विष्णु मंत्र स्तुति

  1. Aja Ekadashi Vishnu Stuti And Mantra स्तुति और मंत्रों का जाप करने से भगवान विष्णु हो जाते हैं प्रसन्न
  2. मंगलम भगवान विष्णु मंत्र लिरिक्स
  3. Lord Vishnu Stuti पूजा करते समय अवश्य करें इस स्तुति का पाठ विष्णु जी हो जाते हैं प्रसन्न
  4. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं
  5. संस्कृत श्लोक
  6. नवदुर्गा
  7. Lord vishnu special mantra and pooja vidhi know in hindi


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Aja Ekadashi Vishnu Stuti And Mantra स्तुति और मंत्रों का जाप करने से भगवान विष्णु हो जाते हैं प्रसन्न

Aja Ekadashi Vishnu Stuti And Mantra: आज अजा एकादशी है। यह व्रत भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है और यह आज है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि इस व्रत के दौरान पूजा करने पर अगर विष्णु जी की स्तुति की जाए तो उनकी कृपा बनी रहती है। अगर व्यक्ति पूरे भाव के साथ इस मंत्र की स्तुति का जाप करते हैं तो श्रीहरि नारायण प्रसन्न हो जाते हैं। अजा एकादशी की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ना न भूलें। तो चलिए पढ़ते हैं पवित्र विष्णु स्तुति- लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।। यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे:। सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा:। ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम:।। स्तुति के अलावा श्री विष्‍णु के प्रमुख मंत्रों का जाप करना भी फलदायक माना गया है। जागत के पालनहार श्री‍हरि विष्णु का स्वरूप बेहद शांत और आनंदमयी है। ऐसा माना जाता है कि अगर नियमित तौर पर भगवान विष्णु को याद किया जाए तो व्यक्ति के जीवन के समस्त संकटों का नाश होता है। साथ ही धन-वैभव की प्राप्ति भी होती है। आज अजा एकादशी के दिन अगर कोई व्यक्ति स्तुति के साथ निम्न मंत्रों का जाप भी करता है तो यह बेहद शुभ होता है। तो चलिए पढ़ते हैं भगवान विष्णु के मंत्र। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। ॐ विष्णवे नम: ॐ हूं विष्णवे नम: ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि। दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्। धृताब्जया लिंगितमब...

मंगलम भगवान विष्णु मंत्र लिरिक्स

नए भजन • Swasti Vachan Ka Mantra • जिस घडी मेरी ये जान निकले भजन लिरिक… • मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा लिरिक्स… • साथी भूल ना जाना लिरिक्स | Sathi Bh… • Jagran Ki Raat Maiya Jagran Me Aao … • रिद्धि सिद्धि के दाता सुनो गणपति लि… • बैठ सामने तेरे बाबा तुझको रोज़ मनात… • वृन्दावन धाम अपार जपे जा राधे राधे … • आज बुधवार है गणनायक जी का वार है लि… • मांगने को हाथ भी नहीं है बंदा गरीब … • चरणों से लिपट जाऊं धूल बन के भजन लि… • Tharo Ram Hrida Mahi Bahar Kyo Bhat… • मन्दिर वैष्णो दा आ आया लिरिक्स | Ma… • Teri Kripa Se Maiya Har Kaam Ho Gay… • जीमो जीमो साँवरिया थे लिरिक्स | Jee…

Lord Vishnu Stuti पूजा करते समय अवश्य करें इस स्तुति का पाठ विष्णु जी हो जाते हैं प्रसन्न

Lord Vishnu Stuti: पूजा करते समय अवश्य करें इस स्तुति का पाठ, विष्णु जी हो जाते हैं प्रसन्न Lord Vishnu Stuti आज यानी गुरुवार के दिन विष्णु जी की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। वैदिक समय से ही विष्णु सम्पूर्ण विश्व की सर्वोच्च शक्ति तथा नियन्ता के रूप में मान्य रहे हैं। पुराणानुसार लक्ष्मी विष्णु की पत्नी हैं। Lord Vishnu Stuti: आज यानी गुरुवार के दिन विष्णु जी की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। वैदिक समय से ही विष्णु सम्पूर्ण विश्व की सर्वोच्च शक्ति तथा नियन्ता के रूप में मान्य रहे हैं। पुराणानुसार लक्ष्मी, विष्णु की पत्नी हैं। विष्णु जी का पुत्र कामदेव था। क्षीर सागर विष्णु का निवास है। उनका शयन शेषनाग के ऊपर है। उनकी नाभि से जो कमल उत्पन्नो हात है उसमें ब्रह्मा जी स्थित हैं। भगवान विष्णु जी की पूजा करने से व्यक्ति को हर दुख से मुक्ति मिल जाती है। विष्णु जी अपने किसी भी भक्त को निराश नहीं करते हैं। आज के दिन विष्णु जी की विधि-विधान के साथ पूजा की जानी चाहिए। कहा जाता है कि पूजा करते समय भगवान की आरती और चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे व्यक्ति पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। आरती और चालीसा से अलग विष्णु जी की पूजा करते समय उनकी स्तुति का पाठ भी अवश्य करना चाहिए। इससे व्यक्ति पर उनकी कृपा बनी रहती है। अगर आप पूरे भाव के साथ इस मंत्र स्तुति का जाप करेंगे तो विष्णु जी आपसे प्रसन्न हो जाते हैं और व्यक्ति के सभी कष्ट हर लेते हैं। व्यक्ति को हर राह पर सफलता हासिल होती है। आइए पढ़ते हैं पवित्र विष्णु स्तुति- विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम्। लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्।। यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वान...

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं

सुरेशं – जो ‍देवताओं के भी ईश्वर और विश्वाधारं – जो संपूर्ण जगत के आधार हैं, संपूर्ण विश्व जिनकी रचना है, गगन-सदृशं – जो आकाश के सदृश सर्वत्र व्याप्त हैं, मेघवर्ण – नीलमेघ के समान जिनका वर्ण है, शुभाङ्गम् – अतिशय सुंदर जिनके संपूर्ण अंग हैं, जो अति मनभावन एवं सुंदर है लक्ष्मीकान्तं – ऐसे कमल-नयनं – कमलनेत्र (जिनके नयन कमल के समान सुंदर हैं) योगिभिर्ध्यानगम्यम् – (योगिभिर – ध्यान – गम्यम्) – जो योगियों द्वारा ध्यान करके प्राप्त किए जाते हैं, (योगी जिनको प्राप्त करने के लिया हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं) वन्दे विष्णुं – भवभय-हरं – जो जन्म-मरण रूप भय का नाश करने वाले हैं, जो सभी भय को नाश करने वाले हैं सर्वलोकैक-नाथम् – जो संपूर्ण लोकों के स्वामी हैं, सभी चराचर जगत के ईश्वर है शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं पढ़िए भगवान विष्णु के मंत्र ,स्तुति ,आरती और चालीसा • • • • • • • • • • शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक के लाभ • शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक का पाठ बहुत ही लाभकारी होता है • इस पाठ को सच्ची भावना से किया जाये तो विष्णु जी बहुत प्रसन होते है • शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं श्लोक का पाठ करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है • एकादशी के दिन ये पाठ करने से • यह पाठ करने के बाद विष्णु जी की FAQ’S

संस्कृत श्लोक

कर्पूर गौरम करुणावतारं, संसार सारं भुजगेन्द्र हारं। सदा वसंतं हृदयार विन्दे, भवं भवानी सहितं नमामि॥ Shiv Stuti with hindi meaning जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे हृदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है। कर्पूर गौरम करुणावतारं, संसार सारं भुजगेन्द्र हारं। सदा वसंतं हृदयार विन्दे, भवं भवानी सहितं नमामि॥

नवदुर्गा

कात्यायनी देवी – माँ दुर्गा का छठवां रूप चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥ माँ दुर्गा के छठवें स्वरूप का नाम कात्यायनी है। दुर्गापूजाके छठवें दिन इनके स्वरूपकी उपासना की जाती है। कात्यायनी देवी की कथा कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय पश्चात जब महिषासुर दानवका अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी देवी कहलाईं। माँ का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसकी ऐसी भी एक कथा मिलती है। देवी महर्षि कात्यायन के वहाँ पुत्री रूप में उत्पन्न हुई थीं। आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन इन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था। माँ कात्यायनी का स्वरुप माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर (ज्योर्तिमय, प्रकाशमान) है। इनकी चार भुजाएँ हैं। माताजी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है। माँ कात्यायिनी की उपासना नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। उस दिन साधक का मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थ...

Lord vishnu special mantra and pooja vidhi know in hindi

नई दिल्लीः सृष्टि की रचना हुई तो ब्रह्मा, विष्णु और महेश देव त्रयी के रूप में जाने गए. इनमें से ब्रह्नम देव ने रचनाकार का भार संभाल लिया तो वहीं महादेव शिव ने संहारक की भूमिका निभाई. लेकिन महाविष्णु ने संतों, सज्जनों, साधु लोगों और समस्त सृष्टि जो पाप रहित हो उसके पालन-पोषण और रक्षक की जिम्मेदारी ली. इस भूमिका को निभाने के लिए वह युगों-युगों में अवतार भी लेते हैं. जगत के पालनहार विष्णु जी की पूजा गुरुवार के दिन की जाती है. इस दिन इन्हें सत्यनारायण भगवान के रूप में पूजा जाता है. इसके अलावा चातुर्मास (श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक) के समय में भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यन्त शुभ माना गया है. इसके अलावा एकादशी के दिन भी भगवान विष्णु जी पूजा की जाती है. इसलिए इन अवसरों पर विष्णु मंत्र का जाप किया जाना अति शुभ फलदायी माना गया है. भगवान विष्णु के स्मरण और उनकी पूजा में हरिमंत्रों की बहुत बड़ी भूमिका है. इनके जरिए उनकी कृपा पाई जा सकती है. यहां प्रमुख विष्णु मंत्र और उनकी महिमा का वर्णन है. पुराणों के अनुसार यह मंत्र विष्णु जी का मूल मंत्र है. विष्णु भगवान का स्मरण करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है. विष्णु भक्तों के बीच यह अति लोकप्रिय मंत्र है. भक्त प्रहलाद और ध्रुव ने इसी मंत्र के जाप से उनकी कृपा प्राप्त की थी. धन प्राप्ति के लिए इस विष्णु मंत्र से कीजिए पूजा ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर. भूरि घेदिन्द्र दित्ससि, ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्. आ नो भजस्व राधसि. भगवान विष्णु जी का यह मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है. यदि किसी व्यक्ति जीवन में धन धान्य का अभाव हो तो वह विष्णु पूजा के दौरान इस मंत्र जाप कर सकता है. इस अर्थ है - हे लक्ष्मीपते ! आप सा...