्री कनकधारा स्तोत्र

  1. श्री कनकधारा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
  2. कनकधारा स्तोत्रम
  3. कनकधारा पाठ करने की विधि
  4. कनकधारा स्तोत्र
  5. कनकधारा स्तोत्र का संस्कृत पाठ / kanakadhara stotram lyrics sanskrit main


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श्री कनकधारा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

कनकधारा स्तोत्र की रचना आदिगुरु सिद्ध मंत्र होने के कारण कनकधारा स्तोत्र का पाठ शीघ्र फल देनेवाला और दरिद्रता का नाश करनेवाला है। इसके नित्य पाठ से धन सम्बंधित सभी प्रकार के अवरोध दूर होते हैं और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। ॥ श्री कनकधारा स्तोत्र ॥ अङ्ग हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् । अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥1॥ अर्थ – जैसे भ्रमरी अधखिले कुसुमों से अलंकृत तमाल के पेड़ का आश्रय लेती है, उसी प्रकार जो श्रीहरि के रोमांच से सुशोभित श्रीअंगों पर निरंतर पड़ती रहती है तथा जिसमें सम्पूर्ण ऐश्वर्य का निवास है, वह सम्पूर्ण मंगलों की अधिष्ठात्री देवी भगवती महालक्ष्मी की कटाक्षलीला मेरे लिए मंगलदायिनी हो। मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि । माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥2॥ अर्थ – जैसे भ्रमरी महान कमलदल पर आती-जाती या मँडराती रहती है, उसी प्रकार जो मुरशत्रु श्रीहरि के मुखारविंद की ओर बारंबार प्रेमपूर्वक जाती और लज्जा के कारण लौट आती है, वह समुद्रकन्या लक्ष्मी की मनोहर मुग्ध दृष्टिमाला मुझे धन-सम्पत्ति प्रदान करे। विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्ष – मानन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि । ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्ध – मिन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः ॥3॥ अर्थ – जो सम्पूर्ण देवताओं के अधिपति इन्द्र के पद का वैभव-विलास देने में समर्थ है, मुरारि श्रीहरि को भी अधिकाधिक आनन्द प्रदान करनेवाली है तथा जो नीलकमल के भीतरी भाग के समान मनोहर जान पड़ती है, वह लक्ष्मीजी के अधखुले नयनों की दृष्टि क्षणभर के लिए मुझपर भी थोड़ी सी अवश्य पड़े। आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्द – मानन्दकन्दमनिम...

कनकधारा स्तोत्रम

कनकधारा स्तोत्रम पाठ – 2023 (वैदिक संस्कृत) (Kanakadhara Stotram Sanskrit, Hindi and English)- अपार धन की प्राप्ति हेतु एक बहुत ही प्रभाव शाली स्तोत्र है। आज जब हर एक अपने जीवन में ‍आर्थिक तंगी को परेशान हैं और धन की प्राप्ति के लिए कोई भी उपाय करने को तैयार है – कनकधारा स्तोत्रम धन प्राप्ति के लिए एक अचूक उपाय है. ऐसा माना गया है के इस प्राचीन पाठ में अपर शक्ति है और – कनकधारा स्तोत्रम सिर्फ दिन में एक बार पढ़ना पर्याप्त है। पूजा में कनकधारा स्तोत्रम के सामने दीपक और अगरबत्ती लगाना आवश्यक मन गया है लेकिन यदि आप कभी भूल जाएं तो बाधा नहीं आती, वह इसलिए की यह चैतन्य माना जाता है। कनकधारा स्तोत्र का पाठ करने से चमत्कारिक रूप से अपार धन प्राप्ति और धन संचय के लिए लाभ प्राप्त होता है। कनकधारा स्तोत्रम (Kanakadhara Stotram in Sanskrit) अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम। अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।। मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि। माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।। विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।। आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्। आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।। बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।। कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्। मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्द...

कनकधारा पाठ करने की विधि

कनकधारा पाठ करने की विधि – श्री कनकधारा स्तोत्र मंत्र तथा चित्र –कनकधारा पाठ लक्ष्मी माता का पाठ माना जाता हैं. कनकधारा पाठ करने से मनुष्य को लक्ष्मी माता के आशीर्वाद की प्राप्त होती हैं. तथा मनुष्य के जीवन में से आर्थिक तंगी दूर होकर धन की प्राप्ति होती हैं. कनकधारा पाठ माता लक्ष्मी का बहुत ही प्रभावशाली पाठ माना जाता हैं. ऐसा माना जाता है की कनकधारा का पाठ करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं. माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तथा धन की प्राप्ति के लिए कनकधारा पाठ विधि सहित करना जरूरी हैं. विधि सहित कनकधारा पाठ कैसे करते है. यह जानने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े. दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कनकधारा पाठ करने की विधि तथा श्री कनकधारा स्तोत्र मंत्र बताने वाले हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं. • कनकधारा पाठ करना बहुत ही आसान है. सबसे पहले आपको किसी भी दिन शुभ मुहूर्त निकालकर कनकधारा यंत्र और कनकधार स्त्रोत अपने घर ले आना हैं. • अब नियमित रूप से सुबह के समय स्नान आदि करने के बाद अपने सामने कनकधारा यंत्र रख लेना हैं. • अब कनकधारा यंत्र की श्रद्धा पूर्वक पूजा करनी हैं. तथा धुप-बत्ती आदि जलानी हैं. • इतना हो जाने के पश्चात आपको कनकधारा का पाठ करने की शुरुआत करनी हैं. • कनकधारा पाठ पूर्ण हो जाने के बाद माता लक्ष्मी से अपने मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करनी हैं. • अगर आपको सुबह के समय कनकधारा पाठ करने का समय नही मिलता हैं. तो बिलकुल इसी प्रकार आप शाम के समय भी कनकधारा पाठ कर सकते हैं. गर्भ गीता के फायदे / गर्भ संस्कार मंत्र – गर्भ गीता में कितने अध्याय हैं श्री कनकधारा स्तोत्र मंत्र श्री कनकधारा संप...

कनकधारा स्तोत्र

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कनकधारा स्तोत्र का संस्कृत पाठ / kanakadhara stotram lyrics sanskrit main

अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम। अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।। मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि। माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।। विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि। ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।। आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्। आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।। बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति। कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।। कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्। मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।। प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन। मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।7।। दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण। दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।8।। इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते। दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।9।। गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति। सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै‍नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै।।10।। श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै। शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।11।। नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग...